आधुनिक तकनीक से लैस चीन का एक रिसर्च जहाज़ गुरुवार को मालदीव पहुंचा है. ये जहाज़ बीते एक महीने से हिंद महासागर में था.
मालदीव के मीडिया में इस बारे में रिपोर्ट्स की गई हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, चीन के जहाज़ शियांग यांग होंग 3 मालदीव उसी दिन पहुंचा है, जब भारत और श्रीलंका के तटरक्षीय जहाज़ भी सैन्य अभ्यास के लिए इस क्षेत्र में पहुंचे हैं.
भारत ने हिंद महासागर में इस जहाज़ को लेकर पहले भी चिंताएं व्यक्त की थीं और श्रीलंका से इस जहाज़ को कोलंबो पोर्ट पर रुकने से मना करने के लिए दबाव डाला था.
मालदीव के मीडिया समूह एडिशन की रिपोर्ट के हवाले से पीटीआई ने लिखा है कि चीनी रिसर्च जहाज शियांग यांग होंग 3 गुरुवार को माले के पास पहुंचा है. दोपहर में जहाज़ को थिलाफुशी के पास देखा गया था.
एडिशन में ये बातें एक मरीन ट्रैफिक वेबसाइट के हवाले से लिखी गई हैं. ये वेबसाइट समंदर में जहाज़ों की हलचल पर नज़र रखती है.
मुइज़्ज़ू के चीन से निकलते ही निकला था जहाज़
समाचार एजेंसी पीटीआई ने मालदीव की न्यूज़ वेबसाइट अधाधू के हवाले से लिखा है- जनवरी में जब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने चीन का दौरा किया था, इसके 24 घंटे के बाद चीन के इस जहाज़ ने अपनी यात्रा की शुरुआत की थी.
मालदीव के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन यानी ईईज़ी में क़रीब एक महीने रहने के बाद ये जहाज़ 22 फरवरी को माले के पास दिखा है.
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन का ये जहाज़ 22 जनवरी के बाद से ही रडार में कहीं नहीं दिख रहा था. माना जा रहा है कि इस जहाज़ के ट्रैकिंग सिस्टम को बंद कर दिया गया था.
अधाधू वेबसाइट से सैटेलाइट के जानकारों ने कहा है कि इस जहाज़ ने क़रीब एक महीना ईईज़ी में गुज़ारा.
मुइज़्ज़ू को चीन समर्थक माना जाता है. बीते साल नवंबर में मुइज़्ज़ू मालदीव के राष्ट्रपति बने थे. मुइज्ज़ू ने चुनावों में ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था.
मालदीव में राष्ट्रपति बनने के बाद नेता अब तक भारत के दौरे पर आते रहे हैं. लेकिन मुइज़्ज़ू ने अब तक भारत का दौरा नहीं किया है. उन्होंने बीते दिनों चीन का अपना पहला आधिकारिक दौरा किया था.
इससे पहले वो बीते साल नवंबर में उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति रिचेप तैयप अर्दोआन के निमंत्रण पर तुर्की का दौरा किया था.
अमेरिकी थिंक टैंक का आरोप- रिसर्च नहीं, जासूसी जहाज़ है
अमेरिका के थिंक टैंक ने आरोप लगाया है कि चीन जिसे वैज्ञानिक रिसर्च वाला जहाज़ बता रहा है, वो दरअसल समंदर से डेटा जुटा रहा है.
थिंक टैंक ने कहा था कि ये जहाज़ सैन्य उद्देश्य से, ख़ासकर पनडुब्बियों से संबंधित डेटा को जुटा रहा है.
चीन इन आरोपों को ख़ारिज करता रहा है. उसका कहना है कि ये जहाज़ समंदर से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के क़ानून के तहत ही काम कर रहा है.
इसी साल 23 जनवरी को मालदीव सरकार ने इस रिसर्च जहाज़ को अपने यहां आने की अनुमति दी थी. मालदीव के विदेश मंत्रालय का कहना था कि ये जहाज़ मालदीव के जलक्षेत्र में रहते हुए किसी तरह के रिसर्च के काम को अंजाम नहीं देगा.
हालांकि भारतीय रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के हवाले से पीटीआई ने लिखा था कि भारत इस जहाज़ की हलचल पर नज़र बनाए हुए है.
फरवरी में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, “बीते कुछ सालों में आसपास के समंदर में चीन की वैज्ञानिक रिसर्च गतिविधियां शांति के उद्देश्य और मानवता की दृष्टि से वैज्ञानिक समझ को बेहतर बनाने के लिए हैं.”
जब श्रीलंका ने लगाई थी रोक
चीन के जहाज़ ने इससे पहले श्रीलंका के एक बंदरगाह पर उतरने की अनुमति मांगी थी, जिससे श्रीलंका ने इनकार कर दिया था.
इस साल की शुरुआत में पांच जनवरी को श्रीलंका ने चीनी जहाज़ की एंट्री पर रोक लगाते हुए कहा कि विदेशी जहाज़ों के श्रीलंका के जलक्षेत्र में आने को लेकर उसने एक साल की रोक लगाई हुई है.
इससे पहले भारत ने चीन के जहाज़ों के उसके पड़ोसियों के क्षेत्र में जाने को लेकर चिंता जताई थी.
साल 2022 में युआन वांग 5 नाम का चीनी सैन्य जहाज़ कोलंबो पहुंचा था. रॉकेट और मिसाइल हमले को ट्रैक करने की काबिलियत रखने वाले इस जहाज़ के श्रीलंका आने को लेकर भारत ने चिंता जताई थी.
भारत ने इसे जासूसी जहाज कहा था और इसे लेकर औपचारिक तौर पर श्रीलंका की सरकार के पास अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई थी.
चीन ने भारत का नाम लिए बग़ैर तब कहा था कि “कथित सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए श्रीलंका पर दबाव बनाया जा रहा है जो अनुचित है.”
मालदीव को लेकर भारत की चिंता
मालदीव भारत के पश्चिमी समुद्रतट से क़रीब 300 नॉटिकल मील दूर है, वहीं भारत के लक्षद्वीप समूह के मिनिकॉय द्वीप से महज़ 70 नॉटिकल मील की दूरी पर है.
भौगोलिक रूप से मालदीव की स्थिति भारत के लिए और वैश्विक व्यापार के लिए बेहद अहम है. ये हिंद महासागर के हिस्से में है, जहां से वैश्विक शिंपिंग लाइनें गुज़रती हैं.
हिंद महासागर क्षेत्र में मालदीव भारत का अहम सहयोगी रहा है. मोदी सरकार की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फ़ॉर ऑल इन द रीजन (सागर) जैसी मुहिम में उसे अहम जगह मिली हुई है.
चीन की तरफ मालदीव का झुकाव भारत के लिए चिंता का विषय है. राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज़्ज़ू ने भारत से उसके सभी सैनिक अपने यहां से बुलाने को कहा लेकिन बीते दिनों भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि एक प्लेटफॉर्म के लिए 10 मार्च तक और बाक़ी दो प्लेटफॉर्म के लिए 10 मई तक भारतीय सैनिकों को वापस बुला लिया जाएगा.
इसके बाद एविएशन प्लेटफॉर्म को भारतीय सैनिकों की जगह भारतीय टैक्निकल टीम संभालेगी.
मालदीव में फ़िलहाल 77 भारतीय सैनिक हैं, जो वहां समुद्री सीमा पर निगरानी रखने वाले एक डॉनियर 228 विमान और मेडिकल मदद के लिए एचएएल के दो ध्रुव हेलिकॉप्टर का संचालन करते हैं.
मालदीव, भारत और श्रीलंका का साझा युद्ध अभ्यास
गुरुवार को मालदीव, भारत और श्रीलंका के कोस्ट गार्ड्स ने तीन देशों का साझा युद्धाभ्यास शुरू किया.
दोस्ती-16 नाम के इस सैन्य युद्धाभ्यास में बांग्लादेश बतौर ऑब्ज़र्वर शामिल हुआ.
मालदीव नेशनल डिफेन्स फोर्स (एमएनडीएफ़) ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए कहा, “22 से 25 तारीख तक होने वाले तीन देशों से साझा युद्धाभ्यास ‘दोस्ती-16’ में हिस्सा लेने आए भारत और श्रीलंका के जहाज़ों का हम स्वागत करते हैं. दो साल में एक बार होने वाले इस युद्धाभ्यास में तीनों मुल्कों की सेना के बीच समन्वय बढ़ाने को लेकर कोशिश की जाएगी, साथ ही समंदर में होने वाली घटनाओं से साथ मिलकर निपटने के रास्ते तलाशे जाएंगे.”
दोस्ती सैन्य युद्धाभ्यास की शुरुआत 1991 में हुई थी.
पहली बार श्रीलंका ने 2012 में इसमें हिस्सा लिया था. इससे पहले ये सैन्य युद्धाभ्यास 2021 में हुआ था.
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