

Related Articles
“लेकिन यह हार तो तुम्हारा हुआ”
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ==================== · एक गांव में एक जमींदार था। उसके पास कई नौकर काम करते थे,जिनमें गांव से लगी बस्ती का एक जग्गू भी था, बाकी मजदूरों के साथ जग्गू भी अपने पांच लड़कों के साथ रहता था। जग्गू की पत्नी बहुत पहले गुजर गई थी। वह एक झोंपड़े में बच्चों को पाल […]
या इलाही फ़ैसला कर दे….
या इलाही फ़ैसला कर दे रात को रौशन कर दे मजधार में फंसी है किश्ती को साहिल कर दे रोक ले आफ़त को रहमत से ग़नी कर दे मुसाफ़िर की दूर है मंज़िल सफ़र के वास्ते सामां कर दे मुश्किल है बड़ी. जाने तू ज़िन्दगी, आसां कर दे परिंदे की आरजू सुन क़ैद से आज़ाद […]
….मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा!
Sukhpal Gurjar ==================== सेठ ताराचंद किराना के व्यापारी थे। छोटा सा गाँव था, और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद, माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था। […]