मध्य प्रदेश राज्य

मध्य प्रदेश :…लगातार हुई घटनाओं के बाद अब इस ”समाज” के लोग गांव छोड़कर जाने का मन बना रहे हैं!

मध्य प्रदेश के मंदसौर में बीते साल नवंबर में एक महिला को पीटने और निर्वस्त्र करने का मामला सामने आया था जिसके बाद बीते सप्ताह उनके पति ने अपने दो बच्चों के साथ कथित तौर पर आत्महत्या कर ली.

बीबीसी की टीम उस जगह पहुंची जहां पर ये घटना घटी और वहां जो देखा उसका हाल बयान किया है.

इस सड़क के एक तरफ़ गाँव का बस स्टैंड है. दूसरी तरफ़ महज़ 500 मीटर की दूरी पर वो जामुन का पेड़ है, जहां चार मार्च की सुबह एक पिता और उसकी दस साल की बेटी और आठ साल के बेटे के शव मिले थे.

इसी बस स्टैंड के बगल में वो स्थान भी है, जहां बीती 23 नवंबर को मृतक की पत्नी मीना देवी (बदला हुआ नाम) को मारा-पीटा गया था. मृतक की जेब से मिले ‘सुसाइड नोट’ में इस घटना का उल्लेख है.

इस पत्र में उन लोगों के नाम भी लिखे गए हैं जिन्होंने उनकी पत्नी मीना देवी के साथ ऐसा किया था.

कुछ दूर पैदल चलने पर इस गांव के कुछ घरों से महिलाओं के रोने की आवाज़ें सुनाई देने लगीं.

यहाँ पर जमा लोगों का कहना है कि मृतक और उनके दो बच्चों की चिता तो जला दी गई है. राजस्थान से सटे इस इलाक़े में रहने वालों की बोली में राजस्थानी लहजा है.

घर के दालान में एक तरफ़ मृतक की पत्नी और उनके दोनों बच्चों की मां मीना देवी ज़मीन पर लोट-लोट कर रो रही हैं. मातम के ऐसे माहौल में कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं है और ना हम कुछ पूछने की स्थिति में. काफ़ी देर तक दालान के एक कोने में चुपचाप बैठे रहने के बाद समाज के लोग बच्चों के बस्ते और उनकी स्कूल की यूनिफ़ॉर्म लेकर हमारे सामने आए.

वे एक एक कर उनकी निशानियां दिखाने लगे.

पीड़ित परिवार का पुलिस पर आरोप

इस बीच महिलाएं, मीना देवी को दिलासा दे रहीं थीं. इनके बीच मौजूद बच्चों की मौसी सुधा (बदला हुआ नाम) हमारे सामने रोते हुए बोलने लगीं, ”….मेरे पास में रहते थे दोनों बच्चे… अपनी मौसी के पास रहते थे वो… उन लोगों ने बहुत बुरी घटना की है हमारे साथ में… बहन के साथ में… पुलिस ने हमारी कुछ भी नहीं सुनी है… हमें इंसाफ़ चाहिए… उस पैसे वाले की वजह से हमारी कुछ भी नहीं सुनी… तीन-चार महीने हो गए थे…”

मृतक की जेब से जो सुसाइड नोट मिला है उसे पुलिस ने सबूत के तौर पर जमा कर लिया है.

शामगढ़ की चंद्वासा पुलिस चौकी के अधिकारी बताते हैं कि मृतक ने सुसाइड नोट में आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी को न सिर्फ़ पीटा गया बल्कि ‘निर्वस्त्र करके पीटा गया था.’

समाज के लोगों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में 3 महीनों तक कोई कार्रवाई नहीं की जिसकी वजह से मृतक ने गांव आना बंद कर दिया था.

समाज के लोगों का ये भी आरोप है कि 23 नवंबर को जब मीना देवी के साथ मार-पीट की गई तो वह एफ़आईआर दर्ज करवाने के लिए पुलिस चौकी गईं. उनका बयान दर्ज किया गया. लेकिन समाज के लोगों का आरोप है कि पुलिस ने उसमें से निर्वस्त्र करके पीटने की बात हटा दी थी.

‘महिला को निर्वस्त्र कर पीटा गया था’

मृतक के चचेरे भाई महेश्वर (बदला हुआ नाम) का कहना था कि मीना देवी ने पुलिस को घटना के बारे में सब कुछ बताया था कि किस तरह उन्हें ‘निर्वस्त्र कर के पीटा’ गया था. उनका आरोप है कि पुलिस ने ‘निर्वस्त्र करने की बात लिखी ही नहीं’.

वो कहते हैं, ”मीना देवी ने पीटने वालों के नाम भी बताये. मगर पुलिस ने नाम लिखे नहीं. तीन महीनों तक कोई कार्रवाई नहीं की. अगर पुलिस ने उचित कार्रवाई की होती तो आज इस घर पर दुख का पहाड़ नहीं टूटता और उन्होंने आत्महत्या नहीं की होती.”

जब मैंने यह सवाल शामगढ़ के थाना प्रभारी राकेश चौधरी से किया. उन्होंने बताया कि 23 नवंबर को जो कुछ हुआ था वो महिलाओं के बीच ही हुआ था. वो मुख्य अभियुक्त की पत्नी और मीना देवी के बीच हुआ था.

वो कहते हैं, ”3 महीने पहले महिलाओं-महिलाओं का आपस में झगड़ा हुआ था…. उसमें जो मीना देवी है और जो अभियुक्त है… उसकी पत्नी है…. तो अभियुक्त की पत्नी को जानकारी मिली थी कि उसके पति और मीना देवी के संबंध हैं. इस बात को लेकर अभियुक्त की पत्नी का झगड़ा हुआ था. दोनों महिलाएं आपस में लड़ी थीं. हमने पीड़ित महिला की शिकायत के आधार पर राजू की पत्नी पर मारपीट की एफआईआर रजिस्टर्ड की थी.”

मृतक के समाज में ये भी परंपरा है कि जब तक मृतकों का अंतिम संस्कार नहीं हो जाता तब तक घर के लोग पलंग, चौकी या कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. ऐसे में शोक व्यक्त करने के लिए जितने लोग गाँव में जमा थे सब ज़मीन पर ही बैठे हुए थे. मीना देवी को भी महिलाओं ने घेर रखा था. वो रह रह कर मूर्छित हो रही थीं.

काफ़ी देर के बाद जब वो कुछ बोलने की स्थिति में आईं तो बीबीसी से उन्होंने अपने साथ हुई घटना की चर्चा की.

वो कह रही थीं कि वो गेहूं पिसवाने के लिए पास के क़स्बे जा रही थीं.

उनका कहना था, ”मैं 11:10 के बीच में चौराहे पर बैठी थी. तो चौराहे पर बैठने के कारण मेरे को पता नहीं था ऐसा झगड़ा करेंगे वह मेरे साथ में. तो सब मिल कर. अकेली देख कर, उन्होंने मेरे ऊपर हमला किया. उनके पास में सब हथियार भी थे. मेरा पैसा था वह भी छीन लिया. मेरे ज़ेवर थे पास में…. वह भी छीन लिया. कुछ भी नहीं रखा बिल्कुल मेरा.”

मीना देवी का आरोप है कि उन लोगों ने उन्हें नग्न कर दिया और एक घंटे तक उनके साथ मारपीट करते रहे.

मीना बाई और वहाँ मौजूद महिलाओं को अफ़सोस है कि जब उन पर हमला हो रहा था तो किसी ने भी उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की थी.

वो कहती हैं, ”इतनी पब्लिक थी.. किसी ने मुझे बचाने की कोशिश भी नहीं की. हमला करने वालों के परिवार वाले लोग भी वहां थे. हमारे गांव के पटेल भी थे. पटेल ने भी नहीं बचाया.”

वहीं पर मौजूद मृतक की माँ का कहना था कि जिस जगह उनकी बहू को पीटा जा रहा था, वहाँ पर एक यात्री बस भी रुकी हुई थी और एक डंपर भी रुका हुआ था. लेकिन उनकी मदद को कोई आगे नहीं आया.

मीना देवी ने कहा, ”फिर मैं भागकर एक घर में घुस गई जो आरोपियों के रिश्तेदारों का है. उन्होंने भी मुझे कपड़े नहीं दिए. मैंने वहां पर टंगे कपड़े ज़बरदस्ती छीन कर पहने. उसके बाद मेरी बहन सास, दोनों आईं… उनके ऊपर भी पत्थर चलाने लगे. हम अकेले थे.”

दक्षिण भारतीय राज्यों में जाकर करते हैं कामकाज

मृतक दक्षिण भारत जाकर चादरें बेचने और मज़दूरी करने का काम करते थे. घटना के समय वह गांव में नहीं थे. समाज के लोग बताते हैं कि घटना की वजह से वो दुखी थे जिस कारण तीन महीनों से गांव नहीं आ रहे थे.

मृतक के भाई महेश (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि 3 मार्च को उनके भाई शामगढ़ आए थे. फिर उन्होंने फोन कर बच्चों को अपने पास शहर बुलाया. ”वो बच्चों के साथ ही थे. उन्हें कपड़े दिलवाए. खिलौने दिलवाए. सुबह लोगों को उनकी लाशें पेड़ से लटकी हुईं मिलीं.”

वो बताते हैं कि मज़दूरी के लिए उनके समाज के मर्द कभी केरल, कभी तमिलनाडु, कभी तेलंगाना तो कभी आंध्र प्रदेश जाते हैं.

उनका कहना था, ”हमारे पास खेत कहां हैं. हमारे पास एक बीघा भी खेत नहीं है. दोनों भाई के पास नहीं है. यहां मज़दूरी ज़्यादा नहीं मिलती है… उधर कमा लेते हैं. 200 से 500 रुपये कमा लेते हैं, वहाँ रोज़. फिर पैसे इकठ्ठा करके ले आते हैं. मां बाप को पालते हैं बच्चों को पालते हैं. किसी तरह गुज़ारा कर रहे थे हम.”

मृतक के भाई का कहना है कि घटना के बाद से उनके भाई को भी धमकियां मिल रही थीं.

मृतक के चचेरे भाई भुनेश्वर (बदला हुआ नाम) का कहना था, ”मीना देवी को जो निर्वस्त्र करके पीटा था ना. तो अभियुक्तों ने उसका वीडियो बना लिया था. वो मृतक को बार-बार फोन कर धमका भी रहा था कि तुम गांव मत आओ. गांव आओगे तो वीडियो वायरल कर दूंगा.”

पीड़ित महिला को ही गांव से निकालना चाहती है पंचायत

लगातार हुई घटनाओं के बाद अब इस समाज के लोग गांव छोड़कर जाने का मन बना रहे हैं. हालांकि, जिस समाज के लोगों पर वो उत्पीड़न का आरोप लगा रहे हैं वो भी उन्हीं के समाज से आते हैं लेकिन उनका गोत्र अलग है.

उनका कहना है कि वो इस समाज से आते तो हैं मगर गोत्र अलग होने की वजह से उन्हें रोज़ भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

वो कहते हैं कि उनके यहां इतनी बड़ी घटना हो गई मगर दूसरे गोत्र का कोई उन्हें दिलासा देने तक नहीं आया.

मदनलाल (बदला हुआ नाम) भी इसी समाज के हैं और वो भी मृतक के रिश्तेदार हैं.

बीबीसी से बात करते हुए वो कहते हैं, ”अरे हम कैसे जिएंगे? हमारा कोई बन्दा नहीं है यहाँ. सिर्फ़ चार-पांच घरों की बस्ती है, उन लोगों के सौ दो सौ घर हैं. दबंग लोग हैं. क्या करेंगे हम? हम कैसे पेट भरेंगे और कैसे रहेंगे इस बस्ती में. कैसे क्या करेंगे हम. हम कहां जाकर बसें अब? बाहर कमाने कैसे जाएंगे. हमारे पीछे हमारे बच्चे और औरतें सुरक्षित नहीं रहेंगी.”

इन घटनाओं के संबंध में पुलिस ने कुल सात लोगों को गिरफ़्तार किया है. मृतक की जेब से मिले ‘सुसाइड नोट’ में जिनके नाम थे, उन सबको गिरफ़्तार कर लिया गया है.

शामगढ़ थाना प्रभारी राकेश चौधरी के मुताबिक़ सुसाइड की घटना के संबंध में आरोपियों के ख़िलाफ़ धारा 306 कायम की गई है जो आत्महत्या के लिए उकसाने वाली धारा है.

प्राथमिकी में कुल सात लोगों को ही नामज़द किया गया है. इनमें तीन महिलाएं और दो नाबालिग़ हैं. सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

इन दोनों घटनाओं को लेकर दो बार इस समाज की पंचायत भी बुलाई जा चुकी है. इन पंचायतों में अभियुक्तों के सामाजिक बहिष्कार के साथ-साथ पीड़ित महिला को गांव से निकालने की बात चल रही है. इस बात से पीड़ित महिला के गोत्र वाले समाज के लोगों में काफ़ी निराशा है.

महत्वपूर्ण जानकारी-

मानसिक समस्याओं का इलाज दवा और थेरेपी से संभव है. इसके लिए आपको मनोचिकित्सक से मदद लेनी चाहिए, आप इन हेल्पलाइन से भी संपर्क कर सकते हैं-

समाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय की हेल्पलाइन- 1800-599-0019 (13 भाषाओं में उपलब्ध)

इंस्टीट्यूट ऑफ़ ह्यमून बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज़- 9868396824, 9868396841, 011-22574820

हितगुज हेल्पलाइन, मुंबई- 022- 24131212

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस-080 – 26995000

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सलमान रावी
पदनाम,बीबीसी संवाददाता