दुनिया

मिस्र ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए आवेदन किया


ग़ैर-अमरीकी और पश्चिमी संगठनों में दुनिया भर के देशों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। इसी क्रम में मिस्र ने ब्रिक्स में सदस्यता के लिए आवेदन किया है।

संयुक्त राज्य अमरीका के विभिन्न देशों पर मास्को से दूर रहने के दबाव के बावजूद, मिस्र रूस के साथ व्यापार और आर्थिक सहयोग को मज़बूत करना चाहता है और इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रहा है। मिस्र में रूसी राजदूत ग्रिगोरी बोरिसोन्कोव ने इस संबंध में कहा हैः मिस्र ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए आवेदन किया है, क्योंकि ब्रिक्स वर्तमान में व्यापार को वैकल्पिक मुद्राओं में बदलने का प्रयास कर रहा है, चाहे वह राष्ट्रीय हो या एक नई आम मुद्रा और मिस्र इसमें बहुत रुचि रखता है।

उन्होंने कहा कि क़ाहिरा, मास्को के साथ व्यापार और आर्थिक सहयोग में वृद्धि करने में रुचि रखता है। उन्होंने डॉलर के विकल्प की ओर इशारा करते हुए कहा कि व्यापार लेनदेन के लिए नए भुगतान तंत्र बनाए जा रहे हैं।

रूस को अलग-थलग करने के अमरीका के वैश्विक प्रयासों के बावजूद, मिस्र ने रूस के साथ संबंधों को मज़बूत बनाने के प्रयास किए गए । इसके अलावा, क़ाहिरा ने हाल ही में रूसी विमानों के लिए मिस्र के हवाई क्षेत्र को बंद करने के वाशिंगटन के अनुरोध को ख़ारिज कर दिया था।

मिस्र और रूस के बीच मज़बूत होते रिश्तों के कारण, अमरीका ने हाल के वर्षों में, छड़ी और गाजर नीति का उपयोग करने की कोशिश की। विशेष रूप से वाशिंगटन ने सैन्य सहायता कार्ड खेलकर क़ाहिरा को मास्को से दूर जाने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया।

इसके बावजूद, मिस्र ने अमरीकी दबाव को नकार दिया और इस संबंध में स्वाधीन विदेश नीति अपनाने पर ज़ोर दिया। सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि रूस के साथ संबंध बनाए रखने और ग़ैर-पश्चिमी संस्थानों और संगठनों में शामिल होने की कोशिश को अमरीका और पश्चिमी देशों से दूरी बनाने के मिस्र के प्रयासों के रूप में भी देखा जा रहा है।

ब्रिक्स में शामिल होने के मिस्र के अनुरोध की घोषणा ऐसी स्थिति में की गई है, जब ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों ने 2 जून को केप टाउन में एक बैठक की थी। ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीक़ा ब्रिक्स समूह के प्रमुख सदस्य हैं और इस समूह का नाम इन पांच देशों के नाम के पहले अक्षर से लिया गया है।