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महाकुंभ में स्नान करने गईं महिलाओं और लड़कियों के वीडियो को टेलिग्राम पर बेचा जा रहा है, मेटा के प्लेटफॉर्म पर भी ये निजी वीडियो मौजूद हैं!

महाकुंभ में स्नान करने गईं महिलाओं और लड़कियों के वीडियो को टेलिग्राम पर बेचा जा रहा है. मेटा के प्लेटफॉर्म पर भी ये निजी वीडियो मौजूद हैं. यूपी पुलिस इस मामले की छानबीन में जुट गई है.

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में स्नान करने गईं महिलाओं और लड़कियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए गए हैं. ये वीडियो उस वक्त रिकॉर्ड किए गए जब ये महिलाएं गंगा में स्नान कर रही थीं या कपड़े बदल रही थीं. मेटा के प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम और फेसबुक पर महाकुंभ से जुड़े हैशटैग और कीवर्ड के साथ ये वीडियो शेयर किए गए.

इसके बाद ऐसे ही वीडियो टेलीग्राम के भी एक चैनल के जरिए वायरल किए गए. टेलिग्राम पर ये वीडियो बेचे भी जा रहे थे. उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में दोनों ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के खिलाफ अलग अलग केस दर्ज किए हैं.

भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सोशल मीडिया महाकुंभ से जुड़ी भ्रामक और आपत्तिजनक जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए बनाई गई टीम ने इस पर त्वरित कार्रवाई की. सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टीम ने पाया कि महिलाओं के नहाते और कपड़े बदलते कई वीडियो इस हफ्ते अचानक सोशल मीडिया पर दिखने लगे. पुलिस ने इस मामले में मेटा से भी जानकारी मांगी है ताकि वीडियो अपलोड करने वालों का पता लगाया जा सके. वहीं, टेलिग्राम के चैनल के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

इलाहबाद रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के बाद पुल से शवों को उतारने की तस्वीर

महिलाओं के खिलाफ कैसे टेलिग्राम बना हथियार
महाकुंभ में आई भारतीय महिलाओं के ये वीडियो लगभग हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं. हालांकि सिर्फ टेलिग्राम के जरिए इन्हें बेचा जा रहा है. भारतीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक टेलिग्राम के जिन चैनलों पर महाकुंभ में आई महिलाओं के ये वीडियो बेचे जा रहे थे उन ग्रुपों में जुड़ने की कीमत दो से तीन हजार रुपये रखी गई थी.

जाहिर है इनमें से किसी भी महिला श्रद्धालु को ये पता नहीं था कि बिना उनकी सहमति के ना सिर्फ उनके वीडियो रिकॉर्ड किए जा रहे हैं, बल्कि इन क्लिप्स को आगे बेचा भी जा सकता है. यह पहला मामला नहीं है जहां टेलिग्राम का इस्तेमाल ऐसे वीडियो को बेचने के लिए किया जा रहा है.

1986 में हरिद्वार में हुए कुंभ मेले की एक तस्वीर

महाकुंभ से वायरल हुए महिलाओं के वीडियो का मुद्दा जहां चर्चा में है. वहीं, गुजरात में भी ऐसा ही एक केस सामने आया है जिसकी चर्चा कहीं दब गई है. इसी हफ्ते राजकोट के एक निजी अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिलाओं के वीडियो टेलिग्राम और यूट्यूब पर पाए गए. ये वीडियो सीटीवी फुटेज थे जो महिलाओं की जांच के दौरान रिकॉर्ड हुए थे. इन्हें भी टेलिग्राम पर 1000 से 1500 रुपये की कीमत पर टेलिग्राम पर बेचा जा रहा था. इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. राजकोट पुलिस और अहमदाबाद साइबर सेल के मुताबिक इन लोगों ने अंतरराष्ट्रीय हैकरों की मदद से ऐसा किया.

टेलिग्राम का इस्तेमाल ना सिर्फ महिलाओं के बल्कि बच्चों के भी ऐसे वीडियो बेचने के लिए किया जाता है. इसका अंदेशा केरल पुलिस को करीब पांच साल पहले ही हो गया था तभी उसने टेलिग्राम ऐप के खिलाफ अदालत में याचिका दाखिल की थी. पुलिस ने तब कहा था कि टेलिग्राम पर नाम छिपा कर लोग हर तरीके के अपराध को अंजाम दे पा रहे हैं. तब कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी जवाब तलब किया था. हालांकि, सरकार ने कहा था कि वह इस ऐप पर आईटी ऐक्ट के तहत प्रतिबंध नहीं लगा सकती.

साल 1954 में इलाहबाद में हुए कुंभ मेले में मौजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू

दुनिया के कई देशों में महिलाओं के खिलाफ इस्तेमाल होता है टेलिग्राम
2024 में दक्षिण कोरिया में महिलाओं के पॉर्नोग्राफिक डीपफेक बड़ी तादाद में शेयर किए गए. इनमें ज्यादातर स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं की निजी तस्वीरें और वीडियो थे. इन्हें टेलिग्राम पर बने ग्रुप के जरिए ही साझा किया गया था. कंपनी को वहां की सरकार से माफी तक मांगनी पड़ी थी यह कबूलते हुए कि उन्होंने इस मामले में लापरवाही दिखाई.

दिसंबर 2024 में जर्मनी में भी ऐसा ही एक टेलिग्राम चैनल सामने आया जिसमें यह बताया जा रहा था कि महिलाओं के साथ यौन हिंसा कैसे की जा सकती है. साथ ही इसमें महिलाओं को बेहोश करने के भी टिप दिए जा रहे थे. इसमें लोगों ने गिजेल पेलिको का उदाहरण भी साझा किया था. इस ग्रुप में करीब 70,000 से अधिक लोग शामिल थे.

ब्रिटेन की एक संस्था रिवेंज पॉर्न हेल्पलाइन के हालिया रिसर्च के मुताबिक टेलिग्राम पर पुरुषों का एक अंडरग्राउंड नेटवर्क महिलाओं की निजी तस्वीरें एक दूसरे से शेयर कर रहा है. रिपोर्ट यह भी बताती है कि ना सिर्फ टेलिग्राम के इन नेटवर्कों पर महिलाओं की तस्वीरें साझा हो रही हैं बल्कि ये पुरुष तस्वीरों के कैप्शन में यह भी लिखते हैं कि वे महिलाओं के साथ क्या करना चाहते हैं. इनमें ज्यादातर कैप्शन यौन हिंसा के बारे में ही होते हैं.

टेलिग्राम कैसे बना अपराधियों के लिए “सेफ हेवन”
टेलीग्राम को दुनिया के कई साइबर एक्सपर्ट इस ऐप को अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित ऐप में से एक मानते हैं. इस ऐप पर अनगिनत महिला विरोधी, नस्लभेदी, ड्रग्स विक्रेताओं के समूह सक्रिय हैं.

टेलिग्राम है तो एक आम मेसेजिंग ऐप ही लेकिन इसमें यूजर के पास अपनी पहचान छिपाने के विकल्प होते हैं. इसमें सीक्रेट चैट भी होता जिसके जरिये लोग अपने फोन नंबर तक छिपा सकते हैं. बढ़ते आपराधिक मामलों के कारण पिछले साल टेलिग्राम ने कहा था कि वैध वारंट होने पर वह जांच अधिकारियों से यूजर का आईपी अड्रेस और फोन नंबर साझा करने के लिए तैयार है.

साल 1954 में इलाहबाद में आयोजित हुए कुंभ में हाथियों पर बैठकर जाते हुए साधु

ऐप को सुरक्षित बनाने में असफल रहे दुरोव
टेलिग्राम ने प्लैटफॉर्म को सुरक्षित बनाने के वादे तो किए लेकिन हालिया घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि इन्हें पूरा करने में वह अब तक असफल रहा है. कंपनी की आधिकारिक साइट कहती है कि ऐप पर हर दिन हजारों ग्रुपों को प्रतिबंधित किया जाता है और लाखों की तादाद में कंटेंट को हटाया जाता है. इसमें बाल यौन हिंसा और उत्पीड़न, अवैध चीजों की खरीद फरोख्त जैसे प्रतिबंधित काम से जुड़े कंटेंट शामिल हैं.

पिछले साल अगस्त में कंपनी के सीईओ पावेल दुरोव को फ्रांस की सरकार ने टेलिग्राम पर होने वाली आपराधिक गतिविधियों के कारण ही गिरफ्तार किया था. आरोप था कि उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए. इनमें किशोर यौन हिंसा, ड्रग्स, तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद जैसे अपराध शामिल थे.

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशियाई देशों में टेलिग्राम के जरिए कई अपराधों को बढ़ावा मिला. इसमें ऑनलाइन सेक्स अपराध, फ्रॉड, डेटा की चोरी, डीपफेक पॉर्नग्राफी जैसे अपराधों की तादाद बढ़ी.

दुरोव ने 2013 में टेलिग्राम शुरू किया था. उनकी दलील थी कि यह प्लेटफॉर्म अभिव्यक्ति की आजादी को बढ़ावा देगा लेकिन धीरे धीरे इसके इस्तेमाल की वजहें बदलती गईं. हालांकि, उनकी गिरफ्तारी पर कई देशों ने चिंता भी जाहिर की थी.

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रितिका