विशेष

मुझसे अकेले नहीं रहा जाता

Rajesh Kumar
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मेरी शादी मेरी मर्जी के खिलाफ एक साधारण से लड़के के साथ कर दी गई थी। उसके घर में बस उसकी माँ थी, और कोई नहीं। शादी में उसे बहुत सारे उपहार और पैसे मिले थे, पर मेरा दिल कहीं और था। मैं किसी और से प्यार करती थी, और वो भी मुझसे। लेकिन किस्मत ने मुझे यहाँ ला दिया, अपने ससुराल।
शादी की पहली रात जब वो दूध लेकर आया, मैंने उससे पूछा, “एक पत्नी की मर्जी के बिना पति उसे छूए तो उसे बलात्कार कहते हैं या हक?” उसने बस इतना कहा, “आपको इतनी गहराई में जाने की जरूरत नहीं है। मैं सिर्फ शुभ रात्रि कहने आया हूँ,” और कमरे से बाहर चला गया। मैं सोच रही थी कि झगड़ा हो जाए ताकि मैं इस अनचाहे रिश्ते से छुटकारा पा सकूं, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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मैं उस घर में रहकर भी घर का कोई काम नहीं करती थी। दिनभर ऑनलाइन रहती और न जाने किस-किस से बातें करती। उसकी माँ, बिना किसी शिकायत के, घर का सारा काम करती रहती, और उसके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान होती। मेरे पति एक साधारण कंपनी में काम करते थे। हमारी शादी को एक महीना हो चुका था, लेकिन हम पति-पत्नी की तरह कभी साथ नहीं सोए थे।

उस दिन, जब मैंने उसकी माँ के बनाए खाने को बुरा-भला कहकर फेंक दिया, तो उसने पहली बार मुझ पर हाथ उठाया। बस, मुझे यही चाहिए था—एक बहाना झगड़े का। मैं पैर पटकते हुए घर से निकल गई, अपने पुराने प्यार से मिलने। मैने उससे कहा, “कब तक यहाँ ऐसे रहेंगे? चलो, भाग चलते हैं कहीं दूर।” पर सच तो यह था कि मेरे पास कुछ भी नहीं था, और वो खाली हाथ भागने को तैयार नहीं था।

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फिर एक दिन, मेरे ससुराल में एक घटना घटी। मैंने पहली बार अपने पति की अलमारी खोली। उसमें मेरा बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, और वो सारे गहने थे, जो मेरे घरवालों ने मुझसे छीन लिए थे। मुझे ये सब देखकर झटका लगा। साथ ही, उसकी डायरी में मेरे लिए एक खत रखा था। उसमें लिखा था कि उसने मेरी हर चीज को संजोकर रखा था, और दहेज में मिले सारे पैसे मेरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए थे। उसने लिखा कि वो मुझे प्यार से इस रिश्ते में बाँधना चाहता है, न कि जबरदस्ती।

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उसकी इन बातों ने मेरे दिल को छू लिया। मैंने सोचा भी नहीं था कि ये “गंवार” मुझे इस तरह से समझ सकता है, बिना कुछ कहे। धीरे-धीरे, मुझे एहसास हुआ कि वो मुझे उसी सादगी से प्यार करता है, जिस सादगी से उसने मुझे अपनी जिंदगी में जगह दी थी।

अगली सुबह, मैंने सिंदूर गाढ़ा करके अपनी माँग में भरा और अपने पति के ऑफिस चली गई। वहाँ पहुँचकर मैंने सबके सामने कहा, “अब सब ठीक है। हम साथ-साथ एक लंबी छुट्टी पर जा रहे हैं।”

उस दिन, मुझे समझ आया कि जिन फैसलों को मैं गलत मानती थी, वही मेरे लिए सबसे सही थे। मेरे माँ-बाप ने मेरे लिए जो भी किया, वो सिर्फ मेरे भले के लिए था 🤔

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कुँवारी दुल्हन
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उसने आज मेरी प्यास बझा दी !!
मेरा नाम शालिनी है 23 साल की उम्र में मेरी शादी आदित्य से हुई मैं बहुत ही भाग्यशाली थी क्योंकि आदित्य बहुत अच्छे थे
आदित्य का स्वभाव इतना अच्छा था कि मेरी हर जरूरत का ध्यान रखते थे मेरी छोटी से छोटी ख्वाहिश का ख्याल रखते थे
मेरी खुशी उनके लिए सबसे अहम थी। शादी के बाद उनकी यह अच्छाई और भी बढ़ गई जब मैंने उनके माता-पिता को करीब से जाना।मैं भी एक आदर्श बहु की तरह रहती थी

आदित्य कहते थे कि, “प्यार, रोमांस और शारीरिक आकर्षण एक दिन खत्म हो सकता है, लेकिन हमारा साथ और आपसी समझ हमेशा बनी रहेगी।” कभी कभी उनकी इन बातों से डर लगता था लेकिन आदित्य ने हर डर को अपने प्यार और साथ से खत्म कर दिया।शादी के सात महीने ही हुए थे, मेरा जन्मदिन आया आदित्य मेरे जन्मदिन को खास बनाना चाहते थे। लेकिन उस दिन एक हादसे ने मेरी जिंदगी बदल दी। आदित्य मेरी खुशी के लिए बुके लेने गए थे, लेकिन रास्ते में एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी अचानक मौत ने मेरी दुनिया तहस-नहस कर दी। मेरी सभी खुशियां जल कर खाक हो गयी थी मैं अपनी जिन्दगी से नफरत करने लगी थी मैं जब भी आदित्य को याद करती तो रोने लगती अब न कोई ख्वाहिश थी

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और न ही कोई जिद ,इस सदमे से उबरने में मुझे दो साल लगे। मेरे सास-ससुर ने मुझे समझाया कि मैं अभी युवा हूं और अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू कर सकती हूं लेकिन मैं ऐसा करने को सोचती तो मुझे लगता कि मैं आदित्य को धोखा दूँगी मैं मम्मी पापा की सेवा करती और घर पर ही रहती , एक दिन डोर बेल बजी मैं दौड़ कर गयी दरवाजा खोला दरवाजे पर एक युवा खड़ा था , मैंने पूछा आप कौन, तो वो बोला कि आदित्य के मामा का लड़का हूँ और मेरा नाम शिवम है तब तक मम्मी आ गयी, शिवम ने देखते ही मम्मी के पैर छुए माँ ने से गले से लगा लिया और घर के हाल चाल पूछने लगी मैं भी चाय बनने किचन में चली गयी ,चाय देकर मैं कमरे में चली गयी, थोड़ी देर बाद शिवम मेरे कमरे में आया और मुझसे कहने लगा भाभी आप ने मुझे देखा नही क्योकि मैं बाहर रहता था इस लिए घर नही आता था,

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मुझे बहुत दुःख हुआ आदित्य भैया के बारे में सुन कर इतना कहते ही मैं रोने लगी शिवम ने मुझे चुप कराया और गले से लगा लिया ये मुझे कुछ अजीब लगा लेकिन इतने दिनों बाद एक मर्द का स्पर्श मुझे सुख पहुंचा रहा था , मुझे ऐसा लगा जैसे शिवम यहां मेरे लिए ही आया हो मैं भी उसके नजदीक जाने लगी , सुबह शाम।शिवम से पूछ कर उसके पसंद का खाना बनाती और दिन भर हम बाते करते हम दोनों में प्यार बढ़ गया था एक दिन मम्मी पापा बाजार गयी थे और मैं किचन में काम कर रही थी तभी शिवम किचन में आया और दोनों हाथ कमर में डाल कर मुझे जकड़ लिया मुझे बहुत शुकून मिल रहा था मैं जैसे सिमट सी गयी थी मैंने गैस बंद की और शिवम से लिपट गयी, शिवम ने मुझे गोद मे उठा लिया और बेट पर ले गया 3 वर्षो के बाद आज मैं बरसात में भीगी इस बरसात ने 30 मिनट तक भिगोया आज मैं बहुत खुश थी तभी डोर बेल बजी मैं कपड़े सही करने लगी और शिवम दरवाजा खोलने चला गया माँ और पापा बाजार से आ गए थे । दोपहर का खाना हम सभी बैठे कर रहे थे

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आज मैं बहुत खुश थी तभी मेरे ससुर ने कहा कि बहु तुमको शिवम पसन्द है ये सुनते मैं शर्मा गयी और कमरे में चली गयी, सब समझ गए थे कि मैं इस रिश्ते से राजी हूँ , थोड़ी देर बाद मेरे माँ कमरे में आई और वो बताने लगी कि मैंने अपने भाई से बात की थी तुम्हारे और शिवम के रिश्ते को लेकर फिर उन्होंने शिवम को यहाँ भेजा था 2 महीने बाद हमारी शादी कर दी गयी अब मैं पहले के जैसे खुश रहती हूँ शिवम मेरा आदित्य की तरह ख्याल रखता है ।।
हमारे समाज को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने की जरूरत है। विधवा या तलाकशुदा महिलाओं को भी वही अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए आपकी इस पर क्या राय है जरूर बताए ।।

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कुँवारी दुल्हन
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वह बार-बार आज फिर उसको रोक रही थी लेकिन
हर बार की तरह वह इसको मना कर रहा था वह
मिन्नतें करने वाले अंदाज में बोली आप ना
जाएं प्लीज मुझे अकेले में डर लगता है आप
नहीं जानते पूरी रात मेरे लिए किसी अजाब
से कम नहीं होती है मैं आपसे रिक्वेस्ट
करती हूं मुझसे अकेले नहीं रहा जाता लेकिन
वह हर बार की तरह मजबूर था इसकी नाईट
ड्यूटी थी इसका जाना जरूरी था व उसके हाथ
थाम हुए समझाते हुए बोला मैं आ जाऊंगा
सुबह होते ही तुम क्यों इतना परेशान हो
रही हो आप जानती हो ना मेरी जॉब कैसी है
मैं अगर जानने से मना करूंगा तो वह लोग
मुझे जॉब से निकाल देंगे और अगर मेरी जॉब
छूट गई तो हम लोगों के घर का गुजारा कैसे
होगा समझने की कोशिश करो अगर मेरे बस में
होता तो मैं इंकार कर देता लेकिन मेरा
जाना बहुत जरूरी है सच्ची अगर मेरा जाना
जरूरी ना होता तो मैं कभी भी अपने इतनी
प्यारी बीवी को ऐसे अकेला छोड़कर ना जाता
वह आज भी हर रोज की तरह एक ही बात बोल रहा
था कि इसका जाना जरूरी है और वह हर बार की
तरह मासूम समूह बनाए नाकाम चीज को रोकने

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की कोशिश कर रही थी लेकिन ना वह पहले
रुकता था ना इसने आज रुकना था इसके बहुत
कहने के बाद भी व उसका रोता बिलक छोड़ गया
था उसके जाने के बाद वह डर से कांप रही थी
उसका नन्हा सा दिल कांप रहा था क्योंकि वह
अच्छे से जानती थी अब इसके साथ क्या होना
है पति के जाते ही इसके साथ जो बत्तर
जिंदगी होती थी वह बोलकर बताने के भी
काबिल नहीं थी डर तो लग गा ही था जो व कोई
दिन से बर्दाश्त करती आई थी अब और
बर्दाश्त करने की हिम्मत और ताकत खत्म हो
गई थी इसने सोच लिया था वह रात भर सोएगी
ही नहीं तो सब कुछ ठीक रहेगा लेकिन यह
इसकी सिर्फ सोच थी वह ऐसा हर रात सोचती थी
कि वह हर रात को सोएगी नहीं लेकिन हर बार
की तरह इसकी आंख लग जाती थी लेकिन आज इसको
जागना था इसने खुद को जगाने के लिए तैयार
किया हुआ था लेकिन यह इसके लिए बहुत
मुश्किल था वह नींद के मामले में बहुत
बुरे तरीके से सोई थी नींद जबना शुरू होती
थी तो वह कितना ही खुद को कंट्रोल कर ले
लेकिन नींद की देवी उस पर मेहरबान होकर ही
दम लेती थी और आज भी ऐसा ही हुआ वह जितना
जागने की कोशिश कर रही थी उतनी ही उसको
जल्दी नींद आ गई और वह बेखबर अपने बेड पर
लेटते ही सो गई कमरे की लाइट जल रही थी

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इसको अंधेरे में डर लगता था इसलिए वह लाइट
ऑन करके सोने की आती थी इसका कमरा काफी
खूबसूरती से सजाया गया था इसकी शादी को
इतना वक्त नहीं हुआ था इस लड़की के नींद
में जाते ही थोड़ी देर के बाद एकदम कमरे
की लाइट ऑफ हुई और कमरे का दरवाजा खोलकर
कोई अंदर दाखिल हुआ था वो नींद में थी
इसलिए इसको कुछ भी असर या मालूम नहीं हो
रहा था कि कमरे में कोई दाखिल हुआ है या
नहीं वह बिल्कुल बेफिक्र सी लेटी हुई सो
रही थी दुनिया से दूर अपनी दुनिया में गुम
ख्वाबों की हसीन दुनिया में पहुंची हुई थी
लेकिन इसको पता नहीं था इसको ख्वाबों की
दुनिया से निकालकर कोई जहन्नुम में अभी
धकेलने वाला है कमरे के अंदर दाखिल होने
वाला कोई और नहीं इसके पति का बाप यानी इस
लड़की का ससुर था जो इसके पति के जाते ही
इसके कमरे में दाखिल हुआ था वह कदम कदम
बढ़ाकर उस लड़की के बेड के पास आया और
उसके बेड पर जमकर बैठ गया वह उसको बहुत
गहरी नजरों से देख रहा था वह काफी सिमट कर
सो रही थी खुद को बहुत अच्छे से डक रगा था
लेकिन वह तो शिकारी था अपना शिकार तो वह
किसी भी जगह से हासिल करने में माहिर था
उन्होंने इसका चादर पर रखा हुआ हाथ अपने
हाथ में लिया और इसको धीरे-धीरे सहलाने
लगा वह यह भूल गया था सामने लेटी व कोई और
नहीं इसकी बेटी जैसी बहू थी जो इसके बेटे
की बीवी है और इतनी छोटी है इसकी शर्म
बिल्कुल खत्म हो गई थी वो रिश्ता भूल चुका
था इसको चंद मिनट ही हुए होंगे उसका हाथ
पकड़े हुए एकदम लड़की किसी बुरे ख्वाब से
जैसे जाग गई थी और सामने बैठे अंधेरे में
भी इस आदमी को पहचान चुकी थी इसने पूरी
जान से अपना हाथ खींचा और चीखी थी क्या कर
रहे थे आप शर्म नहीं आ रही

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आपको वह साइड
पर से लाइट चलाते हुए बोली वह फौरन ही
मेरा हाथ कसकर अपने हाथ में थामकर कहने
लगे जब सब जानती हो तो फिर अनजान बनने का
फायदा क्या मेरा साथ दो इस चीज में नहीं
तो मैं तुम्हें बदनाम करके अपने घर से
निकाल कर बाहर कर दूंगा जानती हो ना मेरा
बेटा मुझसे कितना प्यार करता है ज्यादा
बकबक की तो सीधा तलाक दिलवा हंगा अपने
ससुर की इस बात से इसका दिमाग घूमता था और
इसका हाथ उठा था और उनके सीधे गाल पर झाप
छोड़ गया था ससुर ने गुस्से में इसके बाल
पकड़े और उसका दुपट्टा खींचकर दूर फेंका
मेरी उम्र अभी महज सिर्फ 16 साल है मेरी
शादी बहुत कम उम्र में कर दी गई थी यह
हमारे गांव का रिवाज था कि यहां शादियां
बहुत जल्दी कर दी जाती थी मेरी शादी को दो
साल हो गए थे लेकिन यह दो साल मेरे लिए
किसी नर्क से कम नहीं थे पहले तो मेरी मां
और मेरे बाबा इस शादी के बहुत खिलाफ थे
क्योंकि वह चाहते थे कि मैं थोड़ा पढ़ लिख
लूं इसके बाद मेरी शादी की जाए लेकिन मेरी
दादी और मेरे चाचा की जबरदस्ती की वजह से
मेरी शादी जल्दी कर दी गई थी मैं भी शादी
के हक में नहीं थी मगर मेरी इंकार का कोई
मतलब ही नहीं था मैं जब शादी होकर अपने
ससुराल आई थी तो मेरी सास का देहांत बहुत
पहले ही हो चुका था मेरे ससुराल में सिर्फ
मेरे ससुर और मेरे पति ही रहते थे मेरे
पति एक पढ़े लिखे इंसान थे वह मुझसे बहुत
प्यार करते थे मेरा बहुत ख्याल रखते थे
बिल्कुल बच्चों जैसा मुझे ट्रीट करते थे
मैं अपने पति की बहुत लाड ली थी जिस तरीके
से मेरे बाप ने मुझे बहुत प्यार और लाड से
पाला था इसी तरीके से मेरे पति भी मेरे
सारे लाज उठाते थे उन्होंने तो मुझे यह तक
ऑफर की थी कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूं
लेकिन लेकिन मैंने इंकार कर दिया था

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क्योंकि मैं अब आगे नहीं पढ़ना चाहती थी
मुझे पढ़ने का शौक बहुत था लेकिन बस घर की
जिम्मेदारियों ने मुझे यह करने की इजाजत
नहीं दी थी और मैं बहुत थक भी गई थी मैं
अब अपनी शादीशुदा जिंदगी को एंजॉय करना
चाहती थी ना कि अपने आप को पढ़ाकर उदास
करना चाहती थी जानती हूं मेरी यह सोच बहुत
अजीब है लेकिन मेरी जिंदगी का यही असूल था
मैं एक वक्त में सिर्फ एक ही काम कर सकती
थी या तो मुझसे पढ़ाई करवा लो या फिर मेरी
शादी कर दो लेकिन उन्होंने मुझे काफी बार
फोर्स किया था लेकिन मेरे बार-बार इंकार
करने पर वह चुप हो गए थे लेकिन उन्होंने
मेरी बात का कोई बुरा नहीं माना था जैसे
वह मेरे साथ पहले थे वैसे ही अब थे इसकी
वजह से मैं अपने पति के साथ बहुत खुश थी
क्योंकि वह मेरा बहुत ख्याल रखते थे मुझे
बहुत प्यार करते थे कभी ना डांटते थे ना
मारते थे जबकि हमारे गांव में एक रिवाज
बहुत खराब था अगर औरत से कोई गलती हो जाए
तो इसे भेड़ बकरियों की तरह ट्रीट किया
जाता था लेकिन मेरे पति सबसे अलग थे वह सब
जैसे नहीं थे वह एक पढ़े-लिखे इंसान थे
पढ़े-लिखे तो बहुत होते हैं लेकिन उनमें
से कुछ इंसान होते हैं जो मेरे पति थे मैं
कोई गलती कर दूं तो प्यार से समझाते थे
मैं उनके साथ काफी अच्छी जिंदगी गुजार रही
थी मेरे पति की उम्र भी ज्यादा नहीं थी
मैं 16 साल की थी और वह 20 साल के थे
जिसकी वजह से हम दोनों की बहुत जल्दी ही
मंगनी हो गई थी जब मेरे मां-बाप ने मुझे
मेरे घर में खुश देखा तो वह लोग भी शादी
के लिए राजी हो गए थे और बहुत सुकून से हो
गए थे कि उनकी बेटी खुश है मगर उन्हें
मालूम नहीं था यह खुशियां नकली है लेकिन
मुझे अंदाजा नहीं था कि शादी के कुछ दिनों
बाद ही मेरी जिंदगी नर्क बन जाएगी जिनको
मैं अपना बाप समझती थी वह मेरे साथ यह सब
करेंगे मुझे घिन आती है उन्हें अपना बाप
समझते हुए भी अब मैं सच बताना चाहती थी
अपने पति को लेकिन मैं कुछ भी उनको बताने
से डरती थी क्योंकि वह अपने बाप से बहुत
प्यार करते थे यह बात सच है क्योंकि उनके
बाप ने उनकी मां के मर जाने के बाद उन्हें
बाप और मां दोनों बनकर पाला है उनकी हर
जरूरत को उन्होंने ने पूरा किया था वे
कैसे अपने बाप के खिलाफ कुछ भी मेरे मुंह
से कोई बात सुन लेते अगर मैं उन्हें कुछ
भी बताती तो वह मुझसे ही दूर हो जाते और
मेरी बात पर यकीन नहीं करते और मैं ऐसा
कुछ भी नहीं करना चाहती थी कि मेरे पति
मुझसे दूर हो जाए क्योंकि मैं उनका ऐसा
रवैया बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकती
थी बाप के बाद अगर मैंने किसी से बहुत
ज्यादा मोहब्बत की है तो वह मेरा पति है
और कोई नहीं मैंने अपनी जिंदगी में पहले
मर्द यानी मेरे बाबा से बहुत मोहब्बत की
है और अगर कोई दूसरा म मेरी जिंदगी में
आया है तो वह मेरा पति है जिसको मैंने
बेहद प्यार किया है और उनको खुद से जरा भी
दूर नहीं कर सकती क्योंकि मेरी आदत ही ऐसी
है कि अगर कोई मुझे जरा सा डांट दे तो
मेरे आंसू नहीं रुकते और जिससे मैं प्यार
करती हूं अगर वह मुझसे जरा सा भी नाराज हो
जाए तो वह मुझसे बर्दाश्त नहीं हो पाता इस
वजह से मैं डर जाती थी कि अगर मैंने
उन्हें कुछ भी बताया तो उनका रिएक्शन क्या
होगा इसलिए मैं पिछले दो सालों से इस बात
को छुपाए बैठी थी लेकिन मैं अब उन बातों
और उन चीजों से बहुत त आ गई थी मैं अब थक
चुकी थी उन चीजों और बातों से मैं रातों
को और नहीं जाग सकती थी अब मेरे में इतनी
हिम्मत नहीं थी कि मैं सारी सारी रात जाग
कर गुजार दूं डर और जिल्लत के मारे रातों
को जागने की वजह से मेरी तबीयत बहुत खराब
रहने लगी थी और दिन भर भी मुझसे कोई काम
ढंग से नहीं होता था मैं दिमागी टेंशन का
शिकार हो गई थी मेरे पति मेरी ऐसी उलझी
हुई हालत और बिखरा हुलिया देखकर अक्सर
मुझसे पूछते थे तुमको क्या परेशानी है

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लेकिन मैं इन्हें कुछ भी नहीं बता सकती थी
क्योंकि इनका बाप एक बहरूपिया था वह बेटे
के सामने मेरे साथ इतने अच्छे तरीके से
पेश आते थे कि मेरा पति भी बोलता था कि
बाबा तुमसे बहुत प्यार करते हैं तुम्हें
बिल्कुल अपनी सगी बेटी समझते हैं तुम बहुत
खुशनसीब हो कि तुम्हें ऐसा ससुराल मिला है
और मैं खामोश हो जाती थी मेरे पास बोलने
के लिए लफ्ज ही नहीं होते थे मैं किस तरह
से अपने पति को समझाती कि इसका बाप एक
भेड़िया है जो तुम्हारे जाने के बाद ही
तुम्हारी इज्जत को रोने की कोशिश करता है
अब मैं रोज-रोज अपने जिस्म की धमकी से तंग
आ गई थी मैं चाहे इससे खुद को कितना भी
बचाती लेकिन वह मेरे साथ हैवानियत की हदे
पार कर रहे थे उन बातों की वजह से मैं
उनकी इस घटिया हरकत को बर्दाश्त नहीं कर
पाती थी और मुझे इतना गुस्सा आया कि मैंने
यह भी नहीं सोचा कि वह मेरे बाप की उम्र
के है मुझे जरा भी ख्याल नहीं आया कि मैं
क्या कर रही हूं बस मेरा हाथ उठा और मेरा
हाथ उनके मुंह पर गहरी छाप छोड़ गया लेकिन
जैसे ही मेरे बाल उन्होंने पकड़े कमरे का
दरवाजा खुला था और मेरे पति कमरे में
दाखिल हुए वह इस मंजर को देख कर सुन होकर
रह गए थे वह बाप जो मुझे बार-बार बेटी
बेटी कहकर बुलाता था वह आज मेरे बाल पकड़े
हुए बैठा था मेरी जैसे ही नजर दरवाजे की
तरफ पड़ी मैं उनसे बाल छुड़वा करर अपने
पति की तरफ भागी और उनके सीने से लग गई
मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे मैं जारों कतार
रो रही थी और राहुल बे यकीनी निगाहों से
अपने बाप की तरफ देख रहे थे उन्हें यकीन
नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा है मैं
बिना दुपट्टे खुद से लापरवाह उनके सीने से
लगी जारो कतार रोई जा रही थी उन्होंने
मुझे गले से भी नहीं लगाया था बस अपने बाप
को देख रहे थे जो बौखलाए हुए सामने खड़े
हुए थे उन्होंने गुस्से भरी आवाज में अपने
बाप की तरफ देखते हुए पूछा आप रात के इस
वक्त मेरी बीवी के कमरे में क्या कर रहे
हैं और इसके बाल किस हैसियत से आपने पकड़े
थे उनका लहजा इतना गुस्से वाला था एक लमहे
के लिए मेरा भी दिल काप गया था वह बहुत
बुरे तरीके से घबरा गए थे अब उनके मुंह से
एक लफ्ज नहीं निकल रहा था वह बेचैनी से बस
इस कमरे से निकलना चाह रहे थे मेरे पति ने
मेरी तरफ मुंह करके मुझे खुद से अलग किया
और आहिस्ता से पूछा पायल यह क्या कर रहे
हैं और यह तुम्हारे बाल क्यों पकड़े हुए
थे डरो नहीं ना रो मुझे सब बताओ क्या बात
है मैंने अपने आंसू साफ किए फिर उनको खुद
पर बीती हुई हर एक-एक बात बताने लगी राहुल
यह 2 साल से हो रहा है मेरे साथ मैं इसलिए
आपको हर रात जाने से रोकती आई हूं जैसे ही
आप घर से जाते हैं यह मेरे साथ बदसलूकी
करना शुरू कर देते हैं मुझसे गलत गलत
हरकतें करते हैं मुझे परेशान करते हैं अगर
मैं आपको बताने का बोलूं तो मुझे धमकी
देते हैं कि मुझे तलाक दिलवाकर इस घर से
निकाल देंगे मैं बहुत परेशान थी उन बातों
की वजह से मैं इसलिए आपको हर बात बता ना
सकी थी कि आप अपने बाप से बहुत प्यार करते
हैं मेरी बात पर आप यकीन नहीं करेंगे
बल्कि मुझ पर शक करेंगे इसलिए मैं आपको
कुछ नहीं बताती थी लेकिन अब बहुत हो गया
था आज भी वह मेरे साथ सब कुछ करना चाह रहे
थे बस आज मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मेरा
हाथ उठ गया इसलिए बाबा ने बदले में मेरे
बाल पकड़े थे लेकिन मैं सच कह रही हूं
राहुल मैं बेक कसूर हूं यह हर बार मेरे
साथ यही करते हैं मैं बहुत परेशान हूं सब
चीजों से प्लीज मुझे उनके
िलनेक्रयज
[संगीत]

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इतना ज्यादा दुख भरा था उन्होंने बे यकीनी
निगाहों से अपने बाप की तरफ देखा जो
निगाहों के नीचे रखे हमारी बातों को सुन
रहे थे उनका गुस्सा अब सातवें आसमान पर
पहुंच चुका था उन्होंने गजती हुई आवाज में
अपने बाप से पूछा बाबा आप मुझे बताएंगे कि
क्या बोल रही है और आप मेरे कमरे में इस
वक्त क्या कर रहे हैं मैं आपसे कब से सवाल
कर रहा हूं मेरे पति की आवाज बहुत तेज हो
गई थी लेकिन मेरे ससुर अब ऐसा लगता था
बहरे गूंगे हो गए थे बाबा मैं जवा आप का
इंतजार कर रहा हूं मेरी बीवी क्या बोल रही
है आप इसके साथ क्या करते आए हैं मुझे आज
सब कुछ जानना है वह उनकी आवाज और गुस्से
से बहुत ज्यादा डर गए थे और राहुल से कहने
लगे कि मैं इसके कमरे में ही आया था यह
खुद मुझे अपने कमरे में बुलाकर लाई थी तुम
नहीं जानते यह बहुत घटिया और गलत औरत है
तुम्हारे पीठ पीछे मुझे पाप के लिए उकसा द
है लेकिन मैं इसकी बात नहीं मानता अब जब
इसने तुम्हें देखा तो सारा इल्जाम मुझ पर
डाल दिया है तुम इसकी बात का हरगिज यकीन
मत करना मैं तुम्हारा बाप हूं तुम मेरी
बेटे हो यह गैर औरत है उन्होंने कमजोर सी
दलील देनी शुरू कर दी मगर उनका अंदाज और
उनका लहजा उनका साथ नहीं दे रहा था तब
राहुल गुस्से से बोला कि मुझे आपको अपना
बाप कहते हुए शर्म आ रही है जब मेरे ससुर
ने देखा कि उनका बेटा उनका झूठ पहचान गया
है तो एकदम से उन्होंने बात बदली व फौरन
हाथ जोड़ते हुए बोले मुझे माफ कर दो बेटा
मैं बहक गया था मुझे माफ कर दो माफी
मांगता हूं मैं अब कोई गलती नहीं करूंगा
मुझे जाने दो वो इस कदर डर गए थे कि वह
हाथ जोड़ने पर आ गए थे मेरे पति इतने बे
यकीन हो गए थे जिसकी कोई हद नहीं थी उनके
मुंह से हैरान अंदाज में ये लफ्ज़ निकले
मुझे यकीन नहीं आ रहा था आप जिसको बेटी
कहते आए थे आप इसके साथ ये सब कर रहे थे
यह जानते हुए भी कि वह आपकी बेटी की बीवी
है यह बेचारी रातों को सो नहीं पाती
दिमागी तकलीफ बढ़ती जा रही है जब-जब इससे
पूछता हूं वह मुझे जवाब नहीं देती बस
तबीयत सही नहीं है यह बोलकर हमेशा टाल
देती है और मुझे आज सारी बातें समझ आ रही
है कि वह ऐसा सब कुछ क्यों करती थी सिर्फ
इस वजह से कहीं मैं इसे तलाक ना दे दूं
मुझे घिन आ रही है आपको अपना बाप कहते हुए
राहुल बहुत ज्यादा दुखी थे बेटा ऐसा नहीं
बोलो मैं अब ऐसा कुछ नहीं करूंगा वह एक
बार फिर रोते हुए बोले मैं क्या माफ
करूंगा आपको रब को माफी मांगनी चाहिए आपको
आप तो हर रिश्ते का महत्व ही भूल चुके हैं
जिनको यह शर्म नहीं रही कि बेटी और बहू
कौन होती है उनके साथ किस तरीके से पेश
आना होता है आप मेरे बाप कहलाने के काबिल
ही नहीं है घिना रही है मुझे आपसे आपको
अपना बाप कहते हुए जाएं आप यहां से उनकी
आवाज गुस्से की वजह से कांप रही थी वे बात
सुनते ही फौरन से कमरे से निकले थे और
अपने कमरे की तरफ भाग गए थे मैं अभी भी सर
झुकाए रोने में बिजी थी मैं यह कभी भी
नहीं चाहती थी कि एक बाप और बेटा आमने
सामने आए लेकिन इसकी नौबत भी वह खुद ही
लाए थे उन्होंने मेरे कंधों पर हाथ रखा और
मुझे बेड पर बिठाया और खुद नीचे जमीन पर
मेरे कदमों के पास बैठ गए मैं अभी भी रोने
में ही लगी हुई थी चुप कर जाए अब आप जो
होना था सो हो गया अब आपके साथ कोई
बदसलूकी नहीं होगी मैं हूं ना तो किस लिए
रो रही है आप जब मैं मर जाऊं तब रोना वह
मुझे चुप करते हुए बोले मैंने आस भरी
आंखों से उनकी तरफ देखा और रोते हुए बोली
रब ना कर आपको कुछ हो आप जैसा पति तो हर
लड़की के नसीब में हो वैसे आप घर कैसे आ
गए बस आज जाने के बाद मेरा दिल नहीं मान
रहा था इसलिए मैं छुट्टी लेकर फौरन इधर आ
गया और मुझे पता नहीं था मेरे घर में
कयामत आने वाली है मगर मुझे माफ कर देना
मैं तुम्हारी सुरक्षा नहीं कर पाया
तुम्हारा डर भी अपनी जगह सही था यकीनन अगर
तुम अपनी जुबान से मुझे मेरे बाप के बारे
में सारी हकीकत बताती तो मैं कभी भी
तुम्हारी बात का यकीन नहीं करता क्योंकि
मैं अपने बाप से बहुत प्यार करता हूं और
उनको बहुत शरीफ इंसान समझता था मुझे मालूम
नहीं था कि वह तो आस्तीन का साप बनकर बैठे
हैं शायद रब ने ही आज मुझे जल्दी घर भेज
दिया क्योंकि जब तक मैं अपनी आंखों से यह
सब नहीं देखता तब तक मुझे यकीन नहीं आता
मैं जानता हूं तुम बहुत तकलीफ से गुजरी हो
मेरे बाबा ने तुम्हारे साथ जो कुछ भी किया
वह बहुत गलत किया मैं उनकी गलती का हजरा
तो नहीं कर सकता मगर तुमसे वादा करता हूं
कि आइंदा कभी भी तुम्हारी तरफ से कोई ऐसी
गलती नहीं करूंगा राहुल मुझसे माफी मांग
रहे थे और उनकी नजर शर्म से झुकी हुई थी
कि उनके बाप ने उनको शर्मिंदा करवा दिया
था सुबह होते ही मेरा ससुर अपना बोरिया
बिस्तर समेटकर गांव की तरफ रवाना हो गए
जाते हुए इस अपने बेटे से कहा शैतान ने
मुझे भड़का दिया था तुम नाइट ड्यूटी पर
चले जाते थे पीछे हम दो घर में अकेले रहते
थे यही वह कमजोर लम्हा था जो मुझे पाप के
लिए उकता था मैं जानता हूं मेरी गलती माफी
के काबिल नहीं है और अब हम दोनों एक छत के
नीचे नहीं रह सकते क्योंकि तुम जब मुझे
देखोगे तो तुम्हें यह सब याद आता रहेगा और
तुम अपनी बीवी को घर में अकेले भी नहीं
छोड़ पाओगे क्योंकि तुम्हें अब मुझ पर
भरोसा नहीं रहा मैं तुम्हारे भरोसे के
लायक भी नहीं हूं और जबजब मैं तुम्हारी
तरफ देखूंगा तो शर्म से नजर नहीं मिला
पाऊंगा इसलिए बेहतर यही है कि मैं गांव
चला जाऊं अपने पुराने घर में और अपनी
बांकी जिंदगी वहीं पर गुजार मेरे पति
बिल्कुल चुप हो गए थे इसने अपने बाप को
रोकने की कोशिश नहीं की ना ही उनसे कोई
बात की थी मेरे ससुर के जाने के बाद मैंने
अपने पति को कहा कि आप उन्हें माफ कर दें
वह आपके बाप हैं आपके सिवा उनका कोई नहीं
है है लेकिन मेरा पति इस बारे में कोई भी
बात करना नहीं चाह रहा था क्योंकि जिस
शख्स पर बहुत ज्यादा मान होता है जब वही
शख्स आपका भरोसा तोड़ दे तो बहुत ज्यादा
तकलीफ होती है और जख्मों को भरने में काफी
वक्त लग जाता है वक्त का काम है गुजर जाना
वक्त अपनी तेज रफ्तार से गुजरा जा रहा था
मैं एक बेटे की मां भी बन गई थी लेकिन इस
वाक्य के बाद मेरा ससुर कभी भी पलटक वापस
नहीं आया था वह बीमार रहने लगा था मेरे
पति अक्सर गांव अपने बाप से मिलने जाते थे
एक दिन मेरे पति ने कहा कहा कि बाबा तुमसे
माफी मांगना चाहते हैं और अपने पोते को
देखना चाहते हैं मैं तुमसे यह नहीं कहूंगा
कि तुम बाबा को माफ करो क्योंकि वह
तुम्हारे मुजरिम है जैसा तुम्हें बेहतर
लगे तुम वही फैसला करना मैंने राहुल का
चेहरा पढ़ लिया था मैं उनके बगैर कहे उनकी
बातें समझ लेती थी वह भी शायद यही चाहते
थे कि मैं अब उनके बाप को माफ कर दूं और
मैंने राहुल के बाबा को माफ कर दिया था

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क्योंकि राहुल बहुत मोहब्बत करने वाला पति
और बहुत ही अच्छा इंसान था अगर राहुल की
जगह कोई और मर्द होता अपनी आंखों से देखने
के बावजूद भी वह अपने बाप पर इल्जाम नहीं
लगाता बल्कि बीवी को ही घर से निकाल देता
मैं खुशकिस्मत थी कि मुझे राहुल जैसा
इंसान मिला था मैंने राहुल से कहा कि
मैंने उनको माफ कर दिया है राहुल यह सुनकर
बहुत ज्यादा खुश हुए और हम लोग अपने बेटे
को लेकर गांव चले गए जब मैंने अपने ससुर
को देखा तो मैं हैरान रह गई वो पहले वाला
रॉब दबदबा अब कुछ भी उनके पास नहीं बचा था
वो बहुत कमजोर और बूढ़े लगने लगे थे जब
मैं उनके पास गई तो उन्होंने मुझे देखकर
एकदम से हाथ जोड़ लिए वह मुझसे माफी
मांगना चाहते थे और मैंने उनको माफ कर
दिया था क्योंकि उनकी आंखों में आंसू थे
और शर्मिंदगी के आंसू थे इतने वक्त गांव
में अकेले रहकर शायद उनको अपनी गलती का
एहसास हो चुका था इसलिए वह अपनी गलती पर
शर्मिंदा थे मैंने उनको माफ कर दिया था वह
अपने पोते से मिलकर बहुत ज्यादा खुश हुए
और मैंने और राहुल ने उनको वापस आने साथ
शहर लाने को कहा तो वह शहर आ गए क्योंकि
अब उनकी तबीयत ऐसी नहीं थी कि वह गांव में
अकेले रह पाते हालांकि के गांव में एक
लड़का उनके साथ हर वक्त रहता था जो उनके
कामकाज खाने बनाने का इंतजाम करता था
लेकिन एक बेटा होने की हैसियत से राहुल की
भी कुछ जिम्मेदारियां कुछ फर्ज थे वह उनसे
मुंह नहीं मोड़ना चाहते थे और मैं राहुल
को बांध कर नहीं रखना चाहती थी रब ने मेरी
मदद की थी मुझे बचाया था मेरी इज्जत
सुरक्षित रखी थी मुझे और क्या चाहिए था
मैंने दिल से अपने ससुर को माफ कर दिया था

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मेरा ससुर ज्यादा वक्त तक जिंदा नहीं रहा
था लेकिन राहुल की नजरों में मेरी इज्जत
और बढ़ गई थी क्योंकि मैंने अपने ससुर की
बहुत सेवा की थी और उनको माफ कर दिया था
राहुल जैसे पति अब सबको दे जो अपनी बीवी
को इज्जत और मान देते हैं राहुल ने इतना
कुछ किया था तो मेरा भी फर्ज बनता था मैं
भी उनके लिए कुछ करती इसलिए मेरी हमेशा
यही कोशिश रहती थी कि मैं उनकी जिंदगी में
आसानी पैदा करूं ना कि उनको और परेशान
करूं जब तक पति-पत्नी भी एक दूसरे का
एहसास नहीं करते तब तक वह सुकून की जिंदगी
नहीं गुजार सकते इस सब में मैंने एक ही
सबक सीखा था किसी को माफ करना बहुत ही
बड़ा काम है सबकी नजरों में आपकी इज्जत भर
जाती है और मेरी भी इज्जत राहुल