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यह सुर्खियों में बने रहने वाली मोदी सरकार के काम-काज के तरीक़े की ख़ासियत है

Jairam Ramesh
@Jairam_Ramesh
आप यह क्रोनोलॉजी समझिए

1. 13 फ़रवरी, 2023 को मोदी सरकार ने अपनी सस्ती राजनीति का परिचय देते हुए बड़े धूम-धाम से जम्मू-कश्मीर में दुनिया के सबसे बड़े ज्ञात लिथियम भंडारों में से एक की खोज की घोषणा की थी।

2. वर्ष 2023 के नवंबर महीने में पहली नीलामी आयोजित की गई। लेकिन आवश्यक तीन बोली भी पूरी नहीं हुई और नीलामी रद्द कर दी गई।

3. मार्च 2024 में नीलामी के दूसरे दौर की घोषणा की गई। जुलाई 2024 में पता चला कि इसके लिए भी एक भी बोली नहीं लगी।

4. अक्टूबर 2024 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को दुनिया के सबसे बड़े ज्ञात लिथियम भंडारों में से एक घोषित किए गए स्थान का फिर से जांच-पड़ताल करने का निर्देश दिया गया।

कंपनियों द्वारा बोली लगाने में अनिच्छुक होने का कारण सरल है: खोज-बीन का डेटा बिल्कुल अपर्याप्त था। अब कम से कम छह महीने बाद नीलामी की योजना है। इसमें और भी अधिक समय लग सकता है।

यह सुर्खियों में बने रहने वाली मोदी सरकार के काम-काज के तरीक़े की खासियत है। यह समय से पहले ही जश्न मना लेने का मामला है!