साहित्य

मेरी शादी के तीसरे दिन मुझे पीरियड्स आने वाले थे, और…

Harish Yadav
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मेरी शादी के तीसरे दिन मुझे पीरियड्स आने वाले थे, और उस पर से मेरी परीक्षा भी थी। पूरी रात मैं सोचती रही कि इन नई जिम्मेदारियों के बीच परीक्षा कैसे दूँगी।

अगली सुबह मेरी ननद, आरती, ने मुझे जगाते हुए कहा, “भाभी, बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं, उठिए और तैयार हो जाइए, वरना भीड़ बढ़ जाएगी, और गीले बालों के साथ बाहर कैसे जाएँगी?” मैं चुपचाप उठी, नहाकर कमरे में लौटी और फिर से अपनी किताबें उठा लीं। इस बीच लोग मुझे देखने आते, पैसे और मिठाइयाँ देते, लेकिन मेरा ध्यान केवल पढ़ाई पर था।

घड़ी देखी तो साढ़े आठ बज चुके थे। नौ बजे तक मुझे परीक्षा देने निकलना था, लेकिन मैं तैयार भी नहीं हुई थी। साड़ी पहनने के लिए आईने के सामने खड़ी हुई, लेकिन कितनी भी कोशिश करूँ, साड़ी सही से नहीं पहनी जा रही थी। हारकर मैं बैठ गई और मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। माँ की बात याद आई, “शादी से पहले परीक्षा पूरी कर लो।” लेकिन किसी ने मेरी बात सुनी ही नहीं।

तभी मेरे पति, आदित्य, कमरे में आए और बोले, “तैयार नहीं हुईं? गाड़ी आ गई है, जल्दी करो।” मैंने फिर से साड़ी पहनने की कोशिश की। उसी वक्त मेरी सास, कमला जी, कमरे में आईं और बिना कुछ कहे मेरी परेशानी समझ गईं। उन्होंने आरती से कहा, “आज इसे सूट पहनने दो, दिन संभाल लेगी।”

मेरी सास ने मुझे प्यार से समझाया, “आज कोई कुछ भी कहे, लेकिन जब कल तुम नौकरी करोगी, तो सबकी सोच बदल जाएगी।” उनके इन शब्दों ने मुझे हिम्मत दी। मैंने उनकी ओर देखा, और उन्होंने प्यार से मेरे सिर पर हाथ रखा और आशीर्वाद दिया।

वो चली गईं, और जब मैंने आईने में देखा, तो आदित्य मुझे मुस्कुराते हुए देख रहे थे।

ये रीति-रिवाज किस काम के, जो हमारी बेटियों और बहुओं को आगे बढ़ने से रोकें?