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ब्रिटेन के जासूस को ईरान ने दी फांसी, तिलमिला गया ब्रिटेन, ऋषि सुनक ने कहा…..: रिपोर्ट

ब्रिटेन की गुप्तचर सेवा के लिए जासूसी करने वाले अली रज़ा अकबरी को फांसी दे दी गई।

ईरान की न्याय पालिका की ओर से घोषणा की गई है कि ईरानी और ब्रिटेन की नागरिकता रखने वाले जासूस अली रज़ा अकबरी नामक ब्रिटिश जासूस को, जिसे ईरान में फांसी की सज़ा सुनाई गई, फांसी दे दी गई।

धरती पर विध्वंस और इस्लामी गणतंत्र ईरान में आंतरिक सुरक्षा के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाहियों और M-16 के साथ संपर्क के कारण इस ब्रिटिश जासूस को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी।

कुछ समय पहले अली रज़ा अकबरी को राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया था। ब्रिटेन के लिए जासूसी करने और उसके द्वारा किये गए अपराधों के आधार पर उसे फांसी की सज़ा सुनाई गई थी।

ईरान में अलीरज़ा अकबरी को फांसी दिए जाने की ख़बर पर ब्रितानी सरकार ने कहा है कि ब्रितानी नागरिक को फांसी देने के ईरान के इस कदम को चुनौती दी जाएगी.

अपने सोशल मीडिया हैंडल पर प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने लिखा, “यह एक घिनौनी और कायराना हरकत थी. अपने ही लोगों के मानवाधिकार का सम्मान न करने वाले क्रूर शासन ने इसे अंजाम दिया है.”

Rishi Sunak
@RishiSunak

United Kingdom government official
I am appalled by the execution of British-Iranian citizen Alireza Akbari in Iran.

This was a callous and cowardly act, carried out by a barbaric regime with no respect for the human rights of their own people. My thoughts are with Alireza’s friends and family.

ईरानी सरकारी मीडिया में शनिवार को ख़बर आई थी कि ब्रिटेन और ईरान की दोहरी नागरिकता वाले अलीरज़ा अकबरी को फांसी दे दी गई है. अकबरी को मौत की सज़ा सुनाई गई थी.

उनकी फांसी की ख़बर शनिवार को ईरानी सरकारी टेलीविज़न पर सुनाई गई. उद्घोषक ने कहा, “अलीरज़ा अकबरी को दी गई मौत की सज़ा पर अमल कर दिया गया है. उन्हें भ्रष्टाचार और जासूसी के ज़रिए देश की भीतरी और बाहरी सुरक्षा काम करने का दोषी पाया गया था. ईरान के ख़ुफ़िया मंत्रालय ने पहले कहा था कि अकबरी ब्रितानी जासूसी सेवा के एक बेहद महत्वपूर्ण एजेंट थे और दुश्मन के खुफ़िया विभाग को देश की जानकारी दे रहे थे.”

अलीरज़ा अकबरी ईरान के पूर्व डिप्टी रक्षा मंत्री रहे थे. साल 2019 में उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.

उन पर ब्रिटेन के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया. वो इन आरोपों से इनकार करते रहे थे.

ब्रिटेन ने ईरान से अपील की थी कि अकबरी को दी गई फांसी पर रोक लगाए और उन्हें जल्द से जल्द रिहा करे.