कांग्रेस ने सोमवार (10 जुलाई) को भारतीय कंपनियों द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए चीनी मुद्रा युआन का उपयोग करने पर आपत्ति जताई और आश्चर्य जताया कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए पसंदीदा मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर की जगह लेने की चीनी परियोजना में मदद कर रही है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, ‘कुछ निजी रिफाइनरों के अलावा यहां तक कि सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इंडियन ऑयल ने भी युआन में भुगतान करने की सूचना दी है, जबकि भारतीय उपभोक्ताओं को कच्चे तेल के सस्ते आयात से कोई लाभ नहीं मिला है, एक रुपये का भी लाभ नहीं. इससे चीनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हमें क्रोनोलॉजी समझने की जरूरत है. मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 18 बार मिले. चीन हमारी जमीन हड़प लेता है और हमारे गांवों का नाम बदल देता है. प्रधानमंत्री कहते हैं कि कोई घुसपैठ नहीं हुई है. चीनी सैनिकों ने हमारे 20 सैनिकों को मार डाला, लेकिन चीन के साथ व्यापार बढ़ गया.’
उन्होंने कहा, ‘हम अपने ही क्षेत्र से हट गए हैं, जहां भारतीय सेना पारंपरिक रूप से गश्त करती थी. अब हम देखते हैं कि भारतीय कंपनियां चीनियों को उनकी मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में मदद कर रही हैं.’
मोदी सरकार चीनी करंसी (युआन) में पेमेंट कर हर दिन 2.17 मिलियन बैरल रूसी तेल इम्पोर्ट कर रही है।
वहीं, चीनी सरकार का मुखपत्र Global Times कसीदे गढ़ रहा है कि मोदी सरकार युआन को 'ग्लोबल करंसी' बना रही है।
सवाल है कि हम अपनी करंसी में पेमेंट क्यों नहीं रहे हैं?
: @GouravVallabh… pic.twitter.com/KQJ4akOy4y
— Congress (@INCIndia) July 10, 2023