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मणिपुर हिंसा में अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है, जानिये 27 अप्रैल से शुरू हुई हिंसा के बाद कब क्या हुआ : रिपोर्ट

मणिपुर में मैतेई समुदाय को एसटी दर्जा देने के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। सोमवार को राजधानी इंफाल के थंगल बाजार इलाके में कर्फ्यू में ढील के दौरान लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए अपने घरों से बाहर निकले। इस बीच, राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने बताया कि हिंसा में अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है। अब यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया। सोमवार को शीर्ष अदालत में मामले को लेकर सुनवाई भी हुई।

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सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और मणिपुर सरकार ने बताया कि राज्य में कल और आज कर्फ्यू में ढील दी गई। दोनों दिन वहां हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीएपीएफ के 35 कंपनियां नियुक्त की गई हैं। इसके साथ ही अर्धसैनिक बल और सेना की टुकड़ियां भी तैनात की गई हैं। सामान्य स्थिति बहाल हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मानवीय संकट है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य से राहत शिविरों में आवश्यक इंतजाम करने और केंद्र और मणिपुर सरकार से 10 दिन में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि आरक्षण मामले की सुनवाई बाद में की जाए। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 17 मई तय की।

जानते हैं 27 अप्रैल से शुरू हुई हिंसा के बाद मणिपुर में क्या-क्या हुआ

27 अप्रैल: मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के चुराचांदपुर दौरे से एक दिन पहले मुख्यमंत्री जिस ओपन जिम का उद्घाटन करने वाले थे, उसमें आग लगा दी गई।

28 अप्रैल: मणिपुर में जनजातीय समूहों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की चुराचांदपुर यात्रा के दिन 12 घंटे के बंद का आह्वान किया। इस दौरान आदिवासियों और मैतेई के बीच इंफाल, चुराचांदपुर और अन्य क्षेत्रों में हिंसक झड़पों की सूचना मिली। प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी। इंटरनेट सेवा को भी पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।

3 मई: मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में छात्रों के संगठन ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर’ (एटीएसयूएम) ने मार्च बुलाया। ‘आदिवासी एकता मार्च’ के नाम से हो रहे प्रदर्शन के दौरान चुराचांदपुर के तोरबंग इलाके में हिंसा भड़क गई। कांगपोकपी जिले के सैकुल में गोली लगने से लगभग 11 नागरिक घायल हो गए, जबकि दो अन्य की मौत हो गई। उधर मैतेई और आदिवासी समूह के सड़कों पर उतरते देख आठ जिलों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई। सेना और असम राइफल्स ने सभी प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में तुरंत अपने जवान तैनात कर दिए।

4 मई: इंफाल में हिंसा की घटनाएं हुईं। तोड़फोड़, संपत्तियों को नष्ट करना और मैतेई और आदिवासियों के बीच संघर्ष जारी रहा। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के सीएम बीरेन सिंह से बात की और स्थिति का जायजा लिया। उधर हिंसा को रोकने के लिए राज्य में रैपिड एक्शन फोर्स की कंपनियां भेजी गईं।

उसी दिन, सरकार ने कुछ परिस्थितियों में देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया। इस दौरान हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से करीब 9,000 लोगों को सुरक्षा बलों द्वारा निकाल कर सुरक्षित आश्रय दिया गया। कई हिस्सों में जारी हिंसा और तनाव के बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा, ‘हिंसा की ये घटनाएं हमारे समाज के दो वर्गों के बीच पैदा हुई गलतफहमी की वजह से हुई हैं। राज्य सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी कदम उठा रही है।’

5 मई: हिंसा के बीच कई राज्यों ने अपने लोगों को निकालना शुरू कर दिया। मणिपुर के हालात पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने एक मीटिंग बुलाई और हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए। इससे पहले असम, मिजोरम अरुणाचल और मेघालय की सरकारों ने भी यही कदम उठाए। हिंसाग्रस्त मणिपुर के 1000 से अधिक लोगों ने असम के कछार जिले में शरण ली।

भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और राज्य के साथ-साथ केंद्र के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक में मणिपुर की स्थिति की समीक्षा की। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 10 और कंपनियां मणिपुर भेजी गईं।

6 मई: स्थिति को देखते हुए, इंडिगो ने इंफाल से कोलकाता के लिए दो विशेष अतिरिक्त उड़ानें चलाईं ताकि राज्य से बाहर अधिक से अधिक यात्रियों को सुरक्षित निकला जा सके। इस बीच राजधानी इम्फाल में सुरक्षा बलों की गश्त जारी रही। आईएएस विनीत जोशी को मणिपुर का मुख्य सचिव बनाया गया।

7 मई: मणिपुर के केंद्रों में होने वाली नीट यूजी 2023 परीक्षा को स्थगित कर दिया गया। सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने जानकारी दी कि हिंसा के कारण करीब 37 लोगों की जान गई है। अब दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू की गई जिसमें पहली बार 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राज्य में शांति लाने के लिए ‘मणिपुर अखंडता समन्वय समिति (COCOMI)’ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसके अलावा एक सर्वदलीय बैठक की गई। हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में लगे कर्फ्यू से स्थानीय लोगों को कुछ घंटों की छूट मिली।

8 मई: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बताया कि तीन मई की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में लगभग 60 निर्दोष लोगों की जान चली गई। 231 लोगों को चोटें आईं और लगभग 1700 घर जल गए। मैं लोगों से राज्य में शांति बहाल करने की अपील करता हूं। फंसे हुए लोगों को उनके संबंधित स्थानों तक पहुंचाने का काम शुरू हो गया है।

उन्होंने बताया कि हिंसा भड़काने वाले व्यक्तियों या समूहों और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करने वाले सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी। मैं सभी से अपील करता हूं कि वे निराधार अफवाहें न फैलाएं और न ही उन पर विश्वास करें। अब तक 1593 छात्रों सहित 35,655 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

अभी क्या हालात हैं?
सोमवार को राजधानी इंफाल में कर्फ्यू में ढील दी गई। इस दौरान थंगल बाजार इलाके में लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए अपने घरों से बाहर निकले। उधर कई राज्यों द्वारा अपने लोगों को हिंसाग्रस्त क्षेत्रों से निकालने की प्रक्रिया भी जारी है। इधर अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया। यह याचिका पहाड़ी क्षेत्र समिति के अध्यक्ष और भाजपा विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई द्वारा दायर की गई है।

अमित शाह की असम यात्रा 26 मई के लिए टली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 11 मई को असम की प्रस्तावित यात्रा सोमवार को 26 मई के लिए टाल दी गई। बताया जा रहा है कि वह हिंसा प्रभावित मणिपुर में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति से निपटने में व्यस्त हैं। आबादी के मामले में पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य में हिमंत सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शाह के 11 मई को असम की यात्रा करने का कार्यक्रम था। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया कि शाह ने अपनी यात्रा टाले जाने के बारे में सोमवार सुबह उन्हें सूचना दी। इसलिए सरकारी नौकरियों के लिए 45,000 चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र वितरित करने का कार्यक्रम 26 मई के लिए टाल दिया गया है।

 

ANI_HindiNews
@AHindinews

हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति व समूह का पता लगाने के लिए जल्द से जल्द एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, इंफाल

 

 

Khalid
@Journo_Khalid

मणिपुर हिंसा : सरकार ने कोर्ट को बताया हालात सामान्य करने के लिए ज़रूरी कदम उठाए है।

52 कंपनी CAF और 101 कंपनी असम राइफल्स की तैनात है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमारी चिंता जान माल के नुकसान को लेकर है, कहा रिलीफ़ कैम्प में खाने और चिकित्सा के उचित इंतजाम किए जाए।

 

 

Wasim Akram Tyagi
@WasimAkramTyagi

मणिपुर के बारे में सत्ताधारी दल और उसके मीडिया का बात न करना तो समझ में आता है। लेकिन विपक्ष भी मणिपुर के मामले पर लगभग खामोश ही है। ऐसा क्यों? क्या मणिपुर इस देश का हिस्सा नहीं है? दिल्ली दंगों (2020) के बाद देश में यह दूसरी सबसे बड़ी हिंसा है। लेकिन इस पर दिल्ली वाले चुप हैं।