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भारत-चीन मुद्दे पर लोकसभा में विदेश मंत्री का बयान-एलएसी पर फ़िलहाल हालात सामान्य हैं!

अदाणी समूह पर लगे आरोपों और संभल हिंसा समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र का पहला हफ्ता हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। हालांकि मंगलवार से संसद में गतिरोध कम हुआ और संसद की कार्यवाही जारी है। संसद में आज संभल हिंसा पर खूब तकरार हुई।

विदेश मंत्री ने भारत चीन के बीच एलएसी सीमा समझौते पर डाला प्रकाश
विदेश मंत्री ने कहा कि ‘सदन जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ है। जिसमें न केवल 45 वर्षों में पहली बार सीमा पर मौतें हुई थीं, बल्कि घटनाओं का ऐसा मोड़ भी आया था, जिसके चलते LAC के करीब भारी हथियारों की तैनाती करनी पड़ी। सरकार ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए सैनिकों की तैनाती की थी, बढ़े हुए तनाव को कम करने और शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की भी अनिवार्यता थी। 1991 में, भारत और चीन के बीच LAC के क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने पर सहमत हुए। इसके बाद, 1993 में शांति और सौहार्द बनाए रखने पर एक समझौता हुआ। इसके बाद, 1996 में, भारत और चीन सैन्य क्षेत्र में विश्वास-निर्माण उपायों पर सहमत हुए। 2003 में, हमने अपने संबंधों और व्यापक सहयोग के सिद्धांतों की घोषणा को अंतिम रूप दिया, जिसमें विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति भी शामिल थी। 2005 में, LAC पर विश्वास-निर्माण उपायों के कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर एक प्रोटोकॉल तैयार किया गया था। उसी समय, सीमा प्रश्न के समाधान के लिए राजनीतिक मापदंडों और मार्गदर्शक सिद्धांतों पर सहमति बनी थी। 2012 में, परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य तंत्र WMCC की स्थापना की गई और एक साल बाद हम सीमा रक्षा सहयोग पर भी एक समझ पर पहुंचे। इन समझौतों को याद करने का मेरा उद्देश्य शांति और शांति सुनिश्चित करने के हमारे साझा प्रयासों की विस्तृत प्रकृति को रेखांकित करना है।

भारत-चीन मुद्दे पर लोकसभा में विदेश मंत्री का बयान
स्थगन के बाद लोकसभा की कार्यवाही फिर शुरू हो गई है। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन मुद्दे पर बयान दिया। जयशंकर ने कहा कि एलएसी पर फिलहाल हालात सामान्य हैं। कूटनीतिक पहल से सीमा पर हालात सामान्य हुए हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और साथ ही दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते।