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मानव ने आदिकाल से जो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार होने का इस धरती पर कोई स्थान है?

वैदिक संस्कृति और धरोहर
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बर्मा आज अलग देश है पर इसके अलग होने का कारण क्या था आप जानते है?
अंग्रेजो ने बर्मा को 1886 में जीता था और कुछ समय के लिए भारतीय संघ में उसे मिला दिया था, पर ऐसा क्या हुआ कि भारत के स्वतंत्रता के कुछ समय पहले ही उसे अलग कर दिया गया?
अंग्रेजो ने भारत में 1891 की जनगणना में 2 से 3 हजार जातियों को नोट किया था और कई नस्लों का उल्लेख किया था
अंग्रेजो ने लोगो के नाक की लंबाई, आंख की चौड़ाई, होंठ के आकार के आधार पर जातियों को विभक्त किया था और ऊपर से नीचे तक क्रमवार उन जातियों का विवरण लिखा गया
उस क्रम में जो ऊपर रहा वो बड़ी जाति हो गई और जो नीचे थी वो छोटी जाति हो गई। उन्होंने जातियों के भी जाति निकाली जैसे अगर आप बनिया हो तो बनिया में भी दर्जन भेद किए गए
अंग्रेजो ने बर्मी जाति को भारत से अलग माना, इसके पक्ष में उनका कहना था भारत की संस्कृति से वे अलग थे, उनका धर्म भी अलग था, अर्थात वो बौद्ध राज्य था जिस कारण उन्हें भारत से अलग माना जाना चाहिए
पर वहीं अंग्रेज अपने दूसरे भाषणों में ये भी कहते नही थक रहे थे कि भारत विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है और जब विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है तो बर्मी हमसे अलग कैसे हुए?
बेशक ये एक बेतुका तर्क था, किंतु इसी बेतुके तर्क के कारण उन्हे एक अलग देश घोषित कर दिया, पर इसका यहीं एकमात्र कारण नही था


ब्रिटेन का भारत के प्रति पहले से एक पूर्वाग्रह था, ये तो जाहिर था कि वे भारतीय संस्कृति को पसंद नही करते थे ऐसे में उन्हे एक विशाल देश सौंप कर जाना उनके लिए और भी पीड़ा दाई था
ब्रिटेन को ये अनुमान प्रथम विश्वयुद्ध से ही हो चला था कि उसका वैश्विक प्रभुत्व कभी भी कम या नष्ट हो सकता है, इसलिए उसने भारत की आजादी से दस बारह वर्ष पहले ही बर्मा को एक अलग देश घोषित करके अलग कर दिया
ये उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के छिड़ने से पहले किया
जब सुभाषचंद्र बोस ने इस इलाके को जीत लिया और भारत सहित इन क्षेत्रों को मिलाकर एक नए स्वतंत्र देश की स्थापना के साथ उन्होंने अपने प्रधानमंत्री होने की घोषणा कर दी तो अंग्रेजो में हड़कंप मच गया
इसी बीच बर्मा में एक नेता उभरा जिसने पहले तो अंग्रेजो के विरुद्ध अभियान करते हुए जापान का समर्थन किया, किंतु जब जापान कमजोर पड़ने लगा तो उसने पाला बदलते हुए जापानियों पर ही हमले कर दिए
अंग्रेजो ने बाद में उसे एक स्थानीय नेता के रूप में उभरने में सहायता प्रदान की और आज वे वहां के राष्ट्रपिता माने जाते है, किंतु इस प्रक्रम ने बर्मा का भारत के विलय को गहरा झटका दिया जिसके बाद बर्मा 1948 में एक स्वतंत्र देश घोषित हो गया
इसी तर्ज पर उन्होंने भूटान को भी अलग माना, हालांकि भूटान के लोगो का ऐसा मत नही था, भारत को जब स्वतंत्रता मिली तब भूटान उन देशों में शामिल था जिसने भारतीय प्रभुत्व को स्वीकारा था और भारत में मिल सकता था
पर नेहरू इसके इच्छुक नहीं थे


Khan Sir Ka Gyan
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जानिये भारत भूमी के बारे मे विदेशियों की राय:

1. अलबर्ट आइन्स्टीन – हम भारत के बहुत ऋणी हैं, जिसने हमें गिनती सिखाई, जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज संभव नहीं हो पाती।

2. रोमां रोलां (फ्रांस) – मानव ने आदिकाल से जो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार होने का इस धरती पर कोई स्थान है, तो वो है भारत।

3. हू शिह (अमेरिका में चीन राजदूत)- सीमा पर एक भी सैनिक न भेजते हुए भारत ने बीस सदियों तक सांस्कृतिक धरातल पर चीन को जीता और उसे प्रभावित भी किया।…

4. मैक्स मुलर- यदि मुझसे कोई पूछे की किस आकाश के तले मानव मन अपने अनमोल उपहारों समेत पूर्णतया विकसित हुआ है, जहां जीवन की जटिल समस्याओं का गहन विश्लेषण हुआ और समाधान भी प्रस्तुत किया गया, जो उसके भी प्रसंशा का पात्र हुआ जिन्होंने प्लेटो और कांट का अध्ययन किया,तो मैं भारत का नाम लूँगा।

5. मार्क ट्वेन- मनुष्य के इतिहास में जो भी मूल्यवान और सृजनशील सामग्री है, उसका भंडार अकेले भारत में है।

6. आर्थर शोपेन्हावर – विश्व भर में ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो उपनिषदों जितना उपकारी और उद्दत हो। यही मेरे जीवन को शांति देता रहा है, और वही मृत्यु में भी शांति देगा।

7. हेनरी डेविड थोरो – प्रातः काल मैं अपनी बुद्धिमत्ता को अपूर्व और ब्रह्माण्डव्यापी गीताके तत्वज्ञान से स्नान करता हूँ, जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और उसका साहित्य अत्यंत क्षुद्र और तुच्छ जन पड़ता है।

8. राल्फ वाल्डो इमर्सन – मैं भगवत गीता का अत्यंत ऋणी हूँ। यह पहला ग्रन्थ है जिसे पढ़कर मुझे लगा की किसी विराट शक्ति से हमारा संवाद हो रहा है।

9. विल्हन वोन हम्बोल्ट- गीता एक अत्यंत सुन्दर और संभवतः एकमात्र सच्चा दार्शनिक ग्रन्थ है जो किसी अन्य भाषा में नहीं। वह एक ऐसी गहन और उन्नत वस्तु है जैस पर सारी दुनिया गर्व कर सकतीहै।

10. एनी बेसेंट -विश्व के विभिन्न धर्मों का लगभग ४० वर्ष अध्ययन करने के बाद मैं इस नतीजेपर पहुंची हूँ की हिंदुत्व जैसा परिपूर्ण, वैज्ञानिक, दार्शनिक और अध्यात्मिक धर्म और कोई नही ।

आप जिस धर्म के है उस धर्म पे गर्व कीजिए
जय हिन्द दोस्तो…….

 

Tejasvi Yadav
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आखिर तक पढ़े😜
एक बनिया था
5 रुपए की एक रोटी बेचता था।
उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था।
लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजाजी मुझे रोटी का दाम 10 करना है।
राजा बोला तुम 10 नहीं 40 रुपए करो, बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच जाएगा।
राजा बोला इसकी चिंता तुम मत करो, तुम 10 रुपए दाम कर दोगे तो मेरे राजा होने का क्या फायदा तुम अपना फायदा देखो और 40 रुपए दाम कर दो।
अगले दिन बनिये ने रोटी का दाम बढ़ाकर 40 रुपए कर दिया।
शहर में हाहाकार मच गया, तभी सभी जनता राजा के पास पहुंचे, बोले महाराज यह बनिया अत्याचार कर रहा है, 5 की रोटी 40 में बेच रहा है।
राजा ने अपने सिपाहियों को बोला उस गुस्ताख बनिए को मेरे दरबार में पेश करो।
बनिया जैसे ही दरबार में पहुंचा, राजा ने गुस्से में कहा गुस्ताख तेरी यह मजाल तूने बिना मुझसे पूछे कैसे दाम बढ़ा दिया। यह जनता मेरी है तू इन्हें भूखा मारना चाहता है।
राजा ने बनिए को आदेश दिया तुम रोटी कल से आधे दाम में बेचोगे, नहीं तो तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा।
राजा का आदेश सुनते ही पूरी जनता ने जोर से बोला महाराज की जय हो, महाराज की जय हो, महाराज की जय हो।
नतीजा सुनिए:- अगले दिन से 5 की रोटी 20 में बिकने लगी। अब जनता भी खुश, बनिया भी खुश, और राजा भी खुश।
जनता को मूर्ख बनाने में माहिर को ही जनता कुशल शासक मान लेती है इसको कहते हैं विवेक शून्यता। कृपया इसे राजनीति से ना जोड़ें यह केवल एक पोस्ट है। बाकी राजा कौन है आप सब लोग तो जानबे करते हैं।😂