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सूखी लकड़ी, उपले आग को तेज़ करने के लिए चावल के छिलका…अरूणिमा सिंह की क़लम से
अरूणिमा सिंह ============== सुबह सुबह चार-पांच बजे ही गांवों में चिडियों की चहचाहट, गाय भैंसों के रमभाने की आवाज शुरू हो जाती है। घर के बड़े बुजुर्ग जग कर कुल्ला मंजन करके बिस्तर पर बैठ जाते हैं कि चाय बने तो मिले! छोटे बच्चे तो अपनी माँ संग ही उठ जाते हैं। माँ उनका हाथ-मुहँ […]
एक इजाज़त दे दो बस, जब इसको दफ़नाऊँगी…
गाड़ी में जैसे ही fm ऑन किया सागर फ़िल्म के गीत के ये बोल बज रहे थे…. सुनते थे हम ये ज़िन्दगी ग़म और ख़ुशी का मेल है हमको मगर आया नज़र ये ज़िन्दगी वो खेल है कोई सब जीते सब कोई हार दे अपनी तो हार है यार मेरे हाँ यार मेरे…… हमारी कॉलेज […]
मिल गई फुर्सत घर आने की…हेमलता गुप्ता स्वरचित
मिल गई फुर्सत घर आने की, अरे घर में है कौन तुम्हारे लिए, बाहर जाओ घूमो फिरों मटरगश्ती करो और हां …मैंने खिचड़ी बनाकर रख दी है गर्म करके खा लेना और सारे बर्तन और रसोई को साफ कर देना, मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रही हूं। सुनो ना.. टीना, आज मेरा एक […]