विशेष

यदि आप अपने आप को कुछ समझते हैं जबकि आप कुछ भी नहीं हैं तो आपने केवल अपने आप से झूठ बोला है!

सुलैमान के नीतिवचनों से बुद्धि
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नीतिवचन 1:4
कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक दे।
नीतिवचन की पुस्तक को लिखने परमेश्वर ने प्रेरित क्यों किया, और सुलैमान ने इसे क्यों लिखा? इस प्रश्न के उत्तर का एक भाग यहाँ है (नीति 1:1-4)। ये नीतिवचन भोले लोगों को चतुराई, और जवानों को ज्ञान और विवेक प्रदान करते हैं। सभी मनुष्य जन्म से ही भोले, अज्ञानी और मूर्ख होते हैं; सुधार और निर्देश के बिना, वे परेशान और जीवन में की गई ग़लतियों के कारण दण्ड भोगेंगे। परन्तु इस बुद्धिमान उपदेशक ने जीवन के लिए ज्ञान सिखाने अपने निरीक्षणों और शिक्षा को संक्षिप्त नीतिवचनों में दर्ज किया है।

भोले लोगों के पास बहुत ही कम समझ या बुद्धि होती है। वे मूर्ख, भोले, सरल, बेवकूफ और भोंदू होते हैं। उनमें तुरन्त और सटीक रूप से परखने, समझने, विश्लेषण करने और बुद्धिमानी से विकल्प को चुनने की क्षमता का अभाव होता है। सुलैमान के अनमोल नीतिवचन ऐसे लोगों को चतुराई या विवेक दे सकते हैं, जो कि विभेद के साफ नज़र आने पर भी किन्ही मामलों को शीघ्रता से जानने, समझने और परखने की तीव्र क्षमता है। चतुर लोग ज्ञानी, समझदार और बुद्धिमान होते हैं।

जवान लड़के छोटे बालकों के रूप में जन्म लेते हैं। वे कुछ नहीं जानते। वे दूध पीने वाले पिल्लों की तरह खाते हैं, और उन्हें अपनी रक्षा के लिए डायपर की ज़रूरत होती है। उन्हें चलने में एक साल लगता है, एक और साल बोलना सीखने में लग जाता है, तथा एक और साल खुद होकर पॉटी करने में लग जाता है। पांच साल के होने पर वे छोटी बाइक या साईकल चलाने लगते हैं, और अठारह के होते होते मुश्किल से कार चला पाते हैं। वे किसी सुपरमॉडल से शादी करने, भारतीय क्रिकेट संघ या हॉकी की टीम में खेलने और फरारी चलाने के सपने देखते हैं। बीस साल की उम्र में वे मूर्ख, भोले, आवेगी, और नासमझ होते हैं। उन में संयम (आत्म-अनुशासन) और अनुभव का अभाव होता है।

वे जमकर खेलकूद करते हैं और लंबी नींद सोते हैं, परन्तु उन्हें काम करना कठिन और लंबा लगता है। जब वे कड़ी मेहनत करते हैं, तो वे नहीं जानते कि बुद्धिमानी से कैसे काम किया जाए। वे पैसा खर्च करते हैं, परन्तु उसे बचाना नहीं जानते। वे आकर्षक स्त्रियों को तुरंत पहचान लेते हैं, किन्तु वे उसके चरित्र को नहीं भाप पाते। वे शायद एक स्त्री से विवाह कर ले, किन्तु यह नहीं जानते कि कैसे उसकी अगुवाई की जाए। वे भले ही एक बच्चे का पिता भी बना जाए, पर फिर भी उस बच्चे को कैसा प्रशिक्षण दिया जाए इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं होती है। वे पैसा कमाने तो लगते हैं, किन्तु वे यह नहीं जानते कि उसे कहां और कैसे निवेश करना है।

इन मूर्ख और अज्ञानी युवकों का क्या होता है? व्यभिचार, दिवालियापन, अपराध, कर्ज़, अवसाद, बीमारी, तलाक, नशा, पियक्कड़पन, लड़ाई-झगड़े, जेल, तकलीफों से भरा वैवाहिक जीवन, अश्लील साहित्य, गरीबी, बेरोजगारी, व्यर्थ का उद्यम, और अन्त में अकाल मृत्यु! सुलैमान के अद्भुत नीतिवचनों को सीखने और उनका व्यवहारिक उपयोग करने से इन सभी कष्टों से बचा जा सकता है।

यहां ज्ञान यह जानना है कि क्या उचित, प्रभावी, पवित्र, लाभदायक, सही और सुरक्षित है। यह परमेश्वर को जानना है, उसका भय मानना है, और यह जानना है कि वह उन लोगों को प्रतिफल देता है जो उसे परिश्रम से खोजते हैं। ऐसा ज्ञान इस संसार से नहीं आ सकता; अवश्य है कि यह स्वर्ग से आए; और परमेश्वर ने उसे आपको नीतिवचन की पुस्तक में दिया है। युवाओं को इस अनमोल ज्ञान की आवश्यकता है।

विवेक सही और ग़लत का भेद जानता है। विवेक जानता है कि किसी काम को कैसे, कब और क्यों करना है या क्यों नहीं करना है। यह एक स्थिति को समझता है और इसके अवसरों का लाभ उठाता है या इसके खतरों से बचता है। यह किसी भी मामले में उसकी खूबी या नैतिकता को सही ढंग से आंकने के लिए सभी मौजूद कारकों को समझदारी से परखता है और उनमें विभाजन करता है। जवानों को अपनी मूर्खता और अनुभवहीनता को सुधारने के लिए विवेक की आवश्यकता होती है।

हे जवान, तुझे इन नीतिवचनों की ज़रूरत है। उनके बिना तू जीवन में चोट ही खाएगा और तू उनके व्यवहारिक उपयोग के द्वारा जो बन सकता था, वह तू कभी बन नहीं पाएगा। उनके व्यवहारिक उपयोग से तू परमेश्वर और सभी भले लोगों की दृष्टि में महान बन सकता है। तू सचमुच सफल और समृद्ध हो सकता है। ये सबक कठिन नहीं हैं। तुझे उन्हें अच्छी तरह से सीखने, उनसे प्राप्त ज्ञान को सम्भालकर रखने और उन्हें अपने जीवन के विशिष्ट निर्णयों और स्थितियों पर लागू करने के लिए हर दिन समय का निवेश करना आवश्यक है।

हे पिताओ, क्या आप नहीं जानते कि आपने अपने बच्चों को क्या सिखाना है? आप उन्हें सुलैमान के नीतिवचन सिखाएं! वे इसी उद्देश्य के लिए प्रेरित किए और लिखे गए थे। आपने जीवन में और भी जो कुछ सीखा है, वह केवल उस हद तक मान्य और वैध है, जिस हद तक वह नीतिवचनों और शेष बाइबल से सहमत है। इस संसार के ईश्वर-रहित तत्वज्ञानियों का ज्ञान एक त्रासदी है। अपने आपसी सुख और अपने परिवार की समृद्धि के लिए उन्हें स्वर्ग से उतरा प्रेरित ज्ञान सिखाएं।

अगर आपको लगता है कि आप पहले से ही चतुर बुद्धिवाले, ज्ञानी और विवेकशील हैं, तो ये नीतिवचन आपके लिए नहीं हैं। आप स्वयं को धोखा देनेवाले और आत्म-धर्मी मूर्ख और तिरस्कारी हैं, और जल्द ही आपकी मुलाकात आप की अन्तिम नियति से होगी। परमेश्वर, बुद्धि और बुद्धिमान मनुष्य आपकी विपत्ति पर हंसेंगे (नीति 1:20-32)। यदि आप अपने आप को कुछ समझते हैं, जबकि आप कुछ भी नहीं हैं, तो आपने केवल अपने आप से झूठ बोला है (गला. 6:3)। परमेश्वर को महिमा दे, और अपने अहंकार से पश्चात्ताप करे।

परन्तु यदि आप अपने भोलेपन को पहचानते हैं और ज्ञान तथा विवेक की अपनी आवश्यकता को स्वीकार करते हुए आते हैं, तो ये नीतिवचन आपके लिए हैं। परमेश्वर की कृपा और इन नियमों को अपने जीवन में परिश्रम से लागू करने पर, आप अत्यधिक बुद्धिमान हो सकते हैं और अपने आप को मूर्खों के मार्ग से बचा सकते हैं। आज आप क्या करेंगे? क्योंकि आज आपके शेष जीवन का पहला दिन है, और वह अन्तिम भी हो सकता है! आप अपने हृदय पर इस बुद्धि को लागू करने के लिए इस दिन को फिर कभी भी वापस नहीं पाएंगे।