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माराडोना… पेले… और ज़िदान में तीन बात कॉमन है…

Kranti Kumar
@KraantiKumar
◆ माराडोना… पेले… और जिदान में तीन बात कॉमन है, तीनों अपने अपने देशों में अल्पसंख्यक वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. तीनों का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा.

और तीनों अपने अपने देश के सर्वश्रेष्ठ महानतम फुटबॉल खिलाड़ी हैं.

◆ अर्जेंटीना के महान फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना “गौरानी” आदिवासी जनजाति से थे. आप लोगों को क्या लगा डिएगो माराडोना स्पैनिश मूल के हैं. डिएगो माराडोना के पिता गौरानी आदिवासी थे.

आदिवासी मूल के माराडोना ने 1986 में अर्जेंटीना फुटबॉल टीम को अपने दम पर विश्व कप जितवाया. अर्जेंटीना में आज भी डिएगो माराडोना से बड़ा नाम कोई नही है.

◆ पेले अफ्रीकन मूल के ब्राज़ीलियाई खिलाड़ी हैं. उनके वंशजों को कभी ब्राज़ील की धरती पर गुलामी कराने लाया गया था. झुग्गी बस्ती से निकलकर दुनिया के महान फुटबॉल खिलाड़ी बने. उन्होंने ब्राज़ील को 1958 1962 और 1970 का वर्ल्ड कप जीतने में सबसे अहम भूमिका निभाई.

◆ जेनेडिन जिदान अल्जीरियाई मुस्लिम हैं. उनके पिता अल्जीरियाई युद्ध के समय वे फ्रांस के दक्षिण में बस गए. दिहाड़ी मजदूरी करके उन्होंने जेनेडिन जिदान की परवरिश की. बड़ा होकर जिदान फ्रांस के महान फुटबॉल खिलाड़ी बने !

फ्रांस ने मुसलमान जिदान को फुटबॉल टीम का कप्तान बनाया. जिदान के नेतृत्व में फ्रांस 1998 में विश्व विजेता बना. और 2006 के फुटबॉल वर्ल्ड कप में रनर-अप रहा !

◆ हुनर… प्रतिभा… योग्यता… किसी एक नस्ल जाति या धर्म की बपौती नही है. सभी नस्ल धर्म जाति के पास टैलेंट है. अगर इन तीन महान खिलाड़ियों को उनके जाति नस्ल धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाता तो क्या अर्जेंटीना ब्राज़ील और फ्रांस कभी विश्व विजेता टीम बन पाते ?

◆ क्रिकेट टेनिस बैडमिंटन हर उस खेल से कुछ मुट्ठी भर विशेष जातियों का वर्चस्व खत्म करना चाहिए. हर खेल में हर जाती धर्म नस्ल के लोगों को मौका मिलना चाहिए. तभी भारत हर खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है.