नई दिल्ली:सोमवार को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान मध्य प्रदेश जल उठा। बंद के दौरान व्यापक हिंसा हुई। इसमें एमपी में ही कम से कम 6 लोगों की मौत हुई। सरकारी और निजी संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया गया। दलितों संगठनों ने एससी/एसटी कानून को कमजोर करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 2 अप्रैल को बंद बुलाया था।
इस दौरान मध्य प्रदेश के आगर में एक चौकाने वाली तस्वीर सामने आई। यहां पर एक जनप्रितिनिधि ही बंद में शामिल थे और वह जबरन दुकानें बंद करवाते देखे गये। मध्य प्रदेश के आगर से बीजेपी विधायक गोपाल परमार बंद के दौरान दुकानें बंद करवा रहे थे। इस दौरान किसी ने उनकी वीडियो भी बनाई।
मध्य प्रदेश का आगर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 53 साल के गोपाल परमार ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने वहीं किया जो उन्हें करना चाहिए था। अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनके राजनीतिक विरोधी इस हालत का फायदा उठाने के लिए तैयार थे। उन्होंने कहा, “अगर आप इस तरह की स्थिति में फंस जाते हैं तो क्या करते हैं? यदि मैं प्रदर्शनकारियों के साथ नहीं गया होता तो पार्टी यहां अपनी राजनीतिक पकड़ खो देती, क्योंकि मेरे राजनीतिक विरोधी मेरी इस हालत का फायदा उठाने के लिए तैयार थे।”
Gopal Parmar, BJP MLA from Agar, seen forcing shop owners to close their shops during protest over SC/ST Protection Act in Agar yesterday #BharatBandh #MadhyaPradesh pic.twitter.com/aOubpB94F5
— ANI (@ANI) April 3, 2018
गोपाल परमार ने कहा कि इस क्षेत्र के ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति से आते हैं और वे बंद कराने पर आमदा थे, क्योंकि वे एस/एसटी कानून के प्रावधानों को कथित रूप से कमजोर करने से गुस्से में थे। गोपाल परमार ने कहा कि एमपी में चाहे जो कुछ भी हुआ हो, परमार में बंद शांतिपूर्ण रहा और कोई अनहोनी नहीं हुई।
गोपाल परमार से जब वीडियो के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिस दुकानदार को वह उसकी दुकान बंद करवाने को बोल रहे हैं वह ब्राह्मण था और परशुराम सेना का सदस्य था, जबकि प्रदर्शनकारी भीम सेना से जुड़े हुए थे। गोपाल परमार ने कहा, “दुकानदार ने इसे अपने इज्जत से जोड़ लिया और दुकान हर कीमत पर खुला ही रखना चाहता था, अगर मैं वहां नहीं होता तो पता नहीं वहां क्या हो जाता।” गोपाल परमार ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों के साथ इसलिए थे क्योंकि वह चाहते थे कि वे किसी तरह की आगजनी, तोड़फोड़ या हिंसा नहीं करें।