मुज़फ़्फ़रनगर: भारतीय लोकतंत्र और भारतीय संस्क्रति को कलंकित कर देने वाले सम्प्रदायिक दँगे, जिनमें गरीबों के सिर से छत और मुँह से निवाला छिन जाता है,इज़्ज़त ओ आबरू सस्ती होजाती हैं,इंसान जानवर बनकर एक दूसरे को मारने पर आमादा रहता है ऐसी ही सूरत हाल उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में भड़के दँगोँ के समय हुई थी जब मां के सामने बेटी की इज़्ज़त लूटी गई तो जवान बेटे को बाप के सामने मार डाला गया।
दँगे 2013 में हुए थे उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी,दँगोँ में पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिये अपराधियों पर मुक़दमे दर्ज हुए जिससे पीड़ितों को उम्मीद थी कि इंसाफ होगा लेकिन वक़्त के साथ कुर्सी बदली तो इंसाफ का पैमाना भी बदला हुआ नज़र आरहा है और दोषियों को सरकार माफ़ करने का ऐलान कर रही है।
जिसके कारण दँगोँ में पीड़ित मुक़दमे वापसी को ज़ख्मों को फिर से हरा करने जैसा बता रहे हैं,पीडितों से जब इस बारे में बात हुई तो मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा योगी जी म्हारे ज़ख्मों को हरा न करो जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुजफ्फरनगर और शामली में रहने वाले पीड़ित इस फैसले से कितना आहत है,पीड़ितों ने मांग करी है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए, उन्हें हर हाल में कानून के अंजाम तक पहुंचाया जाए. हां, अगर कहीं झूठे मुकदमे हैं तो सरकार उन्हें जांच के बाद वापस ले सकती है।
दंगा पीड़ितों में दोनों समुदायों के लोग शामिल हैं. मुजफ्फरनगर दंगों के पांच साल बाद भी इसका दर्द पीड़ितों के चेहरे पर साफ देखा जा सकता है. शामली में झुग्गी झोपड़ियों में रहने को मजबूर पीड़ितों ने दंगों में जहां अपनों को खोया वहीं अपने घरों से भी बेघर होना पड़ा. जैतून नाम की महिला का कहना है कि उनके घर जला दिए गए, उनके अपनों को मार दिया गया और सरकार दंगा आरोपियों से मुकदमे वापस लेने की बात कर रही है जो सरासर गलत है. इन पीड़ितों का कहना है कि हत्या के दोषियों को फांसी दी जानी चाहिए. मुन्नी नाम की एक महिला का कहना है कि उनके साथ जो हुआ, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
मुन्नी ने कहा, ‘हमारे घर जला दिए गए हमें झुग्गी झोपड़ियों में बसेरा बनाना पड़ा. बीजेपी सरकार आरोपियों पर से मुकदमे वापस लेने की बात कह रही है. यह फैसला हमें किसी सूरत में मंजूर नहीं. आरोपियों को जेल से बाहर नहीं आने देना चाहिए.’ मुजफ्फरनगर के शाहपुर थाना के तहत आने वाले कांकड़ा गांव मुक़दमा वापसी की बात सुनकर पीड़ितों की आँखें छलछला उठी।
बता दें कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली दंगों से जुड़े 131 केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वापस किए जाने वाले इन मुकदमों में हत्या के 13 और हत्या के प्रयास के 11 मामले शामिल हैं.
योगी सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक का कहना है कि जो मामले राजनीतिक दुर्भावना के तहत दर्ज किए गए थे, सरकार उन्हें वापस लेगी. समाजवादी पार्टी इस मुद्दे पर योगी सरकार पर जम कर निशाना साध रही है.
सूत्रों के मुताबिक 5 फरवरी को सांसद संजीव बालियान और विधायक उमेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे और उन्होंने 161 लोगों की लिस्ट उन्हें सौंपी थी, जिनके केस वापस लेने की मांग की गई थी. इसके बाद यूपी सरकार ने चिट्ठी मुजफ्फरनगर और शामली प्रशासन को भेजी है