सेहत

मलेरिया के चिंता बढ़ाने वाले आंकड़े, पिछले साल के मुक़ाबले मलेरिया के मामलों में लगभग 1.1 करोड़ की बढ़ोतरी हुई : रिपोर्ट

2023 में मलेरिया कोविड-19 से पहले वाले स्तर पर पहुंच गया और पिछले सालों में इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ हुई प्रगति ठहर गई.

2023 में मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को बड़ा झटका लगा है. मलेरिया के मामले तेजी से बढ़े हैं और इस बीमारी के खिलाफ प्रगति ठहर गई है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की 11 दिसंबर को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले मलेरिया के मामलों में लगभग 1.1 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. 2023 में कुल मामले 26.3 करोड़ तक पहुंच गए. हालांकि, मलेरिया से मौतों की संख्या लगभग स्थिर रही, जो 597,000 थी. इन मौतों में ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के अफ्रीकी बच्चे शामिल हैं.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनाम गेब्रियासुस ने कहा, “किसी को भी मलेरिया से नहीं मरना चाहिए. फिर भी यह बीमारी अफ्रीकी क्षेत्र में, खासकर छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है.”

Stechmuecke

चिंता बढ़ाने वाले आंकड़े
2000 से 2015 के बीच मलेरिया के मामलों और मौतों में बड़ी गिरावट देखी गई थी. लेकिन अब प्रगति रुक गई है और कुछ जगहों पर उल्टा असर देखा गया है. कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में मलेरिया से मौतों में 55,000 की वृद्धि हुई. उसके बाद मौतों की संख्या धीरे-धीरे पहले जैसे स्तर पर आ गई. 2023 में अफ्रीका में अनुमानित मृत्यु दर 52.4 प्रति 1 लाख लोगों पर रही, जो 2030 तक के लिए तय लक्ष्यों से दोगुनी है.

मलेरिया के मामलों में यह बढ़ोतरी सिर्फ जनसंख्या वृद्धि के कारण नहीं है. 2015 में 1,000 जोखिमग्रस्त लोगों पर 58 मामले थे, जो 2023 में बढ़कर 60.4 हो गए. ये आंकड़े डब्ल्यूएचओ के 2030 तक मलेरिया को कम करने के लक्ष्य से काफी दूर हैं.

Moskito, der sich vom Nektar des Vergissmeinnicht ernährt

मलेरिया से लड़ने के लिए प्रभावी उपकरण, जैसे वैक्सीन और नई पीढ़ी की कीटनाशक वाली मच्छरदानी, अब उपलब्ध हैं. लेकिन कई समस्याएं इस लड़ाई को कठिन बना रही हैं. जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, विस्थापन और दवाओं व कीटनाशकों के खिलाफ बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता ने स्थिति को और खराब कर दिया है. धन की कमी भी एक बड़ी समस्या है. 2023 में मलेरिया से लड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर 4 अरब डॉलर खर्च हुए, जबकि जरूरत 8.3 अरब डॉलर की थी.

डॉ. टेड्रोस ने कहा, “ज्यादा बोझ वाले अफ्रीकी देशों में निवेश और कार्रवाई बढ़ाने की जरूरत है.” उन्होंने धन की कमी को पूरा करने और समस्याओं का हल निकालने की अपील की.

Bachstelze mit Mücken

मलेरिया की वैक्सीन बड़े पैमाने पर जारी की जा रही है, जिससे उम्मीदें बढ़ी हैं. आरटीएस,एस और आर21/मैट्रिक्स-एम नामक दो वैक्सीन इस्तेमाल में हैं. 2019 में मलावी, केन्या और घाना में शुरू हुए पायलट प्रोग्राम्स में आरटीएस,एस वैक्सीन ने करीब 20 लाख बच्चों तक पहुंच बनाई. इन प्रोग्राम्स से पता चला कि मलेरिया से मौतों में 13 फीसदी की कमी आई.

अब उप-सहारा अफ्रीका के 17 देशों ने इन टीकों को अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों में शामिल कर लिया है. जीएवीआई (गावी) वैक्सीन एलायंस ने 8 और देशों को फंडिंग मंजूर की है. डब्ल्यूएचओ की मलेरिया वैक्सीन टीम की प्रमुख मैरी हैमेल ने वैक्सीन के व्यापक इस्तेमाल से मौतों में और कमी आने की उम्मीद जताई है.

Stechmücke auf Hautoberfläche

बचाव के नए उपाय
वैक्सीन के अलावा, नई पीढ़ी की ड्यूल-इंसेक्टिसाइड मच्छरदानियां भी अहम साबित हो रही हैं. इन मच्छरदानियों में पारंपरिक पायरेथ्रोइड और नए पायरोल कीटनाशक मिलाए गए हैं, जो मच्छरों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा देते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2020 से 2023 के बीच इन मच्छरदानियों ने 1.3 करोड़ मलेरिया के मामलों और करीब 25,000 मौतों को टालने में मदद की. लेकिन इनकी पर्याप्त आपूर्ति और वितरण अभी भी चुनौती है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के दायरे को बढ़ा रहा है. तापमान बढ़ने और बारिश के पैटर्न बदलने से नए क्षेत्रों में मलेरिया का खतरा बढ़ रहा है. संघर्ष और विस्थापन ने स्थिति को और कठिन बना दिया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया है.

Stechmücke Anopheles

ग्लोबल फंड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीटर सैंड्स ने कहा, “प्रगति कई सालों से रुकी हुई है. इसे ठीक करने के लिए नई तकनीकों में निवेश और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने की जरूरत है.”

चुनौतियों के बावजूद, डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में सही निवेश और समन्वित प्रयासों से प्रगति की संभावना जताई गई है. प्रभावी वैक्सीन, नए बचाव के उपकरण और मजबूत फंडिंग से मलेरिया का बोझ कम किया जा सकता है, खासकर उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में.

डॉ. टेड्रोस ने कहा, “हमारे पास मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए उपकरण और ज्ञान है. अब जरूरत इसे प्रभावी और समान रूप से लागू करने की है.”

वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)