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मैसुरु दशहरा उत्सव संपन्न

मैसुरु : दुनिया भर में प्रसिद्ध 10 दिन चलने वाला मैसुरु दशहरा उत्सव बुधवार को भव्य जुलूस के साथ संपन्न हो गया।

कोविड के कारण दो साल बाद पूरी भव्यता से आयोजित इस ‘नादा हाब्बा’ (राजकीय उत्सव) या दशहरा या ‘शारण नवरात्रि’ (शारदीय नवरात्रि) में कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति के साथ-साथ पुरानी राजशाही की भी झलक देखने को मिली।

हजारों की संख्या में लोगों ने ‘जम्बू की सवारी’ देखी। दर्जन भर हाथियों का नेतृत्व कर रहे अभिमन्यु के 750 किलोग्राम वजनी हौदे में मैसुरु के राजपरिवार की कुलदेवी ‘माता चामुण्डेश्वरी’ की प्रतिमा रखी थी।

दशहरे के अंतिम दिन भव्य जुलूस की शुरुआत मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने ‘नंदी ध्वज’ की पूजा करके की। जुलूस मकर लग्न के शुभ महूर्त में दोपहर 2:36 मिनट से 2:50 बजे के बीच अम्बा विलास महल से रवाना हुआ।

जुलूस में तमाम कलाकारों, सांस्कृतिक समूहों, सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हुई विभिन्न जिले की झांकियों को शामिल किया गया था।

गौरतलब है कि कोविड के कारण पिछले दो साल से जुलूस सिर्फ अम्बा विलास पैलेस के परिसर में निकाला जा रहा था।

‘नंदी ध्वज’ की पूजा के बाद बोम्मई ने विजयदशमी के अवसर पर लोगों को बधाई दी और कहा कि वह मां दुर्गा से राज्य और उसके लोगों की समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना करते हैं।

यहां, पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘इस साल दशहरे का भव्य आयोजन हुआ है, लाखों लोगों ने उत्सव में हिस्सा लिया। नौ दिनों में आयोजित सभी कार्यक्रम सफल रहे हैं और राजकीय उत्सव का सही मायनों में आयोजन हुआ है।’’

उन्होंने उत्सव की सफलता के लिए जिला प्रशासन, अधिकारियों और मैसुरु की जनता को धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री ने माता चामुण्डेश्वरी की प्रतिमा हाथी के हौदे में रखे जाने के बाद शाम करीब 5:38 बजे जुलूस को हरी झंडी दिखायी। इस दौरान मैसुरु राजपरिवार के उत्तराधिकारी यदुवीर कृष्णदत्ता चामराजा वाडियार, जिले के प्रभारी मंत्री एस. टी. सोमशेखर, कन्नड़ और संस्कृति मंत्री वी. सुनील कुमार, मैसुरु शहर के मेयर और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने जुसूल में हिस्सा लिया।

दशहरे के अवसर पर ‘विजयदशमी’ के दिन निकलने वाला जुलूस बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।