देश

मलेशिया के प्रधानमंत्री का भारतीय प्रधानमंत्री ने बांहे फैलाकर स्वागत किया, अनवर इब्राहिम ने भारत में अल्पसंख्यकों पर के मुद्दे पर कहा…

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए आगे बढ़े तो मोदी ने बांहे फैलाकर उनका स्वागत किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में अनवर इब्राहिम को गले लगाया. मोदी और इब्राहिम की मुलाक़ात की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी ख़ूब शेयर हुई हैं.

दोनों प्रधानमंत्रियों की इस मुलाक़ात में भारत और मलेशिया के रिश्तों की वो झिझक भी मिटती दिखी जो पिछले कई साल से साफ़ नज़र आ रही थी.

यूं तो भारत और मलेशिया के बीच पुराने सांस्कृतिक और राजनयिक संबंध हैं लेकिन हाल के सालों में कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच कड़वाहट देखने को मिली है.

भारत ने जब साल 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया था, मलेशिया ने इसका खुला विरोध किया था.

भारत के वांछित अपराधी और धार्मिक प्रचारक ज़ाकिर नाइक ने मलेशिया में ही शरण ली है.

क्यों अहम है ये यात्रा
साल 2018 के बाद से मलेशिया के किसी प्रधानमंत्री की ये पहली भारत यात्रा भी है.

ऐसे में अनवर इब्राहिम की इस तीन दिवसीय भारत यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों के लिए अहम माना जा रहा है.

इब्राहिम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भी मुलाक़ात की और साझा प्रेस कांफ्रेंस भी की.

वो ‘इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफ़ेयर्स’ में एक कार्यक्रम में भी शामिल हुए और यहां भारत में अल्पसंख्यकों पर के मुद्दे पर कहा कि भारत भी धार्मिक मुद्दों से जूझ रहा है.

प्रेस वार्ता में ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण से जुड़े सवाल पर इब्राहिम ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस मुद्दे से दोनों देशों के रिश्तों पर असर होगा.

प्रधानमंत्री के रूप में भले ही अनवर इब्राहिम की ये पहली भारत यात्रा है लेकिन एक छात्र नेता और राजनेता के रूप में वो 1980 के दशक से ही भारत आते रहे हैं.

अपनी यात्रा के दौरान अनवर इब्राहिम ने भारत के साथ अपने गहरे आत्मीय रिश्तों को भी याद किया.

उन्होंने 1980 के दशक में एक छात्र नेता के रूप में भारत की यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ मुलाक़ात को भी याद किया है.

विश्लेषक मान रहे हैं कि अनवर इब्राहिम की इस भारत यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों के बीच आई झिझक दूर होगी और ये रिश्तों को और व्यापक करने में अहम साबित होगी.

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और बैंकॉक की थम्मसात यूनिवर्सिटी के जर्मन-साउथ ईस्ट एशियन सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस के सीनियर रिसर्च फेलो राहुल मिश्रा कहते हैं, “साल 2018 के बाद से मलेशिया के किसी प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा नहीं की थी. इस बीच भारत-मलेशिया संबंधों के बीच में कई तनाव और विवादित मुद्दे आ गए थे. इसकी वजह से भी भारत-मलेशिया का रिश्ता पिछले कुछ सालों में सामान्य नहीं हो पाया था. एक झिझक थी संबंधों के बीच. अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों के बीच की ये झिझक ख़त्म होगी.”

मंगलवार को भारत और मलेशिया ने बहु-क्षेत्रीय पार्टनरशिप का भी ऐलान किया है. दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

राहुल मिश्रा कहते हैं, “इससे समझ आता है कि दोनों देश संबंधों को नए आयाम देने की कोशिश कर रहे हैं. भारत और मलेशिया के संबंधों में जो भी तनावपूर्ण मुद्दे थे, ऐसे विवाद थे जिनका समाधान नहीं हो पा रहा था, उन्हें सुलझाने की कोशिश हुई है. इन संबंधों को और व्यापक करने की कोशिश भी हुई है. इस संदर्भ में देखा जाए तो इब्राहिम की ये यात्रा अहम है.”

मज़बूत होते रिश्ते
इब्राहिम और मोदी दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ाने, श्रमिकों की भर्ती और द्विपक्षीय लेन-देन में एक दूसरे की मुद्रा के इस्तेमाल को लेकर सहमत हुए हैं.

मलेशिया में भारतीय मूल के क़रीब 30 लाख लोग रहते हैं. दोनों देशों के बीच यूं तो रिश्ते मज़बूत रहे थे लेकिन मुसिलम बहुसंख्यक मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने भारत के जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करने का विरोध किया था जिसके बाद से रिश्तों में खटास आ गई थी. भारत ने मलेशिया के पाम ऑयल का आयात भी रोक दिया था.

लेकिन 2022 में अनवर इब्राहिम के सत्ता संभालने के बाद से भारत को लेकर मलेशिया के नज़रिए में बदलाव आया है और अनवर इब्राहिम ने कहा भी था कि वो भारत के साथ संबंध सुधारने को लेकर उत्साहित हैं.

भारत और मलेशिया अब एक-दूसरे की मुद्रा में लेनदेन करते हैं और मलेशिया से भारत के लिए पाम ऑयल का निर्यात भी बढ़ा है.

मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा, “प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के सहयोग से, हम दोनों देशों के रिश्तों में नई ऊर्जा और गति आ गई है.”

मोदी ने कहा, “हमने तय किया है कि दोनों देशों के रिश्तों को बढ़ाकर व्यापक रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया जाएगा.”

मोदी और इब्राहिम की दोस्ती
अनवर इब्राहिम ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ख़ास रूप से शुक्रिया अदा किया.

इब्राहिम के मलेशिया की सत्ता संभालने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में सुधार भी हुआ है.

इब्राहिम ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता, नेहरू, गांधी, टैगोर और अरबिंदो जैसे भारतीय व्यक्तित्वों ने उन्हें प्रभावित किया है.

मोदी का शुक्रिया अदा करते हुए इब्राहिम ने कहा, “भारत और मोदी ने उन्हें तब अपनाया जब वो मलेशिया की राजनीति में कुछ भी नहीं थे.”

इब्राहिम ने अपने भाषण में भावनात्क नज़रिया भी पेश किया.

अनवर इब्राहिम की छवि एक बौद्धिक नेता की है, साहित्य के क्षेत्र में भी उनका नाम है, दक्षिण एशिया में वो बड़े राजनेता के रूप में देखे जाते हैं.

राहुल मिश्रा कहते हैं, “अनवर इब्राहिम को दक्षिण एशिया का बड़ा वैचारिक नेता माना जाता है. मोदी से उनके मज़बूत व्यक्तिगत संबंध हैं. ये मुलाक़ात दो नेताओं नहीं बल्कि एशिया के दो बड़े देशों के बीच में हुई है. मोदी और इब्राहिम की कैमिस्ट्री दोनों देशों के रिश्तों को काफ़ी आगे बढ़ा सकती है.

रक्षा क्षेत्र में संभावनाएं
भारत ने मलेशिया को रक्षा निर्यात करने का इरादा भी ज़ाहिर किया है. भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारी जयदीप मज़ूमदार ने प्रेस वार्ता में कहा कि भारत मलेशिया को रक्षा उपकरण भी निर्यात करना चाहता है. भारत ने घरेलू स्तर पर निर्मित लड़ाकू विमान भी निर्यात करने का इरादा ज़ाहिर किया है.

राहुल मिश्रा कहते हैं कि भारत और मलेशिया के बीच रक्षा संबंध अभी शुरुआती स्तर पर हैं और इन्हें आगे बढ़ाने की गुंजाइश है.

राहुल मिश्रा कहते हैं, “भारत ने मलेशिया के साथ कई रक्षा समझौतों की कोशिश हुई है, तेजस विमान को निर्यात करने की भी बात हुई है. फिलीपींस को ब्रह्मोस देने पर भी चर्चा हुई है. रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बहुत संभावनाएं तो हैं लेकिन ये शुरुआती स्तर पर ही हैं. भारत को ये भी देखना होगा कि किन रक्षा उपकरणों को वो अपनी क्षमता से निर्यात कर सकता है, ना कि वो रूस के साथ साझेदारी में शामिल हों. भारत को ऐसे रक्षा उपकरणों का निर्यात करना चाहिए जो उसके अपने निर्मित हों.”

मिश्रा कहते हैं, “मलेशिया नहीं चाहता है कि वो सिर्फ़ यूरोप, रूस या चीन से ही रक्षा उपकरण ख़रीदे. भारत मलेशिया को रक्षा निर्यात करने में अहम भूमिका निभा सकता है. लेकिन ये सब इस पर निर्भर करेगा कि भारत रक्षा क्षेत्र में बड़े निर्यातक के रूप में कब तक उभरता है.”

============

दिलनवाज़ पाशा
पदनाम,बीबीसी संवाददाता