मुरादाबाद के छजलैट थाना के गांव दूल्हेपुर में कथित तौर पर सामूहिक नमाज़ अदा करने के आरोप में पुलिस ने 16 लोगों को नामज़द करते हुए रिपोर्ट दर्ज की है. इसके अलावा दस अन्य अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ भी रिपोर्ट लिखी गई है. पुलिस ने ये रिपोर्ट गांव के ही चंद्रपाल सिंह की शिकायत पर दर्ज की है.
इस मामले पर एसओ छजलैट दीपक कुमार ने बीबीसी से कहा, “दूल्हेपुर में एक डेढ़-महीने से सामूहिक नमाज़ पढ़ी जा रही थी. इस बारे में ग्रामीण चंद्रपाल सिंह ने 24 अगस्त को एक शिकायती पत्र दिया जिसके आधार पर 16 नामज़द और 10 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है.”
हालांकि ये मामला निजी परिसर में नमाज़ पढ़ने का है और ये भी स्पष्ट नहीं है कि मुरादाबाद के दूल्हेपुर में सामूहिक नमाज़ पढ़ने पर क्या कोई रोक है?
निजी संपत्ति में सामूहिक नमाज़ पढ़ने को लेकर एसडीएम कांठ जगमोहन गुप्ता कहते हैं, “देखिए निजी संपत्ति में इस तरह सामूहिक नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है, इसके लिए परमीशन आवश्यक है. एक परिवार के लोग तो पढ़ सकते हैं, लेकिन इधर-उधर से लोग वहां इकट्ठा होते हैं तो वहां नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है. क़ानूनी रूप से भी स्पष्ट है कि सामूहिक नमाज़ निजी संपत्ति में भी नहीं पढ़ सकते हैं, इसके लिए मस्जिद है.”
दरअसल, इस विवाद की शुरुआत इसी साल तीन जून को हुई जब गांव के मुसलमानों के सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ने पर कुछ लोगों ने एतराज़ किया और मामला पुलिस तक पहुंचा.
क्या हुआ था तीन जून को
मुस्लिम वर्ग के सामूहिक नमाज़ पढ़ने को लेकर हिन्दू वर्ग के लोगों ने आपत्ति जताई तो प्रशासन ने यहां सामूहिक नमाज़ पर पाबंदी लगा दी थी. हालांकि मुस्लिम वर्ग दावा करता है कि वे बड़े-बूढ़ों के वक़्त से सामूहिक नमाज़ पढ़ते आ रहे हैं.
इस मामले में गांव के नामजद अभियुक्त अनवार अहमद कहते हैं, “देखिये हमारे बुज़ुर्गो के वक़्त से गांव में सामूहिक नमाज़ होती आ रही है. ये पहली बार हो रहा है कि तीन जून को गांव के कुछ लोगों ने इस बारे में आपत्ति दर्ज कराई है जबकि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन इसके बावजूद भी हमने तीन जून के बाद सामूहिक नमाज़ पढ़नी छोड़ दी, फिर भी हमारे ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई, ये तो ग़लत है.”
इसी मामले में अभियुक्त बनाए गए एक अन्य ग्रामीण वाहिद अली भी हैं.
उन्होंने बीबीसी से कहा, “हमारे गांव में न तो मस्जिद है और न ही मंदिर. गांव में सैफ़ी और धोबी बिरादरियों से दस-बीस ही लोग रहते हैं. 24 अगस्त को हमारे ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई, लेकिन हमें मालूम नहीं कि ये रिपोर्ट किस आधार पर हुई है. हमने कोई सामूहिक नमाज़ अदा नहीं की है. तीन जून 2022 को जब हमने एक घर में नमाज़ अदा की थी तो गांव में हिन्दू संगठन से संबंध रखने वाले लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी. पुलिस भी गांव में आई और हमें प्रशासन ने बुलाया था. जब बात हुई तो तीन जून के बाद हमनें गांव में कोई सामूहिक नमाज़ ही अदा नहीं की, लेकिन 24 अगस्त को हमारे ख़िलाफ़ जो रिपोर्ट दर्ज हुई वो ग़लत है, हमें मालूम भी नहीं कि आख़िर किस वजह से ये रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.”
क्या कहा गया है शिकायत में?
थाना छजलैट में जो शिकायत दर्ज कराई गई है, उसमें गांव के कईं लोगों के नाम हैं, लेकिन रिपोर्ट ग्रामीण चंद्रपाल सिंह की तहरीर के बाद लिखी गई है.
बीबीसी ने मुख्य शिकायतकर्ता चंद्रपाल सिंह से बात की तो उनका कहना था, “मुस्लिम लोग नमाज़ पढ़ते हैं. नमाज़ तो पहले भी पढ़ी थी सामूहिक रूप से, एक डेढ़ महीने पहले भी पढ़ी थी, हमने वीडियो भी बना लिया था.”
ये पूछने पर कि दूसरा पक्ष ये बोल रहा है कि उन्होंने तीन जून, 2022 के बाद कोई सामूहिक नमाज़ नहीं पढ़ी तो फिर उन पर अब एफ़आईआर क्यों?
इसके जवाब में चंद्रपाल कहते हैं, “ऐसा है कि अगर नहीं पढ़ी है तो मौलाना तो हैं वहां पर. ये भी लिखकर दे दें कि हमने तीन जून को ही नमाज़ पढ़ी है, उसके बाद हमने कोई नमाज़ पढ़ी ही नहीं. चार दीवारी में सामूहिक नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है जब आपत्ति है तो.”
चंद्रपाल सिंह आगे कहते हैं कि गांव में कोई मंदिर नहीं है, ऐसे में वो दूसरे गांव में पूजा करने जाते हैं.
ANI UP/Uttarakhand
@ANINewsUP
UP| On August 24, a huge number of people gathered to offer namaz under Chhajlet PS limits; there was no mosque there, only 2 houses. After receiving a complaint, a case has been registered against the owners of both houses; both absconding, probe on: Moradabad SP SK Meena
Asaduddin Owaisi
@asadowaisi
भारत में मुसलमान अब घरों में भी नमाज़ नहीं पढ़ सकते? क्या अब नमाज़ पढ़ने के लिए भी हुकूमत/पुलिस से इजाज़त लेनी होगी? @narendramodi को इसका जवाब देना चाहिए, कब तक मुल्क में मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के शहरी का सुलूक किया जाएगा?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले में हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने भी टिप्पणी की है.
यूपी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने पूछा, “क्या भारत में मुसलमान अब घरों में भी नमाज़ नहीं पढ़ सकते क्या अब नमाज़ पढ़ने के लिए भी हुकूमत या पुलिस से इजाज़त लेनी होगी?”
Ashraful Hussain
@AshrafulMLA
Case registered for namaz inside house? Who is more bigoted here? The rotten society or the Police that registered the case?
ANI UP/Uttarakhand
@ANINewsUP
UP| On August 24, a huge number of people gathered to offer namaz under Chhajlet PS limits; there was no mosque there, only 2 houses. After receiving a complaint, a case has been registered against the owners of both houses; both absconding, probe on: Moradabad SP SK Meena (
असम से बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के एक विधायक अशरफ़ुल हुसैन ने भी सवाल पूछा, “घर के अंदर नमाज़ पढ़ने पर भी केस दर्ज. यहां ज़्यादा धर्मांध कौन है? यह सड़ा हुआ समाज या वो पुलिस जिसने केस दर्ज किया है?”
‘ज़िंदगी में पहली बार की गई ऐसी शिकायत’
इस मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद मुस्लिम पक्ष के लोग ख़ासे परेशान हैं. जिनके घर में सामूहिक नमाज़ पढ़ने का आरोप लगाया गया है, उनमें मुस्तक़ीम और अनवार अहमद के नाम शामिल हैं. इन लोगों से बीबीसी ने बातचीत की.
इनमें मुस्तक़ीम ने कहा, “अब क्या हम अपने घरों में नमाज़ भी नहीं पढ़ सकते हैं. मेरे घर में मेरे तीन भाइयों के अलावा बेटा और पिता हैं, तो क्या हम अपने घर में एक साथ नमाज़ नहीं पढ़ सकते हैं. हम तो ड्राइविंग आदि कर किसी तरह घर परिवार का ख़र्च चलाते हैं, हमें किसी और से क्या मतलब है. ये पहली बार ऐसा हो रहा है कि हमारे नमाज़ पढ़ने पर आपत्ति जताई जा रही है.”
वहीं, वाहिद अली कहते हैं, “24 अगस्त को सामूहिक नमाज़ पढ़ने के साक्ष्य मिलते हैं तो निश्चित ही कार्रवाई की जाए, लेकिन तीन जून की नमाज़ का वीडियो 24 अगस्त की दिखाकर भ्रमित किया जा रहा है, जबकि हक़ीक़त ये भी है कि दूसरे वर्ग के लोग गांव में चावण(थले) पर एक साथ पूजा अर्चना भी करते हैं.”
मुरादाबाद में सामुहिक नमाज़ पढ़ने के आरोप में दर्ज मुक़दमा वापस ले लिया गया है।
मुरादाबाद पुलिस ने घर में नमाज पढ़ने वाले 26 लोगों पर लिखा था मुकदमा…
SSP बोले- 'विवेचना में आरोप प्रमाणित नहीं होने पर केस को एक्सपंज किया जा रहा है' pic.twitter.com/onQ4WbJolq
— Ashraf Hussain (@AshrafFem) August 30, 2022
Ashraf Hussain
@AshrafFem
मुरादाबाद में सामुहिक नमाज़ पढ़ने के आरोप में दर्ज मुक़दमा वापस ले लिया गया है।
मुरादाबाद पुलिस ने घर में नमाज पढ़ने वाले 26 लोगों पर लिखा था मुकदमा…
SSP बोले- ‘विवेचना में आरोप प्रमाणित नहीं होने पर केस को एक्सपंज किया जा रहा है’