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भारत और चीन के सैनिकों की झड़प को लेकर दोनों देश अलग-अलग बातें कह रहे हैं, चीनी मीडिया क्या कह रहा है, जानिये!

पूर्वी लद्दाख के बाद अरुणाचल प्रदेश के तवांग में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के सैनिकों की झड़प को लेकर दोनों देश अलग-अलग बातें कह रहे हैं.

नौ दिसंबर को हुई झड़प को लेकर चार दिनों तक दोनों देश चुप रहे लेकिन भारतीय मीडिया में जब सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट आने लगी तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में आधिकारिक बयान दिया. भारत के बयान के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने भी अपना पक्ष रखा.

राजनाथ सिंह ने संसद में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई झड़प की जानकारी देते हुए कहा था, ”’नौ दिसंबर 2022 को चीनी सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाक़े में, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफ़ बदलने का प्रयास किया. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया. इस तनातनी में हाथापाई हुई. भारतीय सेना ने बहादुरी से चीनी सैनिकों को हमारे इलाक़े में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं.”

चीनी के अंग्रेज़ी अख़बार ग्लोबल टाइम्स को वहाँ की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का मुखपत्र माना जाता है. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, पूरे मामले पर चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी के वेस्टर्न थिएटर कमांड ने मंगलवार को कहा कि चीनी सीमा सुरक्षा बल अपने क्षेत्र में एलएसी पर दैनिक पट्रोलिंग कर रहे थे तभी भारतीय सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर चीनी सैनिकों को अवैध रूप से रोका. स्थिति नियंत्रण में करने के लिए चीन के सैनिकों ने पेशेवर सेना की तरह जवाब दिया.

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल लोंग शाओहुआ ने कहा कि दोनों देशों के सैनिक अब अपने-अपने इलाक़े में हैं.

उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति के लिए भारत अपने सैनिकों को नियंत्रण में रखे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने भी मंगलवार को कहा कि अभी हालात नियंत्रण में हैं और उन्होंने भारत से आग्रह किया कि दोनों देशों के बीच जो सीमा समझौते हैं, उनका पालन करे. वेनबिन ने कहा कि दोनों देश सैन्य और राजनियक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं.

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ”चीन और भारत जून 2020 से सीमा पर जारी गतिरोध को ख़त्म करने की कोशिश कर रहे हैं. 14 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच 25वीं वार्ता हुई थी. इन बातचीत के दौरान पूर्वी लद्दाख में कुछ इलाक़ों से दोनों देशों ने अपने सैनिकों को पीछे भी हटाए हैं.”

ग्लोबल टाइम्स से इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज ऑफ फुदान यूनिवर्सिटी के एक प्रोफ़ेसर लिन मिनवांग ने कहा है, ”2020 में सीमा पर हिंसक टकराव के बाद भारत और चीन ने सरहद पर इन्फ़्रास्ट्रक्चर बढ़ाने का काम तेज़ कर दिए हैं. जिस आक्रामकता से दोनों देश आगे बढ़ रहे हैं, वैसे में यह चौंकाने वाली बात नहीं है कि दोनों देशों के सैनिक ईस्टर्न सेक्शन में भिड़े होंगे. हालाँकि दोनों देश अलग-अलग मोर्चों पर बातचीत कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि दोनों देशों के संबंध अभी स्थिर हैं.”

लिन ने कहा कि सर्दी के मौसम में दोनों देश सीमा पर शायद ही टकराते हैं. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीन के विशेषज्ञों का मानना है कि संभव है कि भारत टकराव शुरू करने के लिए यह वक़्त इसलिए चुना ताकि कुछ ख़ास संदेश दिया जा सके. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, भारत शायद बाहर के देशों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं. चीनी अख़बार ने लिखा है कि भारत यह बात अमेरिका को बताना चाहता है. भारत अपनी रणनीति संतुलित रखना चाहता है.

हालांकि यह भी माना जा रहा है कि इससे भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति नहीं बदलेगी. चीन के एक और रक्षा विशेषज्ञ क़िआन फेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा है कि नौ दिसंबर के टकराव से दोनों देशों के बीच स्थिति और जटिल हो सकती है.

भारत के जाने-माने सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट कर कहा है, ”हालिया संघर्ष बताता है कि चीन को भारत अपनी ज़मीन हड़पने से रोकने में नाकाम रहा है. क्या भारत ने संतोष कर लिया है? क्या रणनीतिक ख़ुफ़िया कहीं न कहीं चूक रहा है? क्या भारत का सैन्य नेतृत्व चीन के ख़तरे को हल्के में ले रहा है?”

हालाँकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत अपनी एक इंच ज़मीन भी किसी को नहीं लेने देगा.