साहित्य

मेरे पास तुम नहीं हो…..

Puspita Chatterjee
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আমার কোনো তুমি নেই
পুষ্পিতা চট্টোপাধ্যায়
আজকাল আমি আর তুমি ছাড়া
কবিতার শব্দব্যঞ্জনা কেমন যেন
পানসে বোধ হয়
প্রসঙ্গত বলা ভাল
আমার কিন্তু কোন তুমি নেই
কদাচিৎ ঝুলতে থাকা
কোনো বন্ধুসুলভ তীর
হৃদয়ের এ ফোঁড় ও ফোঁড় হলে
পুরনো দিনের গান আমাকে
পাগল করে তোলে।
সতীনাথ মুখোপাধ্যায়ের পদতলে
উগড়ে দিই যাবতীয় দুঃখপাতা মন
অনুপ মান্না কিম্বা জগন্ময়ের গানে
হাতড়ে হাতড়ে খুঁজি
জীবনের সবচেয়ে বড় হাহাকার
আবার একা হতে হতে
আমার বহু হারানো
স্মৃতিসঙ্গী নিঃসীম শূন্য আড়াই তলাকেই
প্রেমিক মনে করে ছুঁয়ে দেখি।
ঘরের দেয়ালে ঝুরঝুরে কান্নারা
সজল হয়ে নেমে আসে গড়িয়ে গড়িয়ে।

मेरे पास तुम नहीं हो
पुष्पिता चट्टोपाध्याय

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आज कल तेरे मेरे बिना
कुछ तो शायरी की आवाज़
पांस को ऐसा लगता है
संदर्भ कहना बेहतर है
मेरे पास तुम नहीं हो लेकिन
बस लटका रहा हूँ
कोई दोस्ताना तीर
अगर ये दिल का कतरा और दिल का कतरा
पुराने दिनों का गीत मेरे लिए
मुझे पागल कर देता है
सतीनाथ मुखोपाध्याय के पद चिन्हों पर
मैं सभी उदास दिमाग को उड़ा देता हूँ
गाने में अनूप मन्ना या जगन्मय
हाथ में हाथ की तलाश
जीवन का सबसे बड़ा विलाप
फिर से अकेला होना
मैंने बहुत कुछ खोया है
स्मृति साथी अनंत खाली ढाई मंजिल
मैं अपने प्रेमी को छूता हूँ सोचता हूँ।
घर की दीवार पर रोता हुआ
फूल की तरह नीचे आता है।