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“मोदी” भारत में इस्लामोफोबिया की वजह हैं : अमेरिकी थिंक टैंक

पार्सटुडे – एक शोध के अनुसार, भारत की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं द्वारा 450 से अधिक हेट स्पीच दी गए जिनमें से 63 के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार थे।

एक अमेरिकी थिंक टैंक ने भारत में मुस्लिम विरोधी नफ़रती भाषण में उल्लेखनीय वृद्धि की ख़बर दी है।

पार्सटुडे के मुताबिक, इस सर्वे में इस्लामोफ़ोबिया के तेज़ होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक माहौल को ज़िम्मेदार ठहराया गया है।

इंडिया हेट लैब (India Hate Lab) (आईएचएल) (IHL) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफ़रती भाषणों की संख्या 2023 में 668 से बढ़कर 2024 में 1165 हो गई है जो 74.4 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि को ज़ाहिर करता है। आईएचएल ने कहा कि हक़ीक़त यह है कि 2024 एक आम चुनाव का साल था जिसने मुस्लिम एंटी मुस्लिम हेट स्पीच के पैटर्न को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रिपोर्ट के अनुसार, 98.5 प्रतिशत नफ़रती भाषणों में मुसलमानों को निशाना बनाया गया, जिनमें से दो-तिहाई से अधिक भाजपा या उसके सहयोगियों द्वारा नियंत्रित राज्यों में हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी नेताओं द्वारा 450 से अधिक हेट स्पीच दी गयी जिनमें से 63 के लिए ख़ुद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार थे।

इस्लामोफ़ोबिया पर जर्मन मुसलमानों की सर्वोच्च परिषद ने दी चेतावनी

जर्मन मुसलमानों की सर्वोच्च परिषद ने देश में मुसलमानों के ख़िलाफ इस्लामोफोबिया, नफरत और हिंसा में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। इस मुस्लिम परिषद ने बताया कि 2023 में इस देश में मस्जिदों पर 70 हमलों सहित इस्लाम विरोधी अपराधों के 1464 मामले दर्ज किए गए जो पिछले वर्ष की तुलना में 140 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को ज़ाहिर करते हैं।

इस संबंध में, CLAIM संगठन ने मुसलमानों के खिलाफ नस्लभेदी अपराधों के लगभग 1926 मामलों को भी दर्ज किया है जबकि हेजाब वाली महिलाएं इन हमलों का सबसे ज़्यादा शिकार रही हैं। ऐसा कहा जाता है कि इनमें से बड़ी संख्या में मामले इज़राइल-संबद्ध आंदोलनों के इशारों पर इज़राइल समर्थित संगठनों और संस्थाओं द्वारा किए गये हैं।

स्पेन में इस्लामोफ़ोबिया

मोरक्कन एसोसिएशन फॉर द इंटीग्रेशन ऑफ इमिग्रेंट्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि स्पेन में 47.5 प्रतिशत मुसलमान नस्लभेदी हमलों का निशाना बने हैं लेकिन केवल 6 प्रतिशत ने ही आधिकारिक रूप से शिकायत दर्ज करने की हिम्मत दिखाई है।इस एसोसिएशन की जांच के नतीजों से पता चला कि मुसलमानों, खासकर मोरक्को के लोगों के प्रति नस्लभेद और नफरत की वजह से होने वाले भेदभाव के मामले चिंताजनक स्तर पर बरक़रार हैं।

“इस्लाम से भेदभाव की निंदा और एक सुधारात्मक तंत्र के रूप में न्याय की पुष्टि” शीर्षक के तहत अंजाम पाने वाले एक शोध के अनुसार, जिसमें 28 से 65 वर्ष के बीच के 584 मुसलमानों को शामिल किया गया था, मुसलमानों के खिलाफ संगठित भेदभाव और इस्लामोफोबिया की घटना एक ऐसा मुद्दा है जिसका शिकार स्पेन में मुसलमान हैं।