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मणिपुर के कुकी विधायकों ने दो अलग-अलग बयानों में लोकसभा में दिए गए गृहमंत्री के बयान की आलोचना की!

मणिपुर के 10 कुकी विधायकों ने दो अलग-अलग बयानों में लोकसभा में दिए गए गृह मंत्री अमित शाह के शुक्रवार के बयान की आलोचना की, जिसमें मणिपुर में सौ दिनों से जारी संघर्ष को म्यांमार के शरणार्थियों के आने से जोड़ा गया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, विधायकों ने शाह से म्यांमार से कथित अवैध घुसपैठियों का विवरण और हिंसा में उनकी संलिप्तता के सबूत देने का आग्रह किया है।

बुधवार को मणिपुर हिंसा पर चर्चा के दौरान शाह ने कहा था कि 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद कुकी डेमोक्रेटिक फ़्रंट नाम के संगठन ने सैन्य नेतृत्व के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी थी।

इनमें से सात विधायक भाजपा के हैं और बाकी इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ़ोरम के विधायकों ने कहा कि यह निराशाजनक है कि शाह का संसद में यह कहना कि कुकी-ज़ोमी-हमार लोगों का जातीय सफाया, पड़ोसी देश म्यांमार में 2021 जुंटा के अधिग्रहण के बाद हुई घुसपैठ के कारण हुई अशांति है।

एक संयुक्त बयान में विधायकों ने कहा कि हम, मणिपुर के कुकी ज़ोमी-हमार लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में एक बार फिर दोहराते हैं कि हमारे लोगों का जातीय सफ़ाया एक पूर्व नियोजित हमला है जिसका उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों के ख़िलाफ़ आदिवासी ज़मीन को हड़पना है।

उन्होंने कहा कि घाटी में हमारे लोगों को हिंसक तरीक़े से साफ़ कर दिया गया है और हमारी कॉलोनियों को गिरा दिया गया है, हम फिर दोहराते हैं कि केंद्र सरकार को इस जनसांख्यिकीय अलगाव को राजनीतिक समझौते के जरिये एक अलग प्रशासन के रूप में मान्यता देनी चाहिए।

उन्होंने शाह से म्यांमार से ‘अवैध घुसपैठियों’ का विवरण देने और यह साबित करने कि वे कुकी गांवों में वालंटियर थे, का आग्रह किया।

विधायकों ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह भी आग्रह किया कि वह अपने उस कथन को साबित करें कि इंफाल के मुर्दाघरों में लावारिस शव ‘अवैध घुसपैठियों’ के थे। विधायकों ने कहा कि ऐसा न करने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष माफ़ी मांगनी चाहिए।

मेहता ने 1 अगस्त को मणिपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह दावा किया था। राज्य की आदिवासी महिलाओं के एक फोरम ने भी मेहता से यह बयान वापस लेने की मांग की थी।

उधर, अमित शाह के दावे पर एक अलग बयान में आईटीएलएफ़ ने कहा कि तीन महीने की हिंसा में 130 से अधिक कुकी-ज़ो आदिवासियों की मौत हुई है, 41 हज़ार 425 आदिवासी नागरिक विस्थापित हुए हैं। मेईतेई और आदिवासियों के बीच भौतिक के साथ भावनात्मक अलगाव भी हो चुका है और इसका सबसे अच्छा स्पष्टीकरण गृह मंत्री ने म्यांमार से शरणार्थियों के प्रवेश का दिया।

आईटीएलएफ़ ने इस बात पर जोर दिया कि मिज़ोरम में म्यांमार से 40 हज़ार से अधिक और मणिपुर से विस्थापित लोग पहुंचे हैं और यह अब भी भारत का सबसे शांतिपूर्ण राज्य है।