देश

भारत और बांग्लादेश की सीमा पर तनातनी, दोनों तरफ़ के ग्रामीण आमने-सामने आ जा रहे हैं : रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल से लगी भारत और बांग्लादेश की सीमा पर तनातनी बनी हुई है. अक्सर दोनों तरफ़ के ग्रामीण आमने-सामने आ जा रहे हैं.

कभी सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों का आमना-सामना हो जा रहा है. इसकी वजह से सीमा के क़रीब रहने वाले ग्रामीण डरे हुए हैं.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लोग भारत को लेकर काफ़ी आक्रामक बयान दे रहे हैं लेकिन भारत सरकार की तरफ़ से बहुत ही संतुलित प्रतिक्रिया आती है.

ताज़ा घटना पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के सुखदेवपुर ग्राम पंचायत की है.

 

सुखदेवपुर

इस साल 18 जनवरी की बात है. बांग्लादेश की सरहद से लगे हुए

सुखदेवपुर के बकराबाद गाँव के रहने वाले ग्रामीण रोज़ की तरह अपने खेतों में काम करने गए थे.

इनके खेत बांग्लादेश की सीमा की ‘ज़ीरो लाइन’ से 150 मीटर अंदर है. यहाँ पर कँटीले तारों की बाड़ लगी है. हालाँकि एक किलोमीटर का ऐसा इलाक़ा भी है, जहाँ पर ये तार मौजूद नहीं है.

ग्रामीणों ने देखा कि कई खेतों में गेहूँ की फसल कटी हुई है. यहीं पर आम का एक बड़ा बाग़ भी है.

इसमें करीब 90 पेड़ हैं. कई पेड़ भी कटे मिले. ग्रामीणों ने ये बात ‘ज़ीरो लाइन’ के पास तैनात बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड्स (बीजीबी) के जवानों को बताई.

 

मगर, कुछ ही देर में सरहद के उस पार वहाँ लोगों का एक हुजूम उमड़ पड़ा. भारत की तरफ़ के ग्रामीण भी वहाँ जमा हो गए.

सुखदेवपुर के ग्रामीणों का आरोप है कि सरहद पार जमा हुई भीड़ ने उन पर हमला किया. इससे पहले कि हालात बेकाबू हो जाते, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) और बीजीबी के जवानों ने हालात क़ाबू में कर लिया.

भारत बांग्लादेश बॉर्डर
इससे पहले भी हुआ था विवाद

इस घटना से पहले छह जनवरी को बीएसएफ़ और बीजीबी के जवानों के बीच तनातनी हो गई थी. उस वक़्त भारत की तरफ़ से कँटीले तारों की बाड़ लगाने का काम शुरू किया गया था. यह घटना भी उसी जगह की है.

बीजीबी ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि जिस जगह पर कँटीले तार लगाने का काम चल रहा है, वह ‘ज़ीरो लाइन’ से 150 मीटर से कम के दायरे में है. काम रुक गया. इसके बाद दोनों बलों के वरिष्ठ अधिकारियों की ‘फ्लैग मीटिंग’ बुलाई गई.

तार लगाने का काम फ़िलहाल रुका हुआ है. सीमा सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बीबीसी को बताया कि ये काम जल्द शुरू हो जाएगा.

भारत और बांग्लादेश की पश्चिम बंगाल से लगी सीमा पर कई ऐसे स्थान हैं, जहाँ दोनों देशों के सुरक्षाबलों के जवानों के बीच पिछले दो महीनों के दौरान इसी तरह की तनातनी की घटनाएँ देखने को मिली हैं. मालदा के सुखदेवपुर के अलावा ऐसी तनातनी की घटनाएँ कल्याणी, कूच बिहार, उत्तरी दिनाजपुर और कृष्णानगर के इलाक़े में भी हुई हैं.

सुखदेव पुर

‘फ्लैग मीटिंग’ का दौर

सुखदेवपुर के बकराबाद की घटना पर सीमा सुरक्षा बल की तरफ़ से एक बयान जारी किया गया है. इसमें कहा गया कि भारतीय किसानों का आरोप है कि उनकी फसल को बांग्लादेश के ग्रामीण काट कर ले गए हैं.

बयान में लिखा गया है, “तू-तू, मैं-मैं से शुरू हुए मामले ने तूल पकड़ लिया. सरहद के दोनों तरफ़ बड़ा जमावड़ा हो गया. ग्रामीण एक-दूसरे पर पत्थरों से हमला करने लगे. फिर बीएसएफ़ और बीजीबी ने हस्तक्षेप किया. लोगों को तितर-बितर कर दिया. इस घटना में किसी को चोट नहीं आई है.”

लगातार तनाव की वजह से पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों की सरहदों पर तैनात सुरक्षा बलों के अधिकारियों की नियमित बैठकें भी हो रही हैं. बीएसएफ़ के पूर्वी कमान के अतिरिक्त महानिदेशक रवि गांधी ने सरहद की सभी चौकियों का मुआयना किया. उन्होंने अधिकारियों और जवानों को सतर्कता और ज़्यादा बढाने का निर्देश दिया.

सुखदेवपुर

इसके बाद 23 जनवरी को सुखदेवपुर की घटना के बारे में मालदा की सरहद के पास बीजीबी की सोना मस्जिद चौकी पर क्षेत्रीय मुख्यालय स्तर की ‘बॉर्डर मीटिंग’ बुलाई गई. इस बैठक में बीएसएफ़ का नेतृत्व मालदा क्षेत्रीय मुख्यालय के डीआईजी तरुण कुमार गौतम ने किया. बीजीबी के दल का नेतृत्व सेक्टर कमांडर कर्नल मोहम्म्द इमरान इब्ने रउफ़ ने किया.

इसी तरह की ‘फ़्लैग मीटिंग’ पश्चिम बंगाल से लगी बांग्लादेश की सीमा के लगभग हर बॉर्डर चेक पोस्ट पर आयोजित की जा रही है ताकि तनाव को ख़त्म किया जा सके.

फ़रवरी की 17 से 20 तारीख़ के बीच बीजीबी के प्रमुख मेजर जनरल अशरफ़ुज़्ज़मा सिद्दीकी भी भारत के दौरे पर आ रहे हैं. इस दौरान वह सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. दोनों देशों के बीच सीमा पर पनप रहे विवाद पर चर्चा भी होगी.

ममता बनर्जी
मालदा और सुखदेवपुर के ज़मीनी हालात

सुखदेवपुर का बकराबाद गाँव मालदा के ज़िला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर है. यहाँ जो रास्ता सरहद से लगे हुए इलाक़े से गुज़रता है, वहाँ से जाने पर अभी रोक है. दूसरा रास्ता कालियाचक से होकर जाता है.

ऊबड़-खाबड़ रोड पर हिचकोले खाते हुए जब हम उस गाँव तक पहुँचे तो कँटीले तारों के इस तरफ़ यानी भारत के इलाक़े में ग्रामीण अपने खेतों में काम करते दिखे.

गाँव के बीचोबीच एक पुराना ‘वॉच-टॉवर’ है. बीएसएफ़ के कैंप के पीछे हमें कँटीले तार लगे दिखे. छह जनवरी को इन्हीं तार को लगाने पर विवाद पैदा हो गया था. जहाँ काम रुक गया था, वहाँ से एक किलोमीटर तक कँटीले तार नहीं हैं.

गाँव की एक झोपड़ी में एक परचून की दुकान है. इसके पास कुछ ग्रामीण बैठे हुए हैं. सबकी नज़र उस इलाक़े पर है, जहाँ कँटीले तार मौजूद नहीं हैं. ये इलाक़ा दुकान से सिर्फ़ 400 मीटर की दूरी पर है.

एक स्थानीय नौजवान पीयूष ने बताते हैं कि 18 जनवरी की घटना के बाद से ही सुखदेवपुर पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी गाँवों में भय का माहौल है.

पीयूष कहने लगे, “हम लोगों को अब भी डर लग रहा है. सभी गाँव वाले डरे-सहमे हुए हैं. हम सोच रहे हैं कि बांग्लादेश तो हमारा दोस्त था. दोस्त कैसे बिगड़ गया? क्यों उसने हमारी पीठ में छुरा मारा? वे लोग ईंट और पत्थर लेकर हम लोगों पर हमला कर रहे थे. गाँव के कई लोगों को पत्थर लगे. उनके हाथ में रॉड थे. लाठियाँ थीं.”

गाँव के ही केशव, खेत से काम कर अपने घर लौट रहे थे. हम पर उनकी नज़र पड़ी तो वह पास आकर बैठ गए. बातों-बातों में वह बताने लगे कि जिस दिन घटना घटी उस दिन इलाक़े में किस तरह का मंज़र था.

केशव के अनुसार, सरहद के जिस इलाक़े में कँटीले तार नहीं हैं, उस दिन वहाँ दोनों तरफ़ के करीब पाँच हज़ार ग्रामीण जमा हो गए थे.

जब कँटीले तार लगाने का काम शुरू हुआ था तब सुखदेवपुर के अखिल वहाँ बतौर मज़दूर काम कर रहे थे. उन्होंने छह जनवरी की घटना की आँखों देखी बयान की.

अखिल कहते हैं, “तार लगाने के काम के लिए मेरे साथ कई और ग्रामीण मज़दूरी करने गए थे. पहले हमने 10 से 15 गड्ढे खोदे. इनमें खंभे लगाए जाने थे. मगर इसी दौरान बीजीबी के जवान आ गए. वे बोले, रुक जाओ, नहीं तो गोली मार देंगे. वे ऐसे बोले तो हमारे मन में भय पैदा हो गया. हम क्या करते. फिर बीएसएफ़ और बीजीबी के लोगों के बीच बातचीत होने लगी.”

नीलोत्पल पांडे

रात भर पहरा देते हैं

सुखदेवपुर सहित मालदा ज़िले के अन्य इलाक़ों में भी बांग्लादेश से लगी सरहद पर हो रही घटनाओं से स्थानीय लोग काफ़ी चिंतित हैं.

पंचायत समिति के सदस्य हर रोज़ बैठकें कर रहे हैं. वे अपने गाँवों की सुरक्षा के बारे में अपने स्तर पर क़दम उठाने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं.

पंचायत समिति के सदस्यों का कहना है कि जिस इलाक़े में कँटीले तार नहीं लगे हैं, वहाँ से ही घुसपैठ होती रही है.

वे ये भी बताते हैं कि इस रास्ते तस्कर भी काफ़ी सक्रिय रहते हैं. इन्हें समय-समय पर गाँव के लोग पकड़ कर बीएसएफ़ को सौंप देते हैं.

सुबीर भौमिक

ग्राम पंचायत के सदस्य विनय मंडल बीबीसी से कहते हैं, “पंचायत की बैठकों में हम लगातार आसपास के ग्रामीणों से कह रहे हैं कि सब सचेत रहें. ख़ासतौर से रात को. हमारी आशंकाएं बढ़ रही हैं. यहाँ सीमा पर कभी भी कुछ भी हो सकता है.”

“हमने लोगों से कहा है कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों को ही स्थिति से निपटने दें. हम सरहद पार के लोगों से ख़ुद नहीं उलझेंगे. हमारे लोग जगह-जगह पर रात भर पहरा देते हैं ताकि सरहद के उस पार से कोई हमारे गाँवों में न घुस जाए.”

ममता की सलाह, बॉर्डर से दूर रहें

पश्चिम बंगाल में कई स्थान ऐसे हैं, जहाँ सीमा पर तैनात दोनों देशों के जवान आमने-सामने आ गए या दोनों तरफ के ग्रामीणों की सरहद पर भिड़ंत हो गई.

इन बढ़ती हुई घटनाओं के बीच पिछले दिनों मालदा के अपने दौरे के दौरान राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरहद के पास रह रहे ग्रामीणों को अंतरराष्ट्रीय सीमा से दूरी बनाए रखने की सलाह दी थी.

मालदा ज़िला मुख्यालय में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि इस समय ‘पड़ोसी देश’ यानी बांग्लादेश में ‘हालात बहुत ख़राब’ हैं.

उनके फेसबुक हैंडल पर इस सभा का वीडियो भी साझा किया गया है.

इसमें वह कहती हैं, “सरहद के उस पार के बांग्लादेश में तनाव फैल रहा है. सीमा को सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल की है. अगर सरहद के उस पार से ज़्यादती की जाएगी तो हम उससे निपट लेंगे. अगर सीमा सुरक्षा बल और बांग्लादेशियों के बीच कोई विवाद होता है तो आप लोगों को वहाँ नहीं जाना है.”

तस्करों के ख़िलाफ़ मुहिम

बढ़ते सीमा विवाद के बीच ही सीमा सुरक्षा बल ने सरहद पर तस्करों के ख़िलाफ़ अपनी मुहिम को और तेज़ करने का दावा किया है.

बीएसएफ़ का कहना है कि दक्षिण पश्चिम बंगाल के अलग-अलग स्थानों से सुरक्षा बलों के जवानों ने विशेष अभियान चलाकर भारी मात्रा में नशीले पदार्थ की बरामदगी भी की है.

सीमांत क्षेत्र के दौरे पर निकले सीमा सुरक्षा बल के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआईजी नीलोत्पल पाण्डेय ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए स्वीकार किया कि सीमा पार से ‘घुसपैठियों और तस्करों’ ने अब ‘नए नए हथकंडे’ अपनाने शुरू कर दिए हैं.

वह कहते हैं, “हम देख रहे हैं कि जो असामाजिक तत्व हैं, वे हर रोज़ नए तौर तरीक़े अपना रहे हैं. हम भी कमर कसे हुए हैं. उनके उद्देश्यों को विफल करने के लिए हम उनसे एक क़दम आगे रहने का काम कर रहे हैं. उनके ख़िलाफ़ हमें भारी सफलता भी मिल रही है. हमने बहुत हद तक उनकी गतिविधियों पर नकेल कस दी है.”

अचानक पैदा हो रहे विवाद का कारण ?

बांग्लादेश पर लंबे समय से नज़र रखने वाले विशेषज्ञों को लगता है कि भारत सरकार इस समय संयम से काम ले रही है.

जानकार ये भी मानते हैं कि अंतरिम सरकार ‘आम चुनाव कराने को लेकर आनाकानी’ करती हुई दिख रही है. वे मानते हैं कि इसी वजह से भारत से लगी सीमा पर वह आक्रामक रुख़ दिखा रही है ताकि लोगों का ध्यान आम चुनावों की माँग से हटाया जा सके.

वरिष्ठ पत्रकार सुबीर भौमिक कहते हैं कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ‘लगातार प्रयास’ कर रही है कि उनके क़दमों पर भारत सरकार आक्रामक रवैया अपनाए. मगर भारत सरकार ‘बहुत संयम’ बरत रही है.

वह कहते हैं, “बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और मोहम्मद युनूस जो चाह रहे हैं, भारत उसमें नहीं उलझ रहा है. मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार चाहती है कि उकसावे में आकर भारत कोई कड़ा क़दम उठाए. इससे बांग्लादेश के आम लोगों का ध्यान घरेलू राजनीति से हट जाए. भारत विरोधी भावनाएँ पनप उठें.”

सुबीर भौमिक की राय है, ”अगर बॉर्डर पर झड़पें बढ़ गईं और भारत जवाबी कार्रवाई शुरू कर देता है तो जो वह (बांग्लादेश की अंतरिम सरकार) चाह रही है, वही हो जाएगा. अभी तक भारत ने जो रुख़ अपनाया है, उससे ये स्पष्ट संकेत जा रहे हैं कि वह बांग्लादेश की सरकार के इस जाल में नहीं फँसने वाला है.”

पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा पर कँटीले तार लगाना बड़ी चुनौती है. अंतरराष्ट्रीय सीमा कहीं-कहीं घने जंगलों के बीच से तो कहीं पर रास्ता बदलती हुई नदियों के बीचो बीच से गुज़रती है.

इसी वजह से पूरी सीमा पर तार खींचे नहीं जा सकते हैं. खुली सरहद की वजह से घुसपैठ और तस्करी को रोकने के लिए सीमा सरक्षा बल को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

हाल की हिंसक घटनाओं और तनातनी के बाद अब सीमा सुरक्षा बल का कहना है कि ऐसी ही खुली सरहद और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं.

बीएसएफ़ ने सतर्कता भी बढ़ा दी है. जहाँ पर तार मौजूद नहीं हैं, ऐसे कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

===========

सलमान रावी
पदनाम,बीबीसी संवाददाता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *