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मेरा नाम औरंगज़ेब है…मैं हमेशा संगीन मुजरिम क़रार दिया गया…

मेरा नाम औरंगजेब है मैं हमेशा संगीन मुजरिम करार दिया गया , क्यूंकि मैंने दीने इलाही नहीं चलायी क्यूंकि मैंने अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज़ को कुचल देता हूँ , क्यूंकि मैं शासक हूँ, क्यूंकि मैंने देश-हित के नाम पे दारा को मरवा दिया, क्यूंकि मेरे बाप ने मेरे साथ नइंसाफी की,क्यूंकि मेरे हरम में रानियाँ नहीं हैं , जितनी मेरे पूरवज शौक़ से रखा करते थे….. क्यूंकि मैंने कभी सरकारी माल से अपना पेट नहीं भरा, क्यूंकि मैं अपने साम्राज्य को काबुल से लेकर कन्याकुमारी तक फैला देना चाहता हूँ क्यूंकि मैं अपनी बिमारी की हालत में भी देश की इत्तिहाद के लिए दौड़ता रहता हूँ क्यूंकि पहली बार जुनुबी भारत में मैंने एक बेहद ताक़तवर मालगुजारी का बन्दोबस्त किया . क्यूंकि मैंने ताजमहल,हवा महल, तख्ते ताऊस बनवाकर अपनी रियाया के खून पसीने की कमाई को अपनी अय्याशियों और शौक़ में बर्बाद नहीं कर सकता हूँ.. क्यूंकि मुझे चीनी मिटटी के बर्तन, करोंदे और सुपारी से प्यार है क्यूंकि मैंने हिराबाई से मोहब्बत की थी.. और उसके मरने के बाद मैं अन्दर टूट गया हूँ… क्यूंकि मैं हवाई, आडंबर से भरे, और चाटुकारी अदब से नफरत करता हूँ, क्यूंकि मैंने फारसी का एक ऐसा लुगत तैयार करवाया जिससे मैं हिंदी ज़बान सीख सकूं क्यूंकि मैं वीणा बजाने में बहुत माहिर हूँ, क्यूंकि मेरे राज में संगीत जितनी ऊंचाई को पहुंचा है

उतना कभी इस देश ने देखा नहीं है.. क्यूंकि मैंने मथुरा और बनारस के मंदिरों को बर्बाद करवा दिया क्यूंकि मैंने गोलकुंडा की मस्जिद को तबाह कर डाला क्यूंकि मैंने सोमेश्वर नाथ का महादेव मंदिर, कशी विश्वनाथ मंदिर, बालाजी का मंदिर, उमानंद का मंदिर, जैन मंदिर, शुमाली हिंदुस्तान के गुरुद्वारों को अपनी जागीरें दान की हैं… क्यूंकि मैंने मुहर्रम खान से कहा है की दुनियावी मामलों में मज़हब का कोई दखल नहीं होता और सुलतान की आँखों में इन्साफ सबसे ऊपर होता है.. क्यूंकि मीर हसन से मैंने कहा है कि ब्रह्मपुरी पुँराना नाम था.. उसे इस्लामपुरी में तब्दील कर तुमने गलत किया है.. क्यूंकि मैंने उस गरीब ब्रह्मण के चोरी हुए शिवलिंग को अपने कड़े फरमान ज़ारी कर ढूंढवा कर दिया … क्यूंकि बनारस के उस गोसाईं को परेशां करने वाले मुसलमानों के खिलाफ मैंने सख्त फरमान दिए हैं.. इन सारे जुर्मों का मैं ऐतराफ तो करता हूँ… लेकिन कह देता हूँ.. मुझे मुजरिम सिर्फ इसलिए करार दिया गया क्यूंकि मैं अकबर नहीं हूँ…. मेरा नाम औरंगजेब है…

डॉक्टर शाहवाज़ अली खान की कविता