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मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने नेहरू, इंदिरा गांधी का ज़िक्र क्यों किया, ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण से जुड़े सवाल का जवाब भी दिया!

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम भारत के दौरे पर हैं.

अनवर इब्राहिम ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु से मुलाक़ात की और साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

भारत यात्रा के दौरान अनवर इब्राहिम ने 20 अगस्त को दिल्ली में ‘इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स’ के एक कार्यक्रम में शिरकत की.

इस कार्यक्रम में अनवर इब्राहिम ने भारत के अल्पसंख्यकों और धार्मिक मुद्दों से जूझने की बात कही. अनवर इब्राहिम ने इस्लामी प्रचारक ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण से जुड़े सवाल का जवाब भी दिया और जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी को भी याद किया.

अनवर इब्राहिम ने कहा, ”मैं इस तथ्य से इनकार नहीं करूंगा कि भारत को भी अल्पसंख्यकों और धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों से जूझना पड़ता है. लेकिन हमें उम्मीद है कि भारत अपनी सही भूमिका निभाता रहेगा.”

मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा, ”मैंने प्रधानमंत्री मोदी से भी इसका ज़िक्र किया कि कुछ ऐसे साल थे जब नेहरू, झ़ोउ इनलाई, सुकर्णो, न्येरेरे जैसे नेता उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ रहे और ग्लोबल साउथ के लिए खड़े रहे ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि हम मानवता, आज़ादी, पुरुषों और औरतों के सम्मान को पहचान सकें.”

अनवर इब्राहिम ने नेहरू, इंदिरा गांधी का ज़िक्र क्यों किया
अनवर जब भारत आए तो पीएम मोदी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में उनका स्वागत किया.

दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस दौरान कई अहम समझौतों का एलान भी किया गया.

इस मुलाकात से अलग एक दूसरे कार्यक्रम में भारत की तारीफ़ करते हुए अनवर इब्राहिम ने कहा, ”भारत मेरे लिए पहेली बना हुआ है. मैं छात्र नेता के तौर पर भारत कितनी ही बार आया हूं. एक युवा छात्र नेता के तौर पर एक बार मुझे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी मिलने का मौक़ा मिला. एशिया के नौ युवा नेता उनसे कई मुद्दों पर सवाल कर रहे थे. नस्लभेद, भ्रष्टाचार, धार्मिक कट्टरता जैसे मुद्दों पर युवा नेताओं के पूछे कठिन सवालों पर इंदिरा गांधी का स्पष्ट और मातृत्व रुख़ देखने लायक था.”

अनवर 2022 में मलेशिया के प्रधानमंत्री बने थे. पीएम बनने के बाद अनवर का ये पहला भारत दौरा है.

अनवर ने कहा, ”भारत वो देश है, जहां श्री अरबिंदो जैसे विचारक हुए, गांधी जैसे नेता हुए, जिन्होंने मानवता के लिए आज़ादी और इंसाफ़ की लड़ाई अलग तरह से लड़ी. आपके यहां जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना जैसे दिग्गज बुद्धिजीवी हुए जो अपने-अपने देशों में नेता बने. भारत में महान संत और नेता हुए. हममें से कइयों के लिए भारत इस क्षेत्र में लोकतंत्र और आशा की किरण है.”

अनवर इब्राहिम ज़ाकिर नाइक पर क्या बोले
मलेशिया बीते कुछ सालों में एक दूसरी वजह से भी चर्चा में रहा है. इस्लामी प्रचारक ज़ाकिर नाइक मलेशिया में रहते हैं.

ज़ाकिर नाइक भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और हेट स्पीच के मामले में अभियुक्त हैं.

ज़ाकिर नाइक पर भारत और बांग्लादेश में नफ़रत फैलाने और चरमपंथ को बढ़ावा देने के मामले भी दर्ज हैं.

जिस पीस टीवी नेटवर्क पर ज़ाकिर नाइक का भाषण प्रसारित होता है, उस पर भारत समेत कुछ देशों में रोक लगाई गई थी.

अनवर इब्राहिम से दिल्ली में एक कार्यक्रम में ज़ाकिर नाइक के बारे में सवाल पूछा गया.

क्या इस दौरे में ज़ाकिर के प्रत्यर्पण से जुड़ा मुद्दा भी उठा है?

अनवर ने जवाब में कहा, ”सबसे पहली बात तो ये है कि मुद्दा नहीं उठा. कई साल पहले पीएम मोदी ने इस मुद्दे को उठाया था. मैं किसी एक शख़्स की बात नहीं कर रहा बल्कि अतिवाद की भावनाओं की बात कर रहा हूं. जिसमें किसी ठोस मामले में ऐसे सबूत हों जो बताते हों कि इसमें किसी व्यक्ति या संगठन ने कुछ अत्याचार या ग़लत किया हो.”

अनवर इब्राहिम ने कहा, ”हम आतंकवाद को नज़रअंदाज़ नहीं करेंगे. हम सख़्ती बरतते रहे हैं और भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के ख़िलाफ़ काम करते रहे हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस एक मामले से हमारे आगे के सहयोग और द्विपक्षीय रिश्तों पर असर होगा.”

मलेशियाई पीएम ने ग़ज़ा में इसराइली कार्रवाइयों की आलोचना की.

अनवर ने कहा- इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता कि पीड़ित मुस्लिम, ईसाई, हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग हों. वो सब इंसान हैं और हमारा ये कहना बहुत बुरा है कि कि सॉरी हम कुछ नहीं कर सकते.

भारत मलेशिया के बीच क्या समझौते हुए
श्रमिकों की भर्ती, रोज़गार पर समझौता
आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग
डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग
संस्कृति, कला और विरासत के क्षेत्र में सहयोग पर कार्यक्रम
पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग
मलेशिया को दो लाख मीट्रिक टन सफेद चावल का विशेष आवंटन
मलेशियाई नागरिकों के लिए 100 अतिरिक्त आईटीईसी स्लॉट यानी तकनीक और आर्थिक क्षेत्र संबंधी कार्यक्रमों के लिए आवंटन
दोनों देशों के बीच स्टार्टअप पर सहयोग को लेकर सहमति

भारत और मलेशिया संबंध
भारत ने साल 1957 में मलेशिया (मलाया) के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे.

मलेशिया में भारतीय मूल के लोगों की संख्या 27 लाख के क़रीब है, जो वहां की आबादी के क़रीब नौ फ़ीसदी हैं.

मलेशिया में भारतीय मूल के 90 प्रतिशत लोग तमिल भाषी हैं. बाक़ी तेलुगू, मलयालम, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मराठी और अन्य भाषाएं बोलते हैं.

मलेशिया में क़रीब एक लाख 30 हज़ार भारतीय प्रवासी काम करते हैं.

जिन देशों से मलेशिया में सबसे ज़्यादा पर्यटक आते हैं, उनमें भारत टॉप देशों में शामिल है.

अप्रैल 2023 में भारत और मलेशिया ने डॉलर की बजाय अपनी मुद्राओं में व्यापार करने का फ़ैसला किया था.

नवंबर 2023 में अनवर इब्राहिम ने घोषणा की थी कि भारतीय नागरिक मलेशिया में बिना वीज़ा के आ सकते हैं और 30 दिनों तक रह सकते हैं.

भारत मलेशिया को खनिज तेल, एल्मूनियम, मांस, लोहा और स्टील, तांबा, केमिकल, न्यूक्यिलर रिएक्टर, बॉइसल और मशीनी उपकरण निर्यात करता है.

वहीं मलेशिया से भारत खनिज तेल, बिजली की मशीनें और उपकरण, पशुओं की चर्बी और वनस्पति फ़ैट, लकड़ी आदि आयात करता है.

भारत मलेशिया के पाम ऑयल का बड़ा खरीददार रहा है.

भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, मलेशिया और भारत के बीच कारोबार क़रीब 19.5 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.

कश्मीर पर मलेशिया का रुख़
जब साल 2019 में केंद्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया था तो जिन देशों ने इसका विरोध किया था, उनमें मलेशिया भी शामिल था.

मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने सितंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र में कहा था, ”भारत ने कश्मीर पर क़ब्ज़ा कर रखा है.”

मलेशिया के इस रुख़ को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी.

इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर जैसी स्थिति आ गई है. भारतीय कारोबारियों ने मलेशियाई तेल के बहिष्कार की बात कही थी. इसके बावजूद महातिर अपने बयान से पीछे नहीं हटे थे.

महातिर मोहम्मद ने कहा था, ”हम मन से बोलते हैं और बोलकर पीछे नहीं हटते. हमने यही कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के हिसाब से इसका समाधान होना चाहिए. नहीं तो फिर संयुक्त राष्ट्र का क्या मतलब है?”

एनआरसी और सीएए के मुद्दे पर भी महातिर ने विरोध दर्ज किया था.

महातिर ने तब कहा था, “मुझे ये देखते हुए बहुत अफ़सोस होता है कि खुद के धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाला भारत कुछ मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर रहा है. इस क़ानून की वजह से पहले से ही लोग मर रहे हैं तो अब इसे लागू करने की क्या ज़रूरत है जब लगभग 70 सालों से सभी एक नागरिक के तौर पर साथ रह रहे हैं.”

मलेशिया मुस्लिम बहुल देश है. मलेशिया की 60 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी मुस्लिम है.