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भारत में ज़्यादातर महिलाओं के पास ‘’ना’’ कहने का विकल्प नहीं है : लेखिका निलांजना भौमिक

जयपुर, 23 जनवरी (भाषा) लेखिका निलंजना भौमिक मुंबई की लोकल में अपनी यात्राओं के दौरान महिलाओं को सब्जियां काटते और आटा गूंधते देखती हैं और पाती हैं कि वे भी पूरा दिन अपने-अपने दफ्तरों में काम करने के बाद घर के कामकाज भी करने को मजबूर हैं।.

उस वक्त ‘लाइज आवर मदर्स टोल्ड अस : द इंडियन वूमन्स बर्डन’ की लेखिका को महसूस हुआ कि इन महिलाओं के पास घरेलू सहायिका रखने का या फिर घर के इन कामों से इंकार करने का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि ना कहने की यह क्षमता ‘विशेषाधिकार’ के स्थान से आती है।.