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यह ”जाटाहा फूल” के नाम से जाना जाता है

अनूप नारायण सिंह
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सारण चंपारण में यह जाटाहा फूल के नाम से जाना जाता है।इस फूल की खासियत है कि एक बार लगाइए और सीजन में यह खुद से उगता है इसकी प्रजाति समाप्त नहीं होती। यह देखने में जितना आकर्षण होता है उतना ही सुगंधित भी। इसके बीज और गेनहरि वाले लाल साग का बीज एक जैसा होता है। जब इसके पौधे छोटे होते हैं तो सांग वाले पौधे जैसे ही नजर आते हैं तो जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं इसका फूल आना शुरू होता है। फूल के साथ उसके बीज भी होते हैं। वैसे यह कॉक कॉम्ब (सेलोसिया क्रिस्टाटा) के नाम से जाना जाता है। यह एक कलगीदार फूल वाला पौधा है जो पूरे भारत में पाया जाता है। इस पौधे का नाम इसके फूल के कारण पड़ा है, जो मुर्गे के सिर जैसा दिखता है। कॉक कॉम्ब फंगल रोगों के प्रति संवेदनशील होता है।