नई दिल्ली: फेसबुक ने म्यांमार के सेना प्रमुख जनरल मिन ऑन्ग हलांइंग समेत कई सैन्य अफसरों के अकाउंट को ब्लॉक कर दिया है. फेसबुक का कहना है कि सैन्य अफसरों ने फेसबुक पर फेक न्यूज और नफरत भरे लेख पोस्ट किए थे. फेसबुक के मुताबिक, इन सैन्य अफसरों से संबंधित 19 फेसबुक अकाउंट, 52 फेसबुक पेज और एक इंस्टाग्राम अकाउंट को ब्लॉक किया गया है।
फेसबुक ने इन लोगों के पेज पर पोस्ट किए गए लेख और ऐसे डाटा को भी हटा दिया है, जिससे खतरा हो सकता था. ऐसा संयुक्त राष्ट्र की जांच अनुशंसा के बाद किया गया है. जांच की अनुशंसा में कहा गया है कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई में जनसंहार के लिए उन पर अभियोग चलाया जाए।
Facebook has banned 20 organizations and individuals in Myanmar, including a senior military commander, from using its service and acknowledged that it was "too slow" to prevent the spread of "hate and misinformation" in the country https://t.co/iJbYp5xb93
— CNN (@CNN) August 27, 2018
लंबे समय से सेना के शासन में रहे इस देश में फेसबुक खबर और सूचना प्राप्त करने का प्राथमिक स्रोत है. लेकिन, यह मंच सेना और कट्टरपंथी बौद्धों के घृणा फैलाने वाले भाषणों तथा रोहिंग्याओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काने वाले पोस्ट करने का मंच भी बन गया है. संयुक्त राष्ट्र जांचकर्ताओं ने इस साल की शुरुआत में फेसबुक की आलोचना की थी. फेसबुक ने कहा, ‘हम फेसबुक से म्यांमार के 20 लोगों और संगठनों को बैन कर रहे हैं, जिसमें सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन ऑन्ग हलांइंग शामिल हैं।
फेसबुक के मुताबिक, हम ऐसे लोगों को रोकना चाहते हैं, जो हमारी सेवाओं का इस्तेमाल धार्मिक और जातिवादी विवादों को भड़काने में कर रहे हैं. इन सभी पेजों और अकाउंट्स को करीब 1.20 करोड़ लोग फॉलो कर रहे थे. फेसबुक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय के लिए काम कर रहे जांचकर्ताओं की रिपोर्ट ने आरोप लगाया गया है कि फेसबुक नफरत फैलाने वाले लोगों के लिए एक उपयोगी साधन रहा है।
फेसबुक ने अपने बयान में साथ ही कहा कि वह इन्हें जातीय और धार्मिक तनाव को आगे बढ़ाने के लिए उसकी सेवा का इस्तेमाल करने से रोकना चाहता है. सेना प्रमुख के दो ऐक्टिव फेसबुक अकाउंट हैं. एक में इनके 13 लाख फॉलोअर हैं और दूसरे में 28 लाख हैं।
पिछले साल अगस्त में आतंकी संगठन अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी ने म्यांमार की पुलिस और सेना की करीब 30 चौकियों पर हमला किया था. इसके बाद प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी थी. करीब सात लाख रोहिंग्याओं ने जान बचाने के लिए बांग्लादेश में शरण ली थी. रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार अपना नागरिक नहीं मानता. सरकार उन्हें गैरकानूनी प्रवासी बांग्लादेशी मानते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगाती है. यूएन ने इस नरसंहार को जातीय सफाई करार दिया था।