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मानव विकास का नया इतिहास : होमोसेपियंस के नियान्डर्थल और डेनिसोवंस जैसी अन्य मानव प्रजातियों के साथ शारीरिक संबंध होते थे : रिपोर्ट

अब तक माना जाता रहा है कि होमोसेपियंस सबसे अलग और बेहतर जीव हैं और बाकी मानव प्रजातियां खत्म हो गईं. लेकिन अब पता चल रहा है कि होमोसेपियंस और दूसरी प्रजातियों के बीच शारीरिक संबंध बने थे.

बहुत लंबे समय तक मानव होने की एक छोटी सी स्पष्ट परिभाषा रही है. जटिल, विचारशील और गहरी भावनाओं वाले होमोसेपियंस को ही सच्चे अर्थों में मानव माना गया.

उससे पहले दो पैरों पर चलने वाला इंसान जैसे नियान्डर्थल आदि को पूरा मानव नहीं माना गया बल्कि उन्हें मानवजाति की विकास यात्रा का एक चरण ही समझा गया. आम समझ यह रही है कि नियान्डर्थल इसलिए खत्म हो गये थे क्योंकि होमोसेपियंस उनसे बेहतर थे.

लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है. अति प्राचीन अवशेषों से मिले डीएनए के अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों की समझ बेहतर हुई है. तकनीक में हुए अत्याधुनिक विकास ने मानव इतिहास के अध्ययन को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया है. प्राचीन काल में धरती पर रहे इंसानों के अध्ययन की अलग-अलग शाखाएं खुली हैं और उनके बारे में सोच भी बदल रही है.

विशेष नहीं हैं होमोसेपियंस
नये अध्ययन इस समझ को चुनौती दे रहे हैं कि हम यानी होमोसेपियंस इतने भी विशेष नहीं हैं. जो प्रजातियां अब विलुप्त हो गयी हैं उनके साथ भी होमोसेपियंस ने लंबे समय तक धरती साझा की है और वे भी बहुत कुछ हमसे मिलते-जुलते ही थे.

लंदन स्थित नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में मानव-विकास विशेषज्ञ क्रिस स्ट्रिंगर कहते हैं, “हम अब उन्हें पूर्ण मानव के रूप में देखते हैं. दिलचस्प यह है कि वे अलग तरह के मानव थे.”

यह समझ भी अब बढ़ रही है कि होमोसेपियंस के अन्य मानव प्रजातियों के साथ बेहद करीबी और शारीरिक संबंध भी रहे थे. इनमें नियान्डर्थल, डेनीसोवन्स और ऐसी अन्य प्रजातियां भी शामिल हैं, जिन्हें सिर्फ अलग तरह के डीएनए के जरिए पहचाना गया है.

अब वैज्ञानिक इस बात को लेकर पुष्ट हैं कि होमोसेपियंस सबसे पहले तीन लाख साल पहले अफ्रीका में नजर आये. अमेरिका के स्मिथसोनियन म्यूजियम में मानव उत्पत्ति के बारे में अध्ययन करने वाले प्रोग्राम के निदेशक रिक पॉट्स कहते हैं कि होमोसेपियंस और अन्य प्रजातियां एक साथ धरती पर रही थीं.

जब अफ्रीका में होमोसेपियंस पनप चुके थे तब भी यूरोप में नियान्डर्थल मौजूद थे. तब अफ्रीका में होमो हाइडलबेरजेनसिस और होमो नालेदी भी रह रहे थे. उसी वक्त इंडोनेशिया में छोटे कद के होमो फ्लेसिएनसिस मौजूद थे जिन्हें अक्सर हॉबिट के नाम से जाना जाता है. लंबी टांगों वाले होमो इरेक्टस उस वक्त एशिया में मौजूद थे.

समझदार थीं अन्य प्रजातियां
वैज्ञानिकों को अब इस बात का अहसास हो रहा है कि ये सभी मानव प्रजातियां होमोसेपियंस की प्रजातियां नहीं थीं. ये चचेरे-ममेरे भाइयों जैसे थे जो एक ही स्रोत से निकलकर अलग-अलग दिशाओं में बढ़े थे. पुरातात्विक खोजों ने दिखाया है कि कई प्रजातियों का व्यवहार बेहद जटिल था.

जैसे नियान्डर्थल मानव गुफाओं में चित्रकारी करते थे. होमो हाइडलबेरजेनसिस गैंडों और दरियाई घोड़ों जैसे विशाल प्राणियों का शिकार करते थे. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि छोटे मस्तिष्क वाले होमो नालेदी होमोसेपियंस के विकास से पहले ही अपने मृत शरीरों को दक्षिण अफ्रीका की गुफाओं में लकड़ियों के साथ दफनाते थे.

वैज्ञानिकों के मन में यह सवाल भी है कि अगर ये प्रजातियां एक जैसी थीं तो क्या उनके बीच शारीरिक संबंध भी थे. कुछ वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि होमोसेपियंस अफ्रीका से निकलकर अन्य हिस्सों में गये और उन्होंने बिना शारीरिक संबंध बनाये अन्य प्रजातियों की जगह ले ली.

न्यूयॉर्क की स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी में पुरात्तवविद जॉन शिया कहते हैं कि वह पहले सोचते थे कि नियान्डर्थल और होमोसेपियंस प्रतिद्वन्द्वी थे और “अगर उनका सामना हुआ होगा तो उन्होंने एक दूसरे को मार डाला होगा.”

लेकिन डीएनए अध्ययन अलग कहानी कहते हैं. ये अध्ययन बताते हैं कि दोनों प्रजातियों के बीच संबंध बने और आज का मानव उसी का परिणाम हैं. 2010 में स्वीडन के जीव-विज्ञानी सवांते पाबो और उनकी टीम ने एक जटिल पहेली सुलझायी थी. उन्होंने टुकड़ों में उपलब्ध डीएनएन नमूनों से नियान्डर्थल का पूरा जीनोम तैयार किया था. ऐसा करना पहले असंभव माना जाता था और इस खोज के लिए पाबो को पिछले साल नोबेल पुरस्कार मिला था.

मानव विकास का नया इतिहास
डीएनए परीक्षण से मिले सबूत दिखाते हैं कि होमोसेपियंस के नियान्डर्थल और डेनिसोवंस जैसी अन्य मानव प्रजातियों के साथ शारीरिक संबंध होते थे. इन शोधों में अन्य अज्ञात प्रजातियों के डीएनए अंश भी मिले हैं, जिनके जीवाश्म अब तक कहीं नहीं मिले हैं.

यह कहना तो मुश्किल है कि ये संबंध दुनिया के किस हिस्से में बने. ऐसा लगता है कि होमोसेपियंस अफ्रीका से निकलने के बाद और यूरोप पहुंचते ही नियान्डर्थल्स से मिल-जुल गये थे. हो सकता है कि डेनिसोवंस के साथ उनका मेल पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में हुआ हो.

पोट्स कहते हैं, “उनके पास कोई नक्शा तो था नहीं इसलिए उन्हें पता नहीं था कि वे कहां जा रहे हैं. लेकिन जब वे पहाड़ पर चढ़े होंगे तो उन्हें दूसरी तरफ लोग नजर आये होंगे, जो दिखने में उनसे कुछ अलग थे. वे मिले होंगे. उन्होंने आपस में संबंध बनाये होंगे और जीन्स की अदला-बदली हुई होगी.”

वीके/सीके (एपी)