विशेष

यदि आप अपने जीवन में शांति चाहते हैं तो ”क्रोधी” व्यक्ति से दूर ही रहें

सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
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नीतिवचन 29:22
जो मनुष्‍य क्रुद्ध स्‍वभाव का है, वह लड़ाई-झगड़ा उत्‍पन्न करता है, जो क्रोध के वश में है, वह अपराध-पर-अपराध करता है।
क्रोध मनुष्य का विनाश कर देता है। क्रुद्ध स्‍वभाव वाले लोग मूर्ख और दूसरों के लिए खतरा होते हैं। यह उनके जीवन पर अभिशाप है। क्रोध उन्हें विभिन्न बातों पर लड़ने-झगड़ने और पाप की ओर ले जाता है। क्रोध इंसान को अंधा कर उसे विनाशकारी बना देता है।

जो मनुष्‍य क्रुद्ध स्‍वभाव का होता है, वह अपने ख़िलाफ किये किसी भी अपराध को नजरअंदाज नहीं कर सकता (नीतिवचन 19:11)। वह बिना सोचे-समझे पलटवार करता है, जिससे लड़ाई-झगड़े उत्‍पन्न होते हैं (नीतिवचन 15:18)। उसके आस-पास के लोग हमेशा असुरक्षित होते हैं, , क्योंकि उसका क्रोध या तो हाल ही में भड़क उठा था या शीघ्र ही उसके फ़टने की संभावना होती है। वह बिना सोचे-समझे पलटवार करता है, और अपने मूर्खतापूर्ण आवेग के शैतानी ताप में आकर गाली-गलौच करता है या पापपूर्ण हरकत कर बैठता है। क्रुद्ध स्‍वभाव वाले लोग पाशविक होते हैं (नीतिवचन 14:29)।

यदि आप अपने जीवन में शांति और धार्मिकता चाहते हैं तो क्रोधी व्यक्ति से दूर ही रहें। जीवन के प्रति उसका अपवित्र रवैया आपके अच्छे आचरण और शिष्टाचार को भ्रष्ट कर देगा (नीतिवचन 22:24-25)। परमेश्वर उस अभागी स्त्री पर दया करें जिसका विवाह क्रुद्ध स्‍वभाव वाले पुरुष से हुआ है, और परमेश्वर उन अभागे बच्चों पर दया करें जो एक क्रुद्ध स्‍वभाव वाले बाप से पैदा हुए हैं। उनका जीवन उनके पति या पिता की शैतानी मानसिकता के कारण मानों अभिशप्त है, जो उन्हें प्रेम करने और अपने सीने से लगाने के बजाए हर समय उन्हें डांटने और मारने की फ़ितरत रखता है।

क्रुद्ध स्‍वभाव वाला पुरुष अपनी पत्नी, अपने बच्चों और इज्ज़त को खो देता है। क्रुद्ध स्‍वभाव वाला व्यक्ति खुद को वश में नहीं रख सकता, वह एक ऐसे नगर के समान है जिसकी कोई शहरपनाह नहीं, या एक शिशु जिसे ज़मीन पर अकेले छोड़ दिया जाता है (नीतिवचन 25:28; 1 कुरिन्थ 3:1-3)। उसके बच्चे उस दिन का इंतजार कर रहे होते हैं जब वे उम्र में आते ही उस शांति और सुरक्षा को पाने के लिए जो उन्होंने कभी नहीं पाई, अपनी कॉलेज की उच्च शिक्षा या नौकरी के लिए घर छोड़ सकें। निःसंदेह, क्रुद्ध स्‍वभाव के लोग इतने पाशविक होते हैं कि उन्हें उसका अहसास तब तक नहीं होता जब तक कि बहुत देर न हो जाए। उनके बच्चे उन्हें अधिक बार सावधान नहीं कर पाते, क्योंकि वे उसके क्रोध और मार से डरते हैं। वे सिर हिलाते हैं और बेबसी में हार मान लेते हैं, मन ही मन अपने पिता से नफ़रत करते हैं, जब तक कि वे बड़े होकर घर से बाहर नहीं निकल जाते और बिना किसी डर के एक सुखद जीवन की शुरुवात नहीं कर लेते।

इससे पहले कि ख्रिश्चन स्त्रियाँ यह सोचने लगे कि यह नीतिवचन उनके लिए नहीं है, तो याद रखें कि नीतिवचन की पुस्तक में सुलैमान, बाइबल के बाकी लेखकों के समान ही, अक्सर दोनों लिंगों को “मनुष्य” कहकर उनका एकसाथ उल्लेख करता है। यह नीतिवचन क्रुद्ध स्‍वभाव वाली स्त्रियों पर उतने ही बल के साथ लागू होता है, क्योंकि जब क्रोध किसी स्त्री पर लागू होता है तब स्त्री की गरिमा और उसके ममता-भरे गुण के कारण उस क्रोध को पुरुष की तुलना में और भी अधिक गिरी हुई हरकत के रूप में देखा जाता है। क्योंकि स्त्री का स्वभाव पुरुष की तुलना में अधिक ममता और प्रेम के रूप में जाना जाता है, अत: उसके क्रोध और ताप को निश्चित रूप से मानवता के सबसे विकृत रूप की नज़र से देखा जाता है।

क्या आप क्रुद्ध स्‍वभाव के मनुष्य हैं? क्या आप आवेग में आकर बोलते हैं? क्या आप आवेग में आकर पलटवार करते हैं? क्या आप अपनी पत्नी या बच्चों पर चिल्लाते हैं? क्या आप ऐसी कठोर बातें कहते हैं जिन पर दूसरे सवाल उठाते हैं या उनके लिए आपकी निंदा करते हैं? क्या अन्य लोग आपकी उपस्थिति को प्रिय जानते हैं? क्या आप की पहचान एक कृपालु मनुष्य के रूप में है या एक एक कठोर मन वाला के रूप में? क्या आपकी पत्नी और बच्चे आपको वह सब बताते हैं जो वे सोचते हैं या करना चाहते हैं? आप अपने घर को दबंगाई से चलाते हैं, या प्रेम और अपनेपन से? क्या आपकी पत्नी आपके साथ इसलिए रहती है क्योंकि यह उसकी मजबूरी है, या इसलिए क्योंकि उसे आपके साथ रहना अच्छा लगता है? क्या आपकी पत्नी और बच्चे आपके खराब मूड के डर से हमेशा आपसे दूर रहते हैं? अपने अन्दर झाँककर खुद से पूछें, क्या आप क्रुद्ध स्‍वभाव के मनुष्य हैं?

क्या आप क्रुद्ध स्‍वभाव के मनुष्य हैं? क्या छोटी-छोटी बातें आपको भड़का देती हैं? क्या आपके गुस्से की तीव्रता स्थितियों से मेल खाती है या उनसे अधिक है? दूसरों को न्यायी बनने दें। वे क्या सोचते हैं? लोग शायद ही कभी खुद को उस रूप में देख पाते हैं जैसे वे वास्तव में हैं। क्या आप अपने खिलाफ़ किएँ दूसरों के अपराधों को आसानी से और तुरन्त नज़रअंदाज़ करने में सक्षम हैं? या आप कड़वाहट से ग्रस्त हैं? क्या आप वहां जज्बाती हो जाते हैं जहां जज्बातों को कुचला जाना चाहिए? जब कोई आपकी उचित आलोचना करता है या आपकी गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है तब क्या आप भड़क उठते हैं? जब आप किसी बात पर ज़रूरत से ज्यादा भड़क उठते हैं और कोई आपको इसका अहसास दिलाकर टोकता है तब क्या आप उस व्यक्ति को तुरंत धन्यवाद दे सकते हैं? या फिर आप टकरावों का आनंद लेते हैं और उन्हें जीवनशैली या मर्दानगी के रूप में देखते हैं? क्या आप छोटे-मोटे मतभेदों को लड़ाई-झगड़ों में बदल देते हैं? क्या आप क्रुद्ध स्‍वभाव के मनुष्य हैं?

क्या आप क्रुद्ध स्‍वभाव के मनुष्य हैं? इसका मूल्यांकन इस बात से करें कि आपके कितने करीबी मित्र हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग गुस्से वाले व्यक्ति की मित्रता से दूर ही रहते हैं। इसका मूल्यांकन इस आधार पर करें कि अतीत में आपकी मित्रता कितने समय के लिए थी। मापें कि आपके बच्चे आपके साथ कितना समय बिताना चाहते हैं, चाहे छोटे हो या बड़े। आख़िर वे ही हैं को आपको सबसे अच्छी रीति से जानते हैं, और वे सबसे अधिक क्षमाशील हैं। इस बात से मापें कि क्या दूसरे आपको एक झगड़ालू व्यक्ति मानते हैं या कोमल और नम्र व्यक्ति? मापें कि क्या आपका दूसरों से बार बार झगड़ा होता है, या कभी नहीं? क्या आप क्रुद्ध स्‍वभाव के मनुष्य हैं?

क्रोध में कोई सद्गुण नहीं होता, उन दुर्लभ और धर्मपरायण अवसरों को छोड़कर जब धर्मी आक्रोश अधर्म के विरुद्ध वैध रूप से फूटता है। सब प्रकार का क्रोध पाप नहीं है, परन्तु ज्यादातर मामलों में क्रोध करना पाप है (इफि 4:26)। और ज्यादातर मामलों में क्रोधित होने का भयानक आवेग या जुनून आपके जीवन में शैतान के लिए जगह देता है (इफि 4:27)। बाइबल का परमेश्वर, जो अपने सभी मार्गों में पवित्र है, अपने शत्रुओं पर सदैव रहता है (भजन 7:11; नहेम्याह 1:2-6)। वह पाप के विरुद्ध तीव्र क्रोध में जलता है (प्रकाशितवाक्य 19:15)। मनुष्यों में सबसे नम्र व्यक्ति मूसा क्रोधित हो गया था (निर्गमन 32:19)। और यहाँ तक कि यीशु को भी क्रोध आया (मरकुस 3:5)।

तथापि, बिना उचित कारण के क्रोध करना छठी आज्ञा का उल्लंघन है – “तू हत्या न करना” (मत्ती 5:21-22)। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपना गुस्सा रोक नहीं सके; कई हत्यारों ने यही बहाना आज़माया है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका स्वभाव शीघ्रकोपी है – आप एक कमज़ोर इन्सान हैं। बड़े हो जाओ! ऐसा बच्चा बनना बंद करें जो नखरे दिखाता हो! मज़बूत बनो और अपनी भावना को वश में रखों (नीतिवचन 14:29; 16:32; याकूब 1:19-20)। ” क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप उपद्रवी होता है” (नीतिवचन 27:4)। मेल-मिलाप करानेवाली बुद्धि की लालसा करना सीखें (याकूब 3:14-18)।

यह नीतिवचन सिखाता है, “जो मनुष्‍य क्रुद्ध स्‍वभाव का है, वह लड़ाई-झगड़ा उत्‍पन्न करता है।” क्रोध लड़ाई-झगड़ा मचाता है (नीतिवचन 15:18)। कोमल उत्तर सुनने से गुस्सा ठण्डा हो जाता है, परन्तु कटुवचन से क्रोध भड़क उठता है (नीति 15:1)। जो मनुष्‍य क्रुद्ध स्‍वभाव का होता है, वह बोलने या पलटवार करने से पहले सोचता नहीं, इसलिए वह वहाँ भी दूसरों को क्रोध और लड़ाई के लिए उकसाता है जहां लड़ाई-झगड़ा होना ही नहीं चाहिए। सुलैमान के पुत्र रहूबियाम ने इस्राएल को कठोरता से उत्तर दिया और उसने बारह गोत्रों में से दस गोत्र खो दिए, क्योंकि उसने अपने मूर्खतापूर्ण आचरण से उन्हें क्रोधित किया था। कोमल तकिये से लड़ना असंभव है और जो व्यक्ति अपने क्रोध को टाल देता है वह कोमल तकिया के समान है।

यह नीतिवचन सिखाता है, “जो मनुष्‍य क्रुद्ध स्‍वभाव का है, वह अपराध-पर-अपराध करता है।” आवेग में आकर बोलने या काम करने से अपराध होता है। क्रुद्ध स्‍वभाव के लोग इतने घबड़ाए और व्याकुल होते हैं कि वे बुद्धि से काम लेकर अपने मुँह के शब्दों या शरीर की हरकतों को नहीं जांच पाते। वे अपने भ्रष्ट मनों की घिनौनी प्रवृत्ति से प्रेरित होकर पलटवार करते हैं, और इसका अटल नतीजा केवल अपराध ही होता है। यहां तक कि मूसा, जो आम तौर पर एक नम्र और धैर्यवान व्यक्ति था, वह इजरायलियों के कारण इतना भड़क गया कि उसने उस चट्टान पर, जिससे परमेश्वर ने उसे बात करने के लिए कहा था, अपनी लाठी से प्रहार किया (भजन 106:32-33)। यह शांत और मेलमिलाप वाली अभिव्यक्ति ही है जो बुद्धि और विवेक की ओर ले जाती है, आवेग और प्रकोप की जल-जलाहट की ओर नहीं।

क्रोध परमेश्‍वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता (याकूब 1:19-20)। इसलिए आपको अपनी आत्मा में इसकी पहली चिंगारी पर नज़र रखना सीखना चाहिए। यदि आप ऐसे व्यक्तियों या स्थितियों के बारे में जानते हैं जो आपको क्रोध के लिए उकसाते हैं, तो या तो उनसे बचें या अपना बचाव पहले से तैयार करें। क्रोध में आकर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले धीरज धरना सीखें। अपनी पत्नी, बच्चों और प्रतिष्ठा को खोने का डर आपको कृपालुता, दया और धैर्य का अनमोल मूल्य सिखाने पाए। केवल एक ताकतवर मनुष्य ही क्रोध को टाल सकता है (नीतिवचन 19:11)। यह एक महान व्यक्ति है जो अपनी आत्मा को वश में रख सकता है (नीतिवचन 14:29; 16:32)।

माताओं और पिताओं, आपको अपने बच्चों को इस अभिशाप मुक्त होना सिखाना चाहिए। आपके बच्चे एक-दूसरे के साथ, अपने दोस्तों के साथ या आपके साथ जिस तरह व्यवहार करते हैं उसमें गुस्से के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिये। उनसे हर समय नम्रता, दयालुता, सेवा और श्रद्धा की मांग करें। उस अहंकारी और स्वार्थी क्रोध को अपने घर में सिर मत उठाने दें जो प्राणों और परिवारों को नष्ट कर देता है। और न ही आप उस तपन और जल-जलाहट को पनपने दे सकते हैं जो बहुत ही गहरी और लंबे समय तक जलती रहती है। सभी कड़वाहटों और शिकायतों का पता लगाकर उन्हें मिटा दिया जाना चाहिए।
परमेश्वर ने हमें आज्ञा दीं है कि हम सब प्रकार की कड़वाहट, क्रोध, प्रकोप, द्वेष और नफ़रत को त्याग दें (इफि 4:31)। ये अपराध हमारे धन्य परमेश्वर की दृष्टि में और सच्चे ख्रिश्चन धर्म के शिष्टाचार के अनुसार पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। वे लड़ाई, झगड़े और अन्य पापों को जन्म देंगे जिनका आपके जीवन में कोई अधिकार नहीं है। उनके स्थान पर आपको दयालु, कोमलहृदयी और दूसरों को क्षमा करने वाला होना चाहिए। और इस अद्भुत आचरण का मकसद और मानक क्या है? परमेश्वर का वह व्यवहार जो उसने मसीह यीशु के द्वारा आपके साथ किया (इफि 4:32)!