नई दिल्ली: इस्लामिक मान्यता और मर्यादा को ध्यान में रखने वाली खाड़ी देश क़तर की धावक शरीयत की पक्की सच्ची पैरोकार है,जिसका उन्होंने स्कार्फ के साथ दौड़ने की बात का ऐलान करके कहा है।
हिजाबी धावक मरियम फरीद ने कहा है कि वो ज़िन्दगी में आगे भी स्कार्फ पहनकर दौड़ेंगी, उन्हें धर्म के साथ फैशन में कोई दिक्कत नही है,लेकिन वो कभी अपनी पहचान के साथ समझौता नही करेंगी।
मरियम अगले साल कतर में होने वाली आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटी हैं। उन्हें 400 मीटर बाधा दौड़ में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।
मरियम ने कहा, ‘मैं शुरू में लंबी शर्ट पहनती थी। बाद में छोटी शर्ट पहनने लगी। मैं अब कुछ और आसान व आरामदायक खोजने की कोशिश कर रही हूं।
इससे (हिजाब) मेरी तेजी प्रभावित नहीं होती है। यहां तक कि अगर यह मेरी गति धीमी करता है, तो यह है, जिसमें मैं सहज महसूस करती हूं, यह मेरी पहचान है।
मरियम ने कहा कि पूरे शरीर को ढककर दौड़ने से तेजी प्रभावित नहीं होती है। ऑस्ट्रेलियाई एथलीट कैथी फ्रीमैन इसका उदाहरण हैं। वे 2000 में पूरे शरीर को ढकने वाली पोशाक पहनकर महिलाओं की 400 मीटर में ओलंपिक चैंपियन बनी थी।
मरियम हिजाब पहनने वाली अकेली एथलीट नहीं हैं। करिमन अब्दुलजादायेल जब रियो ओलंपिक खेलों में 100 मीटर में भाग लेने वाली सऊदी अरब की पहली महिला एथलीट बनी थीं तो उन्होंने भी पूरे शरीर को ढकने वाली पोशाक पहन रखी थी।
मरियम हिजाब को आधुनिक रूप देना चाहती है जो अधिकतर इस्लामी देशों में महिलाओं के लिए अनिवार्य है। वह ऐसे हिजाब तैयार करना चाहती हैं जो एक महिला की खूबसूरती में इजाफा करेगा।
उन्होंने कहा, ‘मैं खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहती हूं जो महिलाओं की युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने और प्रेरित करने में मदद करे। कोई भी ब्रांड खेलों में महिलाओं के हिजाब पहनने को लेकर गंभीर नहीं है। नए रास्ते खोलने का विचार अच्छा होगा।
मरियम ने कहा, ‘हाल में नाईकी ने मुझे एक हिजाब दिया। जो भी हो लेकिन (हंसते हुए) यह बुरा दिख रहा था। हम चाहते हैं कि नाइकी ओर एडिडास जैसे ब्रांड हमारे लिए कुछ खूबसूरत (हिजाब) तैयार करें।’ तो फिर आप कैसा हिजाब तैयार करना चाहती हैं?
इस सवाल पर मरियम ने कहा, ‘खूबसूरत। मुझे अजीब नहीं दिखना चाहिए। सिर्फ स्कार्फ पहनने के कारण मेरी खूबसूरती कम नहीं होनी चाहिए। यह फैशनेबल होना चाहिए। निश्चित तौर पर धर्म और फैशन साथ चल सकते हैं।