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महमूद अली हिन्दी सिनेमा में कॉमेडी के बेताज बादशाह!

महमूद अली हिन्दी सिनेमा में कॉमेडी के बेताज बादशाह रहे। उन्होने अपने करियर में 300 से ज्यादा फिल्में की। उन्हे पहली बड़ी सफलता अपने ही निर्देशन में बनी भूत बंगला से मिली थी। इसके बाद पड़ोसन, लव इन टोक्यो, बांबे टु गोवा जैसी फिल्मों ने उन्हे शिखर पर पहुंचा दिया।


महमूद का जन्म 29 सितंबर, 1932 को मुम्बई, भारत में हुआ था। महमूद मशहूर नृतक मुमताज़ अली और लतीफ़ुन्निसा अली के बेटे और चरित्र अभिनेत्री मिन्नो मुमताज़ अली के भाई थे। महमूद ने अभिनेत्री मीना कुमारी की बहन मधु से विवाह किया था। आठ संतानों के पिता महमूद के दूसरे बेटे मक़सूद लकी अली जाने-माने गायक और अभिनेता हैं। निर्देशक के रूप में महमूद की अंतिम फ़िल्म थी ‘दुश्मन दुनिया का’। 1996 में बनी इस फ़िल्म में उन्होंने अपने बेटे मंज़ूर अली को पर्दे पर उतारा था।

अभिनेता के तौर पर काम से पेहले वे छोटे मोटे काम करते थे, वाहन चलाने का काम भी करते थे। उस ज़माने में मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने के लिये उन्हे नौकरी पर रक्खा गया था। बादमें उन्होने मीना कुमारी की बहन मधु से शादी की। शादी करने और पिता बनने के बाद ज़्यादा पैसे कमाने के लिये उन्होने अभिनय करने का निश्चय किया। शुरुआत में उन्होने दो बीघा ज़मीन और प्यासा जैसी फ़िल्मों में छोटे मोटे पात्र निभायें।

Mahmood Ali को पहला ब्रेक 1958 की फ़िल्म ‘परवरिश’ में मिला था, जिसमें उन्होंने राज कपूर के भाई की भूमिका निभाई थी। 1961 की ससुराल उनके कैरियर की अहम फ़िल्म थी, जिसके जरिए बतौर हास्य कलाकार स्थापित होने में उन्हें मदद मिली। 60 के दशक के हास्य कलाकारों की टीम की सफल शुरुआत के लिए भी ससुराल को अहम माना जाता है, क्योंकि इस फ़िल्म में महमूद के साथ-साथ शुभा खोटे जैसी हास्य अभिनेत्री ने भी अपनी कला के जौहर दिखाए।


प्रमुख भूमिका 1965 की फ़िल्म जौहर महमूद इन गोवा में उन्हें कॉमेडियन के साथ-साथ प्रमुख भूमिका निभाने का भी मौक़ा मिला। प्यार किए जा (1966) और पड़ोसन (1968) महमूद की दो सर्वाधिक यादगार भूमिकाओं वाली फ़िल्में हैं। प्यार किए जा में महमूद ने एक ऐसे युवक का किरदार निभाया, जो फ़िल्म निर्देशक बनना चाहता है और अपने बैनर ‘वाह वाह प्रोडक्शन’ के लिए वह अपने पिता (ओम प्रकाश) से आर्थिक मदद की उम्मीद रखता है। वहीं पड़ोसन में दक्षिण भारतीय गायक के किरदार में भी महमूद ने दर्शकों को खूब लुभाया

महमूद ने बाद में अपना स्वयं का प्रोडक्शन हाउस खोला। उनकी पहली होम प्रोडक्शन फ़िल्म छोटे नवाब थी। बाद में उन्होंने बतौर निर्देशक सस्पेंस-कॉमेडी फ़िल्म भूत बंगला बनाई। उसके बाद उनकी फ़िल्म पड़ोसन 60 के दशक की जबर्दस्त हिट साबित हुई। पड़ोसन को हिंदी सिने जगत की श्रेष्ठ हास्य फ़िल्मों में गिना जाता है। अपनी अनेक फ़िल्मों में वह नायक के किरदार पर भारी नजर आए।

अभिनेता, निर्देशक, कथाकार और निर्माता के रूप में काम करने वाले महमूद ने शाहरुख खान को लेकर वर्ष 1996 में अपनी आखिरी फ़िल्म दुश्मन दुनिया का बनाई लेकिन वह बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही।


प्रमुख फिल्में:

आँखें
ससुराल
गुमनाम
प्यार किये जा
लव इन टोक्यो
पत्थर के सनम
पडोसन
भूत बंगला
बोम्बे टु गोआ
साधू और शैतान
हमजोली
मैं सुन्दर हूं
कुंवारा बाप
संगर्श
दो फ़ूल
जिन्नि और जोनी
सबसे बड़ा रूपैया
अनोखी अदा,
नीला आकाश
नील कमल
जोहर मेहमूद इन गोवा
जोहर मेहमूद इन होंग कोंग

आख़िरी दिनों में महमूद का स्वास्थ्य ख़राब हो गया। वह इलाज के लिए अमेरिका गए, जहाँ 23 जुलाई, 2004 को उनकी मृत्यु हुई।

 

#Mahmood Ali
(29 sept 1932-23 July 2004)
Legendary Indian Actor and Film Maker
Arguably the greatest ever comedian of “Hindi” Cinema
He was Son of Famous Actor/Dancer Mumtaz Ali

Debuted in 1937 as child actor.
Acted in more than 300 movies over 5 decades