भभक रहा है बिस्तर वासना की ज्वाला को भड़काने के लिए, शक्तिशाली और ओजस्वी पवित्र संभोग!
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स्वामी देव कामुक ============= ♨️ एक छोटी सी विधि बहुत सहायक होगी ♨️
जब कभी हमारे अन्दर सेक्स की कामना उठे, तो वहाँ उसकी तीन सम्भावनाएँ हैं : पहली है ―– उनको तुष्ट करने में लग जाएँ । सामान्य रूप से प्रत्येक व्यक्ति यही कर रहा है ।
दूसरी है ―― उसका दमन करें । उसे बलपूर्वक अपनी चेतना के पार अचेतन के अन्धकार में नीचे धकेल दें । उसे अपने जीवन के अन्धेरे तलघर में फेंक दें । हमारे तथा कथित असाधारण लोग, महात्मा, सन्त और भिक्षु यही कर भी रहे हैं । लेकिन यह दोनों ही प्रकृति के विरुद्ध हैं । ये दोनों ही रूपान्तरण के अन्तर्विज्ञान के विरुद्ध हैं ।
तीसरी सम्भावना है ―― जिसका बहुत थोड़े से लोग सदैव प्रयास करते हैं । जब भी सेक्स की कामना उठे, हम अपनी आँखें बंद कर लें । यह बहुत मूल्यवान क्षण है : कामना का उठना ऊर्जा का जाग जाना है । यह ठीक सुबह सूर्योदय होने जैसा है । अपनी दोनों आँखें बन्द कर लें, यह क्षण ध्यान करने का है । अपनी पूरी चेतना को काम केन्द्र पर ले जाएँ, जहाँ हम उत्तेजना, कम्पन और उमँग का अनुभव कर रहे हैं । वहाँ गतिशील हो कर केवल एक मौन दृष्टा बने रहें । उसकी निन्दा न करें, उसकी साक्षी बने रहें । हम उसकी निन्दा करते हैं, हम उससे बहुत दूर चले जाते हैं । और न उसका मजा लें, क्योंकि जिस क्षण हम उस में मज़ा लेने लगते हैं, हम मूर्च्छा में होते हैं । केवल सजग, निरीक्षण कर्ता बने रहें, उस दीये की तरह जो अन्धेरी रात में जल रहा है । हम केवल अपनी चेतना वहाँ ले जाएँ, चेतना की ज्योति, बिना हिले डुले थिर बनी रहें । हम देखते रहें कि कामकेन्द्र पर क्या हो रहा है, और यह ऊर्जा है क्या ?
इस ऊर्जा को किसी भी नाम से न पुकारें । क्योंकि सभी शब्द प्रदूषित हो गये हैं । यदि हम यह भी कहते हैं कि यह सेक्स है, तुरन्त ही हम उसकी निन्दा करना प्रारम्भ कर देते हैं । यह शब्द ही निदापूर्ण बन जाता है । अथवा यदि हम नयी पीढ़ी के हैं, तो इसके लिए प्रयुक्त शब्द ही कुछ पवित्र बन जाता है । लेकिन शब्द अपने आप में हमेशा भाव के भार से दबा रहता है । कोई भी शब्द जो भाव से बोझिल हो, सजगता और होश के मार्ग में अवरोध बन जाता है । हम बस उसे किसी भी नाम से पुकारो ही नहीं । केवल इस तथ्य को देखते रहें कि काम केन्द्र के निकट एक ऊर्जा उठ रही है । उस में उत्तेजना है उमँग है, उसका निरीक्षण करें । और उसका निरीक्षण करते हुए हमें इस ऊर्जा
स्वामी देव कामुक ============== नारी प्रायः गंध के प्रति अत्यंत संवेदनशील होती है। 😘
वैसे तो वो प्रसाधन के रूप में सर के सुगंधित तेल और नाना प्रकार के क्रीम के साथ अपने को सुवासित करने के लिए इत्र और सेंट आदि का भरपूर प्रयाग करती हैं 💋 जिनसे प्रत्येक पुरुष उनकी तरफ आकर्षित हो इन सब के विपरीत सच्चाई ये है कि पुरुष का आकर्षण उनके शरीर से उठने वाली प्राकृतिक सुगंध से होता है, यहाँ तक कि दुर्गंध से भी प्राचीन कामशास्त्र के अनुसार इन स्त्रीओ की अलग अलग श्रेणी से अलग अलग सुगंध आती है केवड़े, चस्मेली, मोगरे और गुलाब जैसी मादक सुगंध किन्तु नारी जब कामातुर हो तो उसके शरीर से एक अलग कामुक गंध निकलती है उसके कान के पीछे से उसकी चोटी या बालों से, उसके नथुनों से उसके गले से उसकी बगल से, उसके उरोजों के मध्य से उसकी नाभि से उसके जांघो के संधि स्थल और उसकी योनि से इसे महसूस किया जा सकता है, वर्णित नही ।😘😘😘
न विश्वास हो तो कभी किसी सुंदरी की साड़ी के भीतर सर घुसा के देखिए जैसे जैसे आप जांघो के संधि स्थल की तरफ बढ़ेंगे वैसे वैसे ही योनि के कामरस और मूत्र की मिली जुली खुशबू आप को मदहोश करती जाएंगी।😍
जिस महिला के जिस्म की खुशबू में नशा हो मुझे संदेश भेजे…….दिल खोल कर बेहिचक बात करें….
स्वामी देव कामुक ================== भभक रहा है बिस्तर वासना कि ज्वाला को भड़काने के लिए, काश कोई ठहर जाये इस बेशर्म हो चुकी तड़प को मिटाने के लिए, एक मीठी सी टीस देकर बना ले अपना गुलाम, और कामुकता को भी गुदगुदाये मेरे करीब आने के लिए…. । । शुभ रात्री 🙏 😘 Good night 🌅
स्वामी देव कामुक ============= पति चाहे कितना भी ओपन माइंड पर्सन हो लेकिन फिर भी औरत ग़ैर मर्द की बाहों में एकदम ओपन फ़ील करती है गैर मर्दो से वो खुलके बोल सकती है की वो कितनी बड़ी चुद्दक्कड है और उसे लण्ड से कितना प्यार है..ग़ैर मर्द के झटके खाते हुए वो उसे चिल्ला के कह सकती है की और ज़ोर से झटके मारो फाड़ दो इस निगोड़ी छेद को जबकि यही बात पति से कहने में हिचकिचाती है क्यूँकि उसे डर होता है की ऐसा कहने से पति क्या सोचेगा मुझे चरित्रहीन चुद्दक्कड समझेगा. यही डर उसे ग़ैर मर्द के साथ नहीं होता बस यही कारण है की औरात की मन पसंद चुदाई अक्सर ग़ैर मर्द के साथ होती है..इसपे अगर वो मर्द उसे अपनी पसंद का मिल जाए और उसे भी वो मर्द प्यार करता हो सच्चे दिल से तो फिर एक औरत के लिए इससे बड़कर कुछ नहीं..लेकिन ऐसी ख़ुशक़िस्मत औरतें बहुत कम होती हैं
स्वामी देव कामुक ================= शक्तिशाली और ओजस्वी पवित्र संभोग ———————————————– पति पत्नी अगर दोनों नियमित रूप से ध्यान कर सकें, तो वर्षों तक संभोग न कर सकेंगे । इसके दोहरे परिणाम होंगे । एक तो ऊर्जा बहुत सक्रिय और सघन हो जाएगी। पवित्र आत्माओं को जन्म देने के लिए अत्यंत शक्तिशाली वीर्य( बिंदु ) चाहिए। निर्बल बिंदु काम नहीं कर सकते। जिस संभोग के पहले वर्षों का ब्रम्हचर्य है । वही संभोग शक्तिशाली आत्मा को प्रवेश देने में समर्थ हो सकता है । फिर जब वर्षों के ध्यान के बाद किसी दिन कोई संभोग में जा सकेगा यानी ध्यान आज्ञा देगा कि जा सको, तब स्वभावत: वह क्षण पवित्रता का क्षण होगा, क्योंकि अगर उस पवित्रता का थोड़ा भी रह गया होता, तो अभी ध्यान ने आज्ञा न दी होती ।ध्यान जब आज्ञा देता है और ध्यान के बाद भी संभोग में जाने की जब संभावना बनती है , तब उसका अर्थ यही है कि अब संभोग ने भी एक पवित्रता ले ली है। उसकी अपनी एक डिवाइननेस है ,अपनी भगवत्ता हो गई है। अब इस भगवत्ता के क्षण में दो व्यक्ति जब जाते हैं संभोग में, उचित होगा कि हम कहें कि अब वे शारीरिक तल पर नहीं मिल रहे हैं, अब यह मिलन बहुत आत्मिक है। शरीर भी बीच में है, लेकिन मिलन शारीरिक नहीं है। शरीर भी मिल रहे हैं, लेकिन मिलन गहरा और आत्मिक है । पवित्र आत्मा को अगर जन्म देना हो, तो वह सिर्फ बायोलॉजिकल (जैविक) घटना नहीं है। दो शरीर के मिलने से तो सिर्फ हम एक शरीर को जनमने की सुविधा देते हैं, लेकिन जब दो आत्माएं भी मिलती हैं, तब हम एक विराट आत्मा को उतारने की सुविधा देते हैं। ( “मैं मृत्यु सिखाता हूं” से साभार)
डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है
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