उत्तर प्रदेश राज्य

भारत में हर बलात्कारी को मौत की सज़ा दी जानी चाहिए-इस्लाम भी ये ही कहता है : मौलाना अरशद मदनी

देवबंद : पॉक्सो अधिनियम में संशोधन कर 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा के प्रावधान को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने का जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने स्वागत किया है। कहा कि हर दुष्कर्मी को मौत की सजा दी जानी चाहिए।

अरशद मदनी ने जारी बयान में कहा कि पिछले कुछ दिनों से मुल्क भर में मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में हुई वृद्धि के मद्देनजर ऐसे ही सख्त कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी। कहा कि समाजी व मिल्ली तंजीमे एक अरसे से ऐसे मामलों में सख्त कानून बनाने की मांग करती आ रही थी। कुरान व हदीस में दुष्कर्मी को सरेआम पत्थर मार-मारकर मौत के घाट उतार दिए जाने की सजा मुकर्रर है। मदनी ने देश में अमन व भाईचारा कायम रखने को हिंसा की रोकथाम के लिए भी एक सख्त कानून लाने की मांग की है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम आयु के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने के दोषियों को मृत्युदंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को रविवार को मंजूरी दे दी। इसके अलावा राष्ट्रपति ने भगोड़े साबित हुए आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के अध्यादेश को भी मंजूरी दे दी।

राष्ट्रपति ने आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018 को लागू कर दिया, जिसे कैबिनेट ने शनिवार को मंजूरी दी थी। इसमें दुष्कर्म के खिलाफ सख्त सजा और महिलाओं, खास तौर से युवतियों के बीच सुरक्षा की भावना जगाने की कोशिश की गई है।

यह अध्यादेश जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म व हत्या व देश के अन्य भागों में इसी तरह के अपराध को लेकर नाराजगी के बाद आया है।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बाल यौन अपराध निवारण (पोक्सो), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) व साक्ष्य अधिनियम संशोधित हो गया है।

इसके फलस्वरूप जांच के लिए दो महीने की समय सीमा, सुनवाई पूरी करने के लिए दो महीने का समय और अपीलों के निपटारे के लिए छह महीने सहित जांच में तेजी व दुष्कर्म की सुनवाई के लिए कई उपाय किए गए हैं।

इसमें 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी के लिए अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा।