धर्म

मैंने पवित्र क़ुरान के बारे में और मुसलमानों के बारे में निम्नलिखित बातें सुनी थी…By…meghraj singh


वाया : UniQa Sahbaz Khan
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पवित्र क़ुरान का बहुत बड़ा रहस्यमय सच आया सामने जिसका हम कर रहे हैं पूरी दृढ़ता से ख़ुलासा —-
जानिए क्या रहस्यमय सच है —
पवित्र क़ुरान में धर्म के ख़िलाफ़ एक भी शब्द नहीं लिखा हुआ है और नाही किसी धार्मिक इंसान के ख़िलाफ़ कुछ लिखा हुआ है अगर किसी धार्मिक इंसान को ऐसा लग रहा है कि पवित्र क़ुरान में धर्म के ख़िलाफ़ या धार्मिक इंसान के ख़िलाफ़ कुछ लिखा हुआ है तो उसको हम विचार चर्चा में बुलाना चाहते हैं अगर विचार चर्चा में वह यह साबित कर देते हैं कि पवित्र क़ुरान में धर्म के ख़िलाफ़ कुछ लिखा हुआ है या किसी धार्मिक इसान के ख़िलाफ़ कुछ लिखा हुआ है तो उसको हम 21 लाख रुपये नाम के देंगे अगर वह यह साबित नहीं कर पाए तो हम उनसे 11, लाख रुपये जुर्माने के लेंगे ।
इस विचार चर्चा में केवल धार्मिक लोग ही भाग ले सकते हैं ।

Part 2
आदरणीय प्यारे साथियों मैंने पवित्र क़ुरान को 28 जून को रात को दस बजे पढ़ना शुरू किया था मैने तक़रीबन बीस पच्चीस पन्ने रोज़ पड़े हैं और पढ़ते पढ़ते 4 अगस्त को शाम को 4 बजे पवित्र क़ुरान को पढ़कर मैंने पूरा कर दिया इस क़ुरान को पढ़ने के लिए मेरे 38 दिन लगे हैं ।
पवित्र क़ुरान को पढ़ने के पीछे मेरा मक़सद क्या था ।
पवित्र क़ुरान को पढ़ने के पीछे मेरा मक़सद यह नहीं था कि मैं पवित्र क़ुरान को पढ़कर उसकी बुराई करूँगा या उसकी तारीफ़ करूँगा ।
पवित्र क़ुरान पढ़ने के पीछे मेरा मक़सद यह था कि जो हमने क़ुरान के बारे में और मुसलमानों के बारे में सुना है या सुना था वह सही है या ग़लत है ।
मैंने पवित्र क़ुरान के बारे में और मुसलमानों के बारे में निम्नलिखित बातें सुनी थी ।

जैसे कि —
नंबर वन —क़ुरान में दूसरे धर्मों के ख़िलाफ़ बहुत कुछ लिखा हुआ है ।
नंबर दो —मुसलमान दूसरे धर्म के लोगों को जैसे हिंदू बौद्ध ईसाई जैन सिख तथा अन्य धर्मो के लोगों को काफर समझते हैं ।
नंबर तीन—मुसलमानों को जिहाद के नाम पर आतंकवाद फैलाना सिखाया जाता है इत्यादि यह बातें हमने सुनी थी ।
(और तीन बातें हम ऐसे सोचते थे जैसे कि )
नंबर वन —क़ुरान का पैग़ाम सिर्फ़ मुसलमानों के लिए ही होता है ।
नंबर दो —पवित्र क़ुरान सिर्फ़ मुसलमानों की ही जागीर है ।
नंबर तीन— नबी मोहम्मद साहब का पैग़ाम केवल मुसलमानों के लिए ही है ।
क़ुरान पढ़ने के बाद मुझे ऐसा महसूस हो रहा है या मेरा निजी अनुभव यह कहता है कि जो ऊपर दिये गये तीन उदहारण इन उदाहरणों के बारे में मैं आज ऐसा महसूस कर रहा हूँ ।

meghraj singh

जैसे कि —
नंबर वन—क़ुरान में धर्म के ख़िलाफ़ कुछ भी लिखा हुआ नहीं है ।
नंबर दो —-क़ुरान में किसी भी दूसरे धर्म के लोगों को जैसे हिंदू सिख जैन ईसाई बौद्ध तथा अन्य किसी धर्म लोगों को काफर बिलकुल भी नहीं कहा गया बल्कि काफर उन लोगों को कहा गया है जो सच्चाई और ईमानदारी की बात को छुपा कर लोगों को गुमराह करते हैं और बेगुनाहों के ऊपर ज़ुल्म करते हैं ।
नंबर तीन —पवित्र क़ुरान के हिसाब से जिहाद का मतलब आतंकवाद नहीं होता बल्कि क़ुरान के हिसाब से जिहाद का मतलब होता है ।

जैसे कि
नंबर वन —अपने अंदर से सभी प्रकार के अवगुणो को दूर करना ।
नंबर दो —एक रब के ऊपर पूरा भरोसा करना ।
नंबर तीन —अपने जीवन में अच्छे काम करना ।
नंबर चार —अपने आप को भी और दूसरों को बुरे कामों से रोकना ।
नंबर पाँच —अपने मन में अल्लाह का डर रखना और मन से अल्लाह की बंदगी करना और पूरे विश्व में सच्चाई और ईमानदारी का पैग़ाम फैलाना इत्यादि ।
(और जो तीन बातें हमने सोची है उसके बारे में मेरे यह विचार है जैसे कि)
नंबर वन—क़ुरान का सच्चा पैग़ाम केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं है बल्कि पूरे विश्व के लोगों के लिए है ।
नंबर दो —पवित्र क़ुरान मुसलमानों की कोई निजी जागीर नहीं है क्योंकि रब की तरफ़ से जो भी वस्तु बनायी है या जितने भी सच्चे महापुरुषों के द्वारा रब के पैग़ाम इस धरती पर आए हैं वह पूरे विश्व के लोगों के लिए ही हैं ।

जैसे कि —
1 यह धरती सब के लिए फ़ायदेमंद है यह रब बनायी हुई है ।
2 यह हवा सब के लिए लाभदायक है यह भी रब की बनायी हुई है ।
3 यह पानी सबके लिए लाभदायक है यह भी रब का बनाया हुआ है ।
4 यह फल फ़्रूट और सूर्य चाँद यह सब के लिए फ़ायदेमंद हैं यह भी रब बनाए हुए हैं ।
5 यह जितने भी धर्म ग्रंथों में सच्चाई का ज्ञान है यह भी सबके लिए लाभदायक है यह भी रब के द्वारा सच्चे महापुरुष के द्वारा लिखवाया गया है ।
अैसे ही —पवित्र क़ुरान का सच्चा ज्ञान भी पूरे विश्व के लोगों के लिए लाभदायक है इसीलिए यह पूरे विश्व के लोगों की जागीर है ।
नबी मोहम्मद साहब का सच्चा पैग़ाम मुसलमानों को भी फ़ायदा पहुंचाएगा और पूरे विश्व के लोगों को फ़ायदा पहुंचाएगा यानी के नबी मोहम्मद साहब का पैग़ाम पूरे विश्व के लोगों के लिए लाभदायक है और पूरे विश्व के लोगों के लिए पवित्र क़ुरान का पैग़ाम एक समान है ।

असली मुसलमान कौन है
जो सच बोले और ईमानदारी से काम करे वही असली मुसलमान धार्मिक है ।
जो झूठ बोले और बेईमानी करे वह नक़ली मुसलमान अधार्मिक है ।
जो पूरे विश्व के लोगों से एक समान प्यार करे वही असली मुसलमान धार्मिक है ।
जो किसी के धर्म के ख़िलाफ़ नफ़रत करे वह नक़ली मुसलमान अधार्मिक है ।
जिन का ईमान ज़िंदा हो और नीयत साफ़ हो वही असली मुसलमान धार्मिक है
जिनका इमान मर गया हो और नीयत साफ़ नहीं है वह मुसलमान अधार्मिक है ।
जो मुहम्मद साहब के सच्चे पैग़ाम को सचमुच ही अपने जीवन में अपनाएंगे वह नक़ली भी असली मुसलमान बन जाएंगे
जो मुसलमान जहन्नुम का डर और जन्नत का लालच त्याग देंगे वही मुसलमान जन्नत के असली हक़दार बन जाएंगे ।
पवित्र क़ुरान के बारे में विचार चर्चा करने से पहले नीचे दिए गए 15 सवालों के जवाब देने पड़ेंगे उसके बाद ही हम पवित्र क़ुरान के बारे मे विचार चर्चा करेंगे ।

जैसे कि
1 धर्म का क्या अर्थ है या धर्म की क्या परिभाषा है ।
2 विश्व में कौन सा धर्म छोटा है और कौन सा धर्म बड़ा है ।
3 विश्व के अंदर धार्मिक इंसान की कैसे पहचान कर सकते हैं ।
4 धार्मिक इंसान के अंदर कौन कौन से गुण होने चाहिए ।
5 धार्मिक इंसान को किन किन बुराइयों से दूर रहना चाहिए ।
6 नफ़रत की उत्पत्ति इंसान के अंदर किन किन कारणों से होती है ।
7 प्यार और अपनापन इंसान के अंदर कैसे पैदा होगा ।
8 क्या इंसान जन्म से ही धार्मिक होता है या बाद में धार्मिक बनता है ।
9 धार्मिक लोग ही धर्म को छोड़कर नास्तिक बन रहे हैं इसके पीछे क्या कारण है ।
10 पूरे विश्व के अंदर ज्ञान कितने प्रकार का होता है ।
11 पूरे विश्व में कितने प्रकार के अंधे लोग होते हैं ।
12 पूरे विश्व के इंसान एक रब बनाए हैं या अलग अलग अपने बनाए हैं ।
13 पूरे विश्व का हर एक व्यक्ति दूसरों के भले के लिए कैसे काम कर सकता है ।
14 पूरे विश्व के लोग कैसे जिएंगे अमन शांति और आज़ादी से ।
15 पूरे ब्रह्माण्ड को बनाने वाला रब एक है या अनेक रब है उदाहरण देकर समझाए ।
पाँच सवाल गुप्त रखे गए हैं उन पाँच सवालों को हम विचार चर्चा के दौरान पूछेंगे ।
यह जो ऊपर दिए गए 15 सवाल है इन सवालों का जवाब सिर्फ़ धार्मिक इंसान ही जवाब दे सकता है ।

नोट -पवित्र क़ुरान के अंदर धर्म के ख़िलाफ़ कोई भी बात नहीं लिखी हुई है और नाही किसी धार्मिक इंसान के ख़िलाफ़ कोई बात लिखी हुई है अगर कोई भी धार्मिक इंसान इस बात को साबित करेंगे के पवित्र क़ुरान में धर्म के ख़िलाफ़ कोई बात लिखी हुई है या किसी धार्मिक इंसान के ख़िलाफ़ कोई बात लिखी हुई है तो उसको हम 21 लाख रुपये इनाम के देंगे अगर वह साबित नहीं कर पाए तो उनसे हम 11 लाख जुर्माने के लेंगे विचार चर्चा के दौरान हमारा मक़सद हारना और हराना नहीं है ज्ञान सीखना और सिखाना है अगर कोई हमें हराना चाहता है या खुदा मारना चाहता है तो हम इसके लिए भी हम तैयार रहेंगे ।

नोट 2 —अगर कोई मुस्लिम प्रचारक इस विचार चर्चा में हमारा साथ देना चाहता है तो उसको भी हम इस विचार चर्चा में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगे ।

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( M S Khalsa)