नई दिल्ली: जर्मनी जैसे नस्लीय भेदभाव वाले देश मे अपनी धार्मिक मान्यताओं पर पूरी हिम्मत और जोश के साथ चलने वाले 29 वर्षीय फुटबॉलर मेसुत ओज़िल ने जर्मनी टीम को छोड़ने का ऐलान किया है,जिसके पीछे उन्होंने अपने साथ होरहे भेदभाव को सबसे बड़ा कारण बताया है।
मीडिया में चल रही चर्चाओं के अनुसार जर्मनी के स्टार फुटबॉल खिलाड़ी मेसुत ओजिल ने नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाते हुए आगे से जर्मनी के लिए न खेलने की घोषणा की है. फीफा विश्व कप-2018 में जर्मनी के पहले ही दौर में बाहर के होने के बाद देश में काफी घमासान मचा है और हार का सबसे बड़ा जिम्मेदार मेसुत ओजिल को बताया जा रहा है।
The past couple of weeks have given me time to reflect, and time to think over the events of the last few months. Consequently, I want to share my thoughts and feelings about what has happened. pic.twitter.com/WpWrlHxx74
— Mesut Özil (@M10) July 22, 2018
29 वर्षीय ओजिल तुर्की मूल के हैं और जर्मनी की राष्ट्रीय टीम के लिए खेलते रहे हैं. विश्व कप से पहले ही वे उस समय विवादों में आ गए थे जब उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोअान से मुलाकात की थी. इस मुलाकात पर जर्मन फुटबॉल एसोसिएशन ने उनसे सफाई मांगी थी।
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— Mesut Özil (@M10) July 22, 2018
इसके बाद विश्व कप में जर्मनी के शर्मनाक प्रदर्शन के चलते ओजिल पर हमले और बढ़ गए. इस सबसे व्यथित ओजिल ने टि्वटर पर अपना पक्ष रखते हुए तीन पेजों का पत्र शेयर किया है. इसमें उन्होंने लिखा है, ‘मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जब तक मेरे साथ नस्लीय आधार पर भेदभाव किया जाएगा मैं जर्मनी के लिए अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल नहीं खेलूंगा।
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— Mesut Özil (@M10) July 22, 2018
2014 की विश्व विजेता जर्मन टीम का हिस्सा रहे ओजिल ने आगे लिखा है, ‘राष्ट्रपति एर्दोअान से मुलाकात के पीछे कोई सियासत नहीं थी. मैं खिलाड़ी हूं, राजनीतिज्ञ नहीं. लेकिन इसके बाद जर्मन फुटबॉल एसोसिएशन ने मेरे साथ एेसा व्यवहार किया कि अब मेरी जर्मन जर्सी पहनने की इच्छा नहीं करती. इस जर्सी में मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, शायद उसे भुला दिया गया है.’ इसके साथ ओजिल ने कहा है, ‘जब टीम जीतती है तो हम जर्मन हो जाते हैं, लेकिन हारने पर हमें प्रवासी बताया जाने लगता है।