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मणिपुर में और भी ख़राब हुए हालात, जनता का सुरक्षा बलों पर से विश्वास उठा : रिपोर्ट

संघर्ष प्रभावित मणिपुर में समुदायों के बीच बढ़ते अविश्वास ने सुरक्षा बलों को भी इसके दायरे में लाकर खड़ा कर दिया है।

एक ताज़ा घटनाक्रम में 40 मेईतेई विधायकों ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य में तैनात असम राइफल्स के जवानों को वापस बुलाया जाना चाहिए और कुछ ‘भरोसेमंद’ केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना चाहिए।

यह ज्ञापन विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब देने की संभावना से एक दिन पहले आया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों ने मणिपुर की मौजूदा स्थिति के लिए लूटे गए असंख्य हथियारों को जिम्मेदार ठहराया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी प्रयासों के बावजूद लूटे गए बहुत से हथियार वापस नहीं आए हैं।

मेईतेई विधायकों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जब तक पूरी तरह हथियार वापस नहीं लाए जाते, राज्य में कानून व्यवस्था बहाल नहीं होगी। विधायकों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि सुरक्षा की तत्काल स्थापना के लिए बलों की सरल तैनाती अपर्याप्त है। पूर्ण निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बलों को अधिक सक्रिय भूमिका अपनाने की आवश्यकता है।

ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले तीन महीनों से राज्य/केंद्रीय बलों और राज्य में विद्रोही सशस्त्र समूहों के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है। इसमें दावा किया गया है कि बड़े पैमाने पर विदेशी घुसपैठ हो रही है। केंद्रीय बलों को सक्रिय रूप से उनके साथ जुड़ना चाहिए और इन अत्याधुनिक हथियारों और गोला-बारूद के स्रोत और फंडिंग की जांच की जानी चाहिए।

यह बताते हुए कि असम राइफल्स के प्रति जनता में आक्रोश कैसे बढ़ रहा है, विधायकों ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब किसान अपने खेतों में काम करने के लिए बाहर गए और उन पर सशस्त्र विद्रोहियों ने गोलीबारी की।

ज्ञापन में कहा गया है कि आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार अत्याधुनिक सैन्य ग्रेड हथियार हैं, जिनमें असॉल्ट, स्नाइपर राइफल और रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड शामिल हैं।