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भारत ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी, कहा…..

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शुक्रवार को फिर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, एक हफ्ते पहले मैंने पुष्टि की थी कि हमें बांग्लादेशी अधिकारियों की ओर से हसीना के संदर्भ में एक संचार मिला था। इसके अलावा, इस समय मुझे इस मुद्दे पर कुछ और बात जोड़ने की जरूरत नहीं है।

‘अखबार और रिपोर्टर का भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया’
मालदीव और पाकिस्तान पर अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की खबरों पर विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हाल ही में मीडिया में प्रकाशित खबरों के संबंध में हम इतना ही कहना चाहते हैं कि यह अखबार और रिपोर्टर दोनों ही भारत के प्रति एक शत्रुतापूर्ण रवैया रखते हैं। इसको आप उनकी गतिविधियों और खबरों एक पैटर्न में देख सकते हैं। ऐसे में उनकी विश्वसनीयता कितनी है, इसके आकलन का काम हम आप (मीडिया) पर छोड़ते हैं। जहां तक हमारा सवाल है, हमको उनमें कोई विश्वसनीयता नजर नहीं आती।’ जायसवाल ने कहा, ‘जहां तक पाकिस्तान का सवाल है, मैं आपको हिलेरी क्लिंटन की कही बात याद दिलाना चाहता हूं कि अगर आप अपने घर में सांप पालते हैं तो यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसियों को ही काटेंगे।’ हिलेरी क्लिंटन ने यह टिप्पणी 2011 में की थी, जब वह अमेरिका की विदेश मंत्री थी।

वॉशिंगटन पोस्ट की एक खबर में भारत को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के महाभियोग के जरिए हटाने की साजिश से जोड़ा गया था। जबकि दूसरी खबर में पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय एजेंटों की कथित हमलों की बात कही गई थी।

मालदीव से जुड़ी रिपोर्ट में अखबार ने एक ‘डेमोक्रेटिक रिन्यूवल इनिशिएटिव’ नामक दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया था कि विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति मुइज्जू को हटाने के लिए उनके ही पार्टी के चालीस सांसदों को रिश्वत की पेशकश की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि महीनों तक गोपनीय बातचीत के बावजूद साजिशकर्ता को महाभियोग के लिए पर्याप्त वोट न मिल सके।

चीन के नए काउंटी पर भारत ने जताया विरोध
सीमावर्ती इलाके में चीन के नए काउंटियां बनाने पर मंत्रालय ने कहा, हमने चीन के होटन प्रान्त में दो नए काउंटियों की स्थापना से जुड़ी घोषणा देखी है। इन तथाकथित काउंटियों के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं। हमने इस भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। नए काउंटियों के निर्माण से न तो इस क्षेत्र पर हमारी संप्रभुता के बारे में भारत की दीर्घकालिक और स्थापित स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को कोई वैधता मिल पाएगी। हमने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के सामने इस मामले पर अपना विरोध दर्ज कराया है।

‘बांध से निचले हिस्से के राज्यों न पहुंचे नुकसान’
हाल ही में तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने की चीन की योजना पर भारत ने कहा कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए लगातार निगरानी रखेगा और जरूरी कदम उठाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, हम लगातार निगरानी रखते हुए अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। मंत्रालय ने चीन से अपील की कि ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से के राज्यों (अरुणाचल प्रदेश और असम) के हितों को ऊपर होने वाली गतिविधियों से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। जायसवाल ने कहा, निचले हिस्से के राज्य के रूप में हमें नदीं के जल का उपयोग करने का अधिकार है। हम लगातार विशेषज्ञ स्तर और कूटनीतिक चैनलों के जरिए अपने विचार और चिंताएं चीन के सामने रख चुके हैं। उन्होंने कहा, यह चिंताएं बार-बार उठाई गई हैं। चीन को पारदर्शिता और निचले हिस्से के देशों के साथ परामर्श सुनिश्चित करना चाहिए।

निमिषा प्रिया मामले पर नजर रख रहा मंत्रालय
यमन में निमिषा प्रिया केस पर मंत्रालय ने कहा, हम निमिषा प्रिया की सजा को लेकर हो रहे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सरकार इस मामले में हर संभव मदद कर रही है।