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‘यादव ही यहूदी हैं’???पढ़ें भारतीय मीडिया की ख़ुराफ़ाती रिपोर्ट!

इसराइल और हमास के बीच लड़ाई की गूंज अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुनाई पड़ रही है.

आज की प्रेस रिव्यू में अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू के ओपिनियन पन्ने पर छपे एक लेख का अंश पढ़िए.

‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अक्सर अपने तीखे और भड़काऊ कार्यक्रमों के लिए चर्चित हिंदुत्व समर्थक सुदर्शन न्यूज़ चैनल ने 22 अक्टूबर को दो एपिसोड के कार्यक्रम ‘क्या यादव ही यहूदी हैं’ का प्रसारण कर यादवों और यहूदियों को एक बताने के साथ मोजेज और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में समानता ढूंढने की कोशिश की.

इसके कुछ दिनों बाद राजस्थान के तिजारा में एक चुनावी रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसराइल और हमास युद्ध को भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की लड़ाई बताया. तिजारा में कांग्रेस ने एक मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है.

‘द हिंदू’ लिखता है सुदर्शन न्यूज़ के प्रमुख चेहरे सुरेश चह्वाणके ने कार्यक्रम में कहा कि चैनल के रिसर्च से पता चला है कि ज़्यादातर यादव मानते हैं कि वो यहूदी हैं. लेकिन केवल इस समुदाय के राजनीतिक नेताओं को छोड़ कर क्योंकि उन्हें मुस्लिमों का वोट चाहिए.

अख़बार लिखता है कि साफ़ है कि उनका इशारा समाजवादी पार्टी की ओर था, जो मंडल की राजनीति के बाद के दौर में मुस्लिमों और पिछड़ों की गोलबंदी के ज़रिये उत्तर प्रदेश में बड़ी राजनीतिक ताक़त बन गई थी.

ये वो दौर था जब देश में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान हिंदुत्व की लहर चल रही थी. इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने सफलतापूर्वक इसका सामना किया.

पिछले दिनों ट्विटर पर सुदर्शन चैनल का हैशटेग ‘यादव ही यहूदी’ भी चलता रहा. ये हैशटेग यादव समुदाय को सामाजिक सीढ़ी में ऊपर होने का अहसास कराने और उसे हिंदुत्व की विशाल दायरे में समेटने की कोशिश के तौर पर चलाया गया था.

हालांकि ये भी दिलचस्प है प्रचलित लोक धारणाओं के मुताबिक़ यादव ख़ुद को भगवान श्रीकृष्ण का वंशज मानते हैं लेकिन इस समुदाय ने अभी तक कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन को लेकर कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाई है. चुनाव बाद सीएसडीएस के सर्वे में बताया गया है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 83 फ़ीसदी यादवों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया.

‘द हिंदू’ ने लिखा कि योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को इसराइल-फ़लस्तीन संघर्ष को लेकर अफ़वाह फैलाने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया था. लेकिन ख़ुद उन्होंने राजस्थान की रैली में इस संघर्ष का इस्तेमाल रूपकों के ज़रिये करने से परहेज़ नहीं किया है.

उन्होंंने कहा कि तालिबान मानसिकता का इलाज सिर्फ़ बजरंगबली की गदा से ही हो सकता है. इसराइल का समर्थन करते और कांग्रेस को मुस्लिम तुुष्टीकरण के लिए घेरते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ”आप देख रहे हैं कि इसराइल ग़ज़ा में कैसे तालिबानी मानसिकता को कुचल रहा है.’’

अख़बार लिखता है ऐसे समय में जब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जाति जनगणना का समर्थन करती दिख रही है तो बीजेपी इसराइल-हमास युद्ध के से जुड़े उदाहरणों से इसकी काट तलाशने में लगी है.

पिछले महीने योगी ने यूपी के विधानसभा क्षेत्रों में भाषण देते हुए कहा था कि दलित कवि बाल्मीकि और संत वेद व्यास ने संस्कृत में रामायण और महाभारत लिखी.

समाजवादी पार्टी के ग़ैर यादव चेहरे स्वामी प्रसाद मौर्य कुछ महीने पहले सनातन धर्म और रामचरित मानस के कुछ हिस्सों को दलित और महिला विरोधी क़रार दिया था. इसके बाद से ही बीजेपी ने दलितों को हिंदुत्व के अभिन्न हिस्से के रूप में प्रचारित करने पर ज़ोर देना शुरू कर दिया.

यूपी सरकार ने हाल में प्रयागराज में निषादराज को गले लगाते भगवान राम की एक विशाल मूर्ति लगाने की मंज़ूरी दी है. (माना जाता है कि भगवान राम जब वनवास के दौरान नदी पार करना चाहते थे तो निषादराज ने उनकी मदद की थी) .

मल्लाह समुदाय में योगी सरकार की इस पहल की तारीफ़ तो हुई है लेकिन उनकी दिलचस्पी अनुसूचित जाति की मान्यता हासिल करने में ज्यादा है.

बीजेपी सरकार भले ही दलितों वोट हासिल करने में लगी हुई है लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि 2018 से 2021 में भारत में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध के 1,89,945 केस दर्ज हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 49613 केस अकेले यूपी के थे.