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भारत में रवांडा का नस्ली सफ़ाया दोहराया जाने वाला है? ब्रितानी की वेबसाइट का दिल दहला देने वाला आर्टिकल, पढ़िये रिपोर्ट!

जंगों और आतंकवाद से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ पत्रकार सीजे वर्लमैन ने मिडिल ईस्ट आई वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि भारत में लगभग 20 करोड़ मुसलमानों पर असाधारण ख़तरा मंडरा रहा है और वहां वहीं हालात पैदा हो सकते हैं जो रवांडा में देखे गए हैं।

लेखक ने लिखा है कि जेनोसाइड वाच संस्था के संस्थापक जार्ज स्टान्टन ने भारत में मुसलमानों के नस्ली सफ़ाए की आशंका जताई है और यह आशंका उन्होंने कुछ ठोस बुनियादों पर जताई है। इससे पहले वह रवांडा में होने वाले ख़ौफ़नाक नरसंहार की भी भविष्यवाणी कर चुके हैं।

पत्रकार ने लिखा कि भारत में नरेन्द्र मोदी सरकार ठीक उसी शैली पर काम कर रही है जिस शैली पर रवांडा में 1990 के दशक के आरंभ में काम हुआ था। वहां होटो क़बीले से संबंध रखने वाले राष्ट्रपति का विमान गिराया गया जिसके बाद टोट्सी क़बीले का भयानक रूप से नस्ली सफ़ाया किया गया।

लेखक का मानना है कि जो लक्षण रवांडा में दिखाई दिए थे वही आजकल भारत में नज़र आ रहे हैं भारत में भी मुसलमानों को आक्रांता के रूप में पेश किया जा रहा है और उन्हें देशहित के लिए ख़तरा बताया जा रहा, जैसे ही कोई घटना हो जाती है उसको उदाहरण बनाकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ आरोपों को और भी मज़बूत बनाने की कोशिश की जाती है।

लेखक ने लिखा कि भारत के उदयपुर में दो मुसलिम लड़कों के हाथों एक हिंदू दर्ज़ी की हत्या के बाद एक बार फिर मुसलमानों के ख़िलाफ़ माहौल बनाने की कोशिश शुरू हो गई है, उन्हें आतंकवादी बताया जा रहा है और उन्हें राष्ट्र हित का दुशमन ज़ाहिर करने की कोशिश की जा रही है। मुसलमानों पर यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि वे पाकिस्तान के लिए काम कर रहे हैं।

जो संगठन मुसलमानों के ख़िलाफ़ सक्रिय हैं वहीं नरेन्द्र मोदी को चुनाव जितवाने में प्रभावी रहे हैं। मोदी को भी अच्छी तरह मालूम है कि पाकिस्तान का काल्पनिक ख़तरा हिंदुओं को एकजुट करने में बड़ा कारगर है इसलिए वो हर छोटी बड़ी घटना को पाकिस्तान से जोड़ने की कोशिश करने से नहीं चूकते। मोदी समर्थक संगठन दर्ज़ी की हत्या की घटना को भी पाकिस्तान से जोड़ने की कोशिश में लग गए हैं। लेखक का कहना है कि बहुत से विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि भारत में किसी भी क्षण मुसलमानों का नस्ली सफ़ाया शुरू हो सकता है और इसके लिए कोई भी घटना बहाना बन सकती है।

लेखक का आगे कहना है कि मोदी सरकार अपना एजेंडा ज़ोर शोर से चला रही है और दूसरों की आवाज़ों को कुचल देती है। मुस्लिम पत्रकारों को तो केवल ख़ामोश नहीं कराया जा रहा है बल्कि उन्हें पेशावराना ज़िम्मेदारियां अदा करने पर भी जेलों में डाल दिया जा रहा है। सरकार की आलोचना में ट्वीट कर देने पर भी सज़ाएं दी जा रही हैं।