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मृत व्यक्ति को अपने सामने खड़ा देख अदालत सकते में रह गई!

नई दिल्ली: सड़क हादसे से जुड़े एक मामले में मृत घोषित व्यक्ति को अपने सामने खड़ा देख पटियाला हाउस कोर्ट की एक सेशन अदालत सकते में रह गई। अदालत को अपने साथ धोखा होने की आशंका हुई, जो पुलिस और पीड़ित के अलग-अलग दावों से और गहरा गई। दिल्ली कैंट थाने के एक कॉन्स्टेबल ने अदालत में कहा कि उसे पीड़ित के पिता ने उसकी मौत का प्रमाणपत्र (डेथ सर्टिफिकेट) दिया था। जबकि, पीड़ित ने दावा किया कि उसके पिता का देहांत 1998 में ही हो चुका है।

हैरान रह गई अदालत
वाक्या इसी साल 30 जनवरी का है। एडिशनल सेशन जज हरजोत सिंह भल्ला एक्सीडेंट से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान मामले में पीड़ित नरेंद्र कुमार बिष्ट जज के सामने हाजिर हुआ। यह वही व्यक्ति था, जिसकी एक्सीडेंट में मौत का प्रमाण पत्र अदालत के सामने रखा था। उसमें उसके पिता का नाम और घर का पता भी वही था, जो इस व्यक्ति ने अदालत में बताया। हैरान अदालत ने पुलिस से पूरी कहानी समझनी चाही। जवाब में दिल्ली कैंट थाने में तैनात कॉन्स्टेबल अशोक कुमार ने अदालत से कहा कि उन्हें मृतक के पिता जसवंत सिंह ने उसके डेथ सर्टिफिकेट की फोटोकॉपी मुहैया कराई थी। जबकि, पीड़ित ने दावा किया कि उसके पिता जसवंत सिंह का देहांत तो 1998 में ही हो चुका है।

3 मार्च को होगी अगली सुनवाई
तब अदालत को यकीन हो गया कि निश्चित रूप से उसके साथ कोई धोखा हुआ है। नरेंद्र ने अपनी सही पहचान की पुष्टि के लिए अपना आधार कार्ड भी अदालत के सामने रखा। इसके बाद अदालत ने संबंधित डीसीपी को निर्देश दिया कि वह मामले में तत्काल छानबीन करें और जरूरत लगे तो जांच भी कराएं। उन्हें यह पता लगाने के लिए भी कहा गया कि क्या किसी ने नरेंद्र या उनकी मां की मौत के आधार पर मुआवजे के लिए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) में दावा किया है। इस केस में अब अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी।