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भारत की 90 साल की बुज़ुर्ग रीना वर्मा, 75 साल बाद अपने घर रावलपिंडी पहुंचीं, रीना वर्मा के स्वागत में पूरा इलाक़ा जमा हो गया!

75 साल बाद रावलपिंडी पहुंचने के बाद 90 साल की रीना वर्मा ने कहा कि 1947 में जब घर छोड़ा था तो मालूम नहीं था कि वापस आ सकूंगी या नहीं।

भारत के बंटवारे के समय में रीना वर्मा की उम्र 15 या 16 साल थी जो अब 90 साल की बुज़ुर्ग महिला हो चुकी हैं जो भारत के पूना शहर में रहती हैं। इतनी लंबी मुद्दत बाद वह अपना घर देखने पाकिस्तान पहुंची हैं। घर देखकर उन्हें परिवार याद आया और भावुक हो गईं।

महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली 90 वर्षीय रीना वर्मा आख़िरकार मंगलवार 18 जुलाई को पाकिस्तान के शहर रावलपिंडी पहुंचीं। उनकी ये तीर्थयात्रा उस घर में जाकर पूरी हुई जो रीना वर्मा के मुताबिक उनके पिता ने अपनी सारी ज़िंदगी की जमा पूँजी ख़र्च करक बनवाया था।इस दौरान भारत से पाकिस्तान पहुंची रीना वर्मा के स्वागत में पूरा इलाक़ा जमा हो गया

हालिया समय में जहां भारत में सांप्रदायिकता का ज़हर बढ़ता जा रहा है वहीं पाकिस्तान में इस पहलू से कुछ सकारात्मक बदलाव देखने में आता है।

रावलपिंडी लौटने पर रीना वर्मा का शानदार स्वागत हुआ, जब उन्होंने गली में क़दम रखा तो उन पर गुलाब के फूलों की बारिश की गई।

स्थानीय लोगों ने 90 वर्षीय रीना वर्मा के साथ ढोल नगाड़ों पर डांस किया, रीना वर्मा इस स्वागत से अभिभूत थीं।

1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से कुछ दिन पहले ही रीना वर्मा का परिवार रावलपिंडी के ‘प्रेम निवास’ इलाक़े को छोड़कर भारत पहुंचा था, अब इसे कॉलेज रोड कहा जाता है।

साल 2021 में पाकिस्तान के एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जब रीना वर्मा का साक्षात्कार हुआ तो वो रातोंरात सोशल मीडिया पर सनसनी बन गईं।

‘इंडिया पाकिस्तान हेरिटेज क्लब’ फ़ेसबुक ग्रुप से जुड़े लोगों ने रावलपिंडी में उनके पैतृक घर की तलाश शुरू कर दी और आख़िरकार एक महिला पत्रकार ने इस घर को खोज लिया, रीना वर्मा पाकिस्तान जाना चाहती थीं लेकिन कोविड महामारी की वजह से वो जा नहीं सकीं।

हालांकि इस साल मार्च में उन्होंने अंततः पाकिस्तान के वीज़ा के लिए आवेदन दिया जिसे बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया गया।

रीना कहती हैं कि मैं टूट गई थी, मैंने ये उम्मीद नहीं की थी कि एक 90 वर्षीय महिला, जो सिर्फ़ अपने घर को देखना चाहती है, उसका वीज़ा रद्द कर दिया जाएगा। मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती थी, लेकिन ऐसा हुआ।

रीना कहती हैं कि पाकिस्तान तब राजनीतिक अस्थिरता से गुज़र रहा था वो ये नहीं जान पा रहीं थीं कि आख़िर कैसे वीज़ा का आवेदन करें।

हालांकि वो ये ज़रूर कहती हैं कि वो फिर से वीज़ा के लिए आवेदन देने की योजना बना चुकी थीं, लेकिन उनके दोबारा आवेदन करने से पहले ही उनकी कहानी पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार तक पहुंच गई जिन्होंने दिल्ली में पाकिस्तान के दूतावास को रीना के वीज़ा की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए।

रीना बताती हैं कि जब पाकिस्तान के दूतावास से मेरे पास फ़ोन आया तो मेरी खु़शी का ठिकाना ही नहीं रहा। उन्होंने मुझसे आने और वीज़ा हासिल करने के लिए कहा, कुछ ही दिन में ये सब हो गया।

लेकिन फिर एक और चुनौती उनके सामने थी. गर्मियां बहुंत थीं और रीना, जिन्होंने हाल ही में अपने बेटे को खोया था, अकेले ही यात्रा करने की योजना बना रहीं थीं, उन्हें कुछ और महीने इंतेज़ार करने की सलाह दी गई। वो कहती हैं कि इंतेज़ार करना बहुत थकाने वाला था लेकिन वो बीमार पड़ने का ख़तरा नहीं उठा सकती थीं, इसलिए उन्होंने सब्र और इंतेज़ार किया और आख़िरकार 16 जुलाई को पाकिस्तान पहुंची।