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भारत और चीन के बीच तनाव फिर बढ़ा, निकाले एक दूसरे के पत्रकार!

चीन ने कहा है कि भारत में उसके पत्रकारों के साथ ग़लत व्यवहार किया गया है जिसके जवाब में भारतीय पत्रकार को चीन छोड़ने के लिए कहा गया है।

जून 2020 में दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव के बाद से दोनों देशों के पत्रकारों के एक दूसरे के देशों में काम को लेकर को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है।

15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी। इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गये हो गए थे जबकि चीन ने घटना के कई महीनों बाद स्वीकार किया था कि इस झड़प में उसके भी चार जवानों की मौत हुई थी।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने सोमवार को एक ब्रीफिंग में कहा कि हाल के वर्षों में भारत में चीनी पत्रकारों को अनुचित और भेदभावपूर्ण व्यवस्था दी गई है।

उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि भारत, चीनी पत्रकारों के लिए वीजा देना जारी रखेगा, अनुचित प्रतिबंधों को हटाएगा और मीडिया के आदान-प्रदान के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करेगा।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इस महीने भारत में आखरी दो चीनी राज्य मीडिया पत्रकारों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई का हवाला देते हुए वहां स्थित दो भारतीय पत्रकारों के वीजा को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया है।

चीन ने भारत में आखिरी बचे दो चीनी पत्रकारों को वीजा जारी न करने का हवाला देते हुए चीन में कार्यरत आखिरी दो भारतीय पत्रकारों के वीजा को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया है।

मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों के अनुसार, दो भारतीय पत्रकारों में से एक हिंदुस्तान टाइम्स के रिपोर्टर ने 11 जून को अपने वीज़ा की अवधि समाप्त होने के कारण चीन छोड़ दिया था। सूत्रों ने कहा कि चीन में समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के आख़िरी भारतीय पत्रकार इस महीने वापस आ जाएंगे, जब उनका वीजा समाप्त हो जाएगा।

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस महीने कहा कि उसे उम्मीद है कि चीन भारतीय पत्रकारों को चीन में काम करने की अनुमति देगा, यह कहते हुए कि भारत ने सभी विदेशी पत्रकारों को वहां काम करने की अनुमति दी है।

अखबार ने बताया था कि 1980 के दशक के बाद पहली बार भारत में चीन का कोई पत्रकार नहीं होगा, क्योंकि शेन्हुआ न्यूज़ एजेंसी और चाइना सेंट्रल टेलीविजन के अंतिम दो सरकारी मीडिया पत्रकारों को भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।