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यमन युद्ध को सात साल पूरे होने वाले हैं, युद्ध विराम को आगे बढ़ाने पर सहमति क्यों नहीं बन सकी है : रिपोर्ट

दो बार वृद्धि के बाद, यमन में अब युद्ध विराम को आगे बढ़ाने पर सहमति नहीं बन सकी है।

यमन युद्ध को सात साल पूरे होने वाले हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता से इसी साल 2 अप्रैल को इस देश में 2 महीने के लिए युद्ध विराम की घोषणा की गई, जिसमें दो बार वृद्धि की गई। इस देश में युद्ध विराम ऐसी स्थिति में लागू किया गया, जब संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक़, युद्ध के सातवें साल में यमन संकट पहले से भी कहीं अधिक भंयकर हो गया। इसलिए यहां यह सवाल उठना वाजिब है कि गंभीर मानवीय संकट के बावजूद, यमन में युद्ध विराम को आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया या स्थायी रूप से युद्ध समाप्त क्यों नहीं कर दिया गया।

इसके कुछ कारण हो सकते हैं। पहला कारण यह है कि युद्ध विराम का मक़सद लड़ाई को रोक कर सबसे पहले पीड़ित यमनी जनता तक सहायता पहुंचाना था। लेकिन इसके बावजूद, पिछले 6 महीने के दौरान, सऊदी अरब और यूएई ने सैकड़ों बार युद्ध विराम का उल्लंघन किया और युद्ध विराम का जो मक़सद था उसे पूरा नहीं होने दिया। बहरहाल युद्ध विराम से पीड़ितों तक मानवीय सहायता पहुंचने में कुछ हद तक सफलता तो हासिल हुई, लेकिन सऊदी अरब ने अल-हुदैदा बंदरगाह की घेराबंदी ख़त्म नहीं की, बल्कि मानवीय सहायता को सेलेक्टिव तौर पर वहां से ले जाने की अनुमति दी।

इसके अलावार, युद्ध विराम के कारण यमन को अपना तेल विश्व बाज़ार में ले जाने की सुविधा प्राप्त होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे मानव इतिहास के सबसे बुरे संकट के समाधान में किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। बल्कि इसके उलट, युद्ध विराम और लड़ाई बंद होने का फ़ायदा उठाकर हमलावर देशों के लिए यमनी ऊर्जा स्रोतों को लूटने में आसानी हो गई। सऊदी अरब को यह डर था कि तेल से होने वाली आमदनी भुखमरी का शिकार जनता के ज़ख़्मों पर मरहम का काम कर सकती है और इससे यमन में अल-हौसी आंदोलन की लोकप्रियता बढ़ सकती है।

युद्ध विराम पर सहमति नहीं बनने का एक दूसरा कारण यह है कि हालिया युद्ध विराम का हमलावर देशों ने फ़ायदा उठाया और युद्ध में कमज़ोर होती अपनी स्थिति को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया। दूसरे यह कि इस दौरान, उन्हें यमन के जवाबी हमलों के ख़िलाफ़ बचाव के लिए रणनीति बनाने का अवसर मिल गया। इससे यमनी पक्ष ने यह नतीजा निकाला कि हमलावर देश स्थायी रूप से युद्ध रोकने के लिए गंभीर नहीं हैं, बल्कि इस युद्ध विराम को वे अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इस वजह से यमन ने युद्ध विराम को आगे बढ़ाने पर सहमति नहीं जताई, बल्कि अब पहले भी ज़्यादा ताक़त से जवाबी हमले करने और हमलावर देशों को अपनी सीमाओं से बाहर निकालने का संकल्प लिया है।