मणिपुर में हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को एक बार फिर सशस्त्र बंदूकधारियों ने फायरिंग की। अभी तक इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। सेना जवाबी कार्रवाई कर रही है। यह भी जानकारी मिल रही है कि महिलाओं का एक बड़ा समूह सेना की आवाजाही में बाधा डाल रही हैं। भारतीय सेना की स्पीयर कोर (III कोर) ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। इस बीच, यह भी पता चला है कि आज यानी शुक्रवार को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विष्णुपुर जिले के राहत शिविरों का दौरा किया।
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सेना के मुताबिक ये मणिपुर के इंफाल ईस्ट और कांगपोकपी जिलों से गोलीबारी की घटनाएं सामने आई हैं। भारतीय सेना ने कहा, इंफाल पूर्व में उरंगपत/यिंगांगपोकपी (वाईकेपीआई) और कांगपोकपी (मणिपुर में) के इलाकों में सशस्त्र बदमाशों ने गोलीबारी की। गोलीबारी की घटनाएं शुक्रवार दोपहर से कुछ समय पहले हुईं। हथियारबंद बदमाशों का एक समूह वाईकेपीआई से पहाड़ी की ओर इलाके में घुस आया। हथियारबंद बदमाशों ने उरंगपत और ग्वालताबी गांवों की ओर स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की।
सेना ने कहा, किसी भी अतिरिक्त क्षति से बचने के लिए इन खाली गांवों में तैनात सुरक्षा बल की टुकड़ियां जवाबी कार्रवााई कर रही हैं। जब सुरक्षा बल के जवान स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे, महिला प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने क्षेत्र में अतिरिक्त टुकड़ियों की आवाजाही को अवरुद्ध कर दिया है। सेना ने सशस्त्र उपद्रवियों की आवाजाही को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 को अवरुद्ध कर दिया है।
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मुख्यमंत्री ने किया राहत शिविरों को दौरान
इस बीच, जानकारी मिल रही है कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह शुक्रवार को बिष्णुपुर जिले पहुंचे। उन्होंने यहां मोइरंग में बनाए गए राहत शिविरों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने लोगों की समस्या सुनी और जल्द से जल्द समस्याओं के निपटारे का आश्वासन दिया।
मणिपुर के पूर्वी इंफाल जिले के येंगांगपोक्पी (वाईकेपीआई) से बढ़ते हुए उरंगपत और ग्वालताबी गांवों में हथियारबंद लोगों के समूह ने शुक्रवार की दोपहर को गोलीबारी की। इन खाली गांवों में तैनात किए गए सुरक्षा बलों की टुकड़ियों ने हथियारबंदों को सावधानी से जवाब दिया है। अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं का एक समूह वाईकेपीआई और सेइजांग क्षेत्रों में अतिरिक्त टुकड़ियों की आवाजाही को रोक रहा था।
वहीं, तलाशी के दौरान सुरक्षा बलों ने एक इंसास लाइट मशीन गन और एक इंसास राइफल बरामद किया। बुधवार की शाम 5:45 बजे उरंगपट और उत्तरी वाईकेपीआई में भी छोटे हथियारों से गोली की आवाजें सुनाई दी थी। मणिपुर में यह हिंसा मैतेई समुदाय की अनुसुचित जनजाति में शामिल होने की मांगों के विरोध में तीन मार्च को निकाली गई आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान शुरू हुई थी, जिसमें अबतक 100 लोगों की मौत हो चुकी है।
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अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने राज्य के अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए अपने संयुक्त निदेशक घनश्याम उपाध्याय को भेजा था और उनके लौटने पर एसआईटी का गठन किया गया था। एजेंसी ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए छह मामलों को फिर से दर्ज किया। अधिकारियों ने कहा कि विशेष अपराध शाखा, कोलकाता मामलों की जांच करेगी।
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में “आदिवासी एकजुटता मार्च” आयोजित किए जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क गई। झड़पों से पहले कुकी ग्रामीणों को आरक्षित वन भूमि से बेदखल करने को लेकर तनाव था, जिसके कारण कई छोटे आंदोलन हुए थे।
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