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मणिपुर में हिंसा और अराजकता जारी, अमरीका ने जताई चिंता!

मणिपुर में हिंसा और अराजकता जारी, अमरीका ने जताई चिंता, टीकाकारों ने कहा यह गुजरात दंगों जैसा प्रयोग और प्रधानमंत्री का रवैया अक्षम्य
भारत के मणिपुर राज्य में पिछले ढाई महीने से अधिक समय से ज़ोरदार दंगे हो रहे हैं जिसके बारे में जहां मीडिया का एक तबक़ा यह कह रहा है कि जातीय दंगे हैं वहीं दूसरा तबक़ा इसे योजनाबद्ध संप्रदायिक दंगों का नाम दे रहा है।

मणिपुर में हिंदु बहुल मैतेई क़बीलों और ईसाई बहुल कूकी क़बीलों के बीच दंगे हो रहे हैं और कूकी समुदाय कम संख्या की वजह से बुरी तरह कुचला जा रहा है।

भारत में मीडिया में जारी बहसों में कुछ टीकाकार यह कह रहे हैं कि मणिपुर में वही प्रयोग चल रहा है जो 2002 में गुजरात में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हो चुका है और इस पूरे मामले में प्रशासन मैतेई क़बीलों का साथ दे रहा है या मैतेई क़बीलों की तरफ़ से कूकी क़बीलों पर हमलों को रोकने की कोई भी कोशिश करने से बच रहा है।

टीकाकारों का यह तबक़ा कहता है कि भारत की केन्द्र सरकार भी इस मामले में जान बूझ कर कोई ठोस कार्यवाही करने से परहेज़ कर रही है।

वहीं वरिष्ठ राजनयिक और टीकाकार पवन कुमार वर्मा ने कहा कि मणिपुर के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रवैया अक्षम्य है।

मणिपुर पर विदेशों में भी हंगामा मचा। यूरोपीय संसद ने इस मुद्दे पर बहस की और एक प्रस्ताव पारित किया वहीं अमरीका ने मणिपुर में दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड पर गहरी चिंता जताई है।

अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस घटना को बेरहमी और ख़ौफ़नाक क़रार देते हुए कहा कि अमरीका पीड़ितों से सहानुभूति जताता है।